छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में परंपरागत रूप से मोची का काम करने वाले चार लोगों को गोहत्या के मामले में हिरासत में लिया गया है.
इन लोगों पर दो मरी हुई गायों का चमड़ा निकालने और उसका मांस एकत्र करने का आरोप है. पुलिस ने उनके पास से कथित रूप से 20 किलो गोमांस भी बरामद किया है.
बिलासपुर के नगर पुलिस अधीक्षक लखन पटले के अनुसार सिरगिट्टी थाना के अन्नपूर्णा कॉलोनी के रिहायशी इलाके में गाय का मांस काटकर बिक्री करने के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए-34 और छत्तीसगढ़ कृषि पशु परिरक्षण अधिनियम-2004 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हिरासत में लिए गए लक्ष्मी प्रसाद मोची, लक्ष्मी नारायण मोची, जितेंद्र रोहिदास और शिव प्रसाद रोहिदास स्थानीय हरदी कला इलाके के निवासी हैं.
हालांकि पुलिस का कहना है कि हिरासत में लिए गए चारों लोग मरी हुई गायों का चमड़ा और मांस निकाल रहे थे और यह पारंपरिक पेशे का हिस्सा है, जिसमें छत्तीसगढ़ के हज़ारों लोग जुड़े हुए हैं.
लेकिन इस मामले में कुछ हिंदूवादी संगठनों से जुड़े लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद कार्रवाई की गई.
छत्तीसगढ़ में कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले पशुओं की हत्या, उनका मांस रखना और उनकी हत्या के लिये पशुओं का परिवहन पूर्णतः प्रतिबंधित है. ऐसे मामलों में सात साल तक की सज़ा का प्रावधान है.
लेकिन ताज़ा मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. किसान नेता आनंद मिश्रा का कहना है कि मरी हुई गायों को गांवों से ले जाने और चमड़े तथा हड्डी का व्यापार करने वालों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई चिंताजनक है.
उन्होंने कहा, "अगर इस कारोबार में लगे लोग अपने हाथ खड़े कर दें तो गांवों में स्वाभाविक रूप से मरने वाले पशुओं की लाशें सड़ने लगेंगी. प्रशासन को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिये."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)