अमेरिका के साथ संबंध बनाने की तत्परता भारत को मुश्किल में डाल सकती है

बीजिंग : अमेरिका के साथ करीबी संबंध बनाने की जल्दबाजी और दूसरी ओर चीन के साथ बातचीत पर बल देने की भारत की कोशिश और विदेश नीति के मोर्चे पर उसके ‘‘परस्पर विरोधी कदम” उसे ‘‘मुश्किल हालात” में डाल सकते हैं. चीन की सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने कल अपनी वेबसाइट पर लिखे एक लेख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2016 6:00 PM

बीजिंग : अमेरिका के साथ करीबी संबंध बनाने की जल्दबाजी और दूसरी ओर चीन के साथ बातचीत पर बल देने की भारत की कोशिश और विदेश नीति के मोर्चे पर उसके ‘‘परस्पर विरोधी कदम” उसे ‘‘मुश्किल हालात” में डाल सकते हैं. चीन की सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने कल अपनी वेबसाइट पर लिखे एक लेख में यह चेतावनी दी.

लेख के मुताबिक, ‘‘राजनीतिक नेतृत्व की कमी और गुट-निरपेक्षता को लेकर सैद्धांतिक आत्मसंदेह ने भारत की पूर्ववर्ती सरकारों को रोके रखा था, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तेजी से काम करने की बेहतर स्थिति में हैं और ऐसे में वह कदाचित अपनी विदेश नीति में परस्पर-विरोधी कदम उठा रहे हैं.”

उसमें लिखा है, ‘‘फरवरी के मध्य में अमेरिका के सैन्य अधिकारियों ने घोषणा की थी कि दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना अमेरिका के साथ मिलकर गश्ती करेगी . हालांकि भारतीय पक्ष ने तुरंत ऐसी गश्ती से इंकार कर दिया. मोदी सरकार क्षेत्र में चीन संबंधी मुद्दों पर अपने पूर्ववर्ती के मुकाबले ज्यादा सहसिक निर्णय ले रही हैं.”
लेख के अनुसार, ‘‘दक्षिण चीन सागर विवाद मामले में भारत के राजदूत ने ना सिर्फ सार्वजनिक रुप से फिलीपीन्स के दावों का समर्थन किया, बल्कि भारत के नीति-निर्माताओं ने भी यहां समुद्री सीमा विवाद पर चीन के खिलाफ कडा रुख अपनाने को लेकर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के सुर में सुर मिलाया.” उसमें लिखा है, एक ओर भारत ने अमेरिकी बेस तक पहुंच पाने के लिए उपकरण आपूर्ति संधि :एलएसए: पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की तो दूसरी ओर चीन के साथ भी संपर्क बढाया.

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