प्रकाश जावडेकर व पीयूष गोयल ने की जॉन केरी से मुलाकात

न्यूयार्क : पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने यहां अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी से मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने जलवायु परिवर्तन के मामले पर भारत और अमेरिका के बडी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में साथ काम करते रहने समेत ‘कई मामलों की एक श्रृंखला’ पर चर्चा की. दोनों मंत्रियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2016 2:37 PM

न्यूयार्क : पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने यहां अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी से मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने जलवायु परिवर्तन के मामले पर भारत और अमेरिका के बडी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में साथ काम करते रहने समेत ‘कई मामलों की एक श्रृंखला’ पर चर्चा की. दोनों मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के 175 देशों के ऐतिहासिक हस्ताक्षर समारोह के कुछ घंटों बाद कल रात केरी से मुलाकात की.

जावडेकर ने भारत की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किये जबकि गोयल ने उच्च स्तरीय जलवायु परिवर्तन हस्ताक्षर समारोह के इतर फ्रांस की पारिस्थितिकी, सतत विकास एवं ऊर्जा मंत्री और 21वीं कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (सीओपी21) की अध्यक्ष सेगोलेने रॉयल के साथ अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की बैठक की सह अध्यक्षता की. केरी के साथ बैठक के बाद जावडेकर ने बताया कि दोनों पक्षों ने ‘कई मामलों की एक पूरी श्रृंखला’ पर बात की.

एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि यह बैठक इस संबंध में बात करने के लिए की गयी थी कि भारत ने जलवायु परिर्वतन पर किस प्रकार सहयोग किया जिससे पेरिस समझौता हुआ और किस प्रकार दोनों देश बडी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में जलवायु परिर्वन के मामले पर मिलकर काम करना जारी रख सकते हैं. अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों ने अमेरिका की मेजबानी में कल होने वाले मेजर इकोनॉमीज फोरम संबंधी मामलों पर भी चर्चा की.

जावडेकर इस सम्मेलन में भाग लेंगे. मंत्रियों ने केरी को उन कदमों के बारे में बताया जो भारत सतत विकास के लिए और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की दिशा में उठा रहा है. इनमें पिछले वर्ष दिसंबर में पारित हुए पेरिस समझौते के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गयीं 26 नयी पहलें भी शामिल हैं जैसे कि कोयला उत्पादन पर प्रति टन छह डॉलर कर लगाना और उन स्कूलों में छात्राओं के लिए पांच लाख शौचालयों का निर्माण करना जहां उनके लिए अलग से शौचालय नहीं हैं.

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