3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग से कम होंगे सड़क हादसे?

आरजू आलम बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए पेंटिंग के एक आधुनिक रुप में ‘3-डी आर्ट’ लोगों में कौतूहल पैदा करता है. इससे प्रेरित होकर अहमदाबाद की सौम्या पांड्या ठक्कर अपनी माँ शकुंतला पांड्या के साथ मिलकर अहमदाबाद में हाई-वे पर 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग बना रही हैं. तेज़ चल रही गाड़ियों के बीच सड़कों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2016 10:05 AM

पेंटिंग के एक आधुनिक रुप में ‘3-डी आर्ट’ लोगों में कौतूहल पैदा करता है. इससे प्रेरित होकर अहमदाबाद की सौम्या पांड्या ठक्कर अपनी माँ शकुंतला पांड्या के साथ मिलकर अहमदाबाद में हाई-वे पर 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग बना रही हैं.

तेज़ चल रही गाड़ियों के बीच सड़कों को पैदल पार करने के ख़तरे के मद्देनज़र आम लोगों के साथ-साथ वाहन चालकों को जागरुक करने के लिए 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग भारत की सड़कों के लिए नई चीज़ है.

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अगले प्रोजेक्ट की तैयारी के बीच सौम्या बताती हैं कि 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग पेंट करने में सबसे बड़ी परेशानी आती है इसके व्यापक कैनवस से.

तेज़ धूप और उड़ती धूल पेंटिंग करने को और भी मुश्किल बनाती है. पेंटिंग के दौरान सड़क को डाइवर्ट कर दिया जाता है इसलिए तय समय सीमा में काम ख़त्म करने के दबाव के साथ पेंट करना सबसे बड़ी चुनौती होती है.

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सौम्या कहती हैं, "अहमदाबाद-मेहसाना हाई-वे के कुछ एक्सीडेंट प्रोन ज़ोन पर प्रयोग के तौर पर पेंट किए गए 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग डिज़ाइन की सफलता से प्रभावित होकर वहां के लोकल अधिकारियों ने कुछ और हाई-वे पर 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग बनाने के निर्देश दिए हैं."

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चीन सहित अन्य देशों में 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग को अच्छी सफलता मिली है.

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लेकिन सीएसआईआर (केंद्रीय सड़क शोध संस्थान) के ट्रैफ़िक इंजीनियरिंग एंव सेफ़्टी डिविज़न के प्रमुख डॉ एस.वेलमुरुगन का मानना है कि भारतीय सड़कों पर 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग को व्यापक स्तर पर अपनाने से पहले इसपर पर्याप्त अनुसंधान करने की ज़रूरत है.

अहमदाबाद-मेहसाना हाई-वे पर पेंट किए गए 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग के वीडियो और तस्वीरों के निरीक्षण के बाद वह कहते हैं, "वैसे दूर से देखने पर यह सही दिखाई देती हैं लेकिन उसकी तरफ़ बढ़ते ट्रैफ़िक के लिए यह सड़क पर भ्रम पैदा करता है जो वाहन चालकों को रफ़्तार कम करने के साथ-साथ अचानक ब्रेक लगाने को भी मजबूर करेगा. 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग का कॉन्सेप्ट भारतीय सड़कों के लिए अनूठा है."

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सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन पर सुंदर समिति की रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2015 में सड़क दुर्घटना में 1,54,600 लोगों की मौत हुई जबकि 2005 में ये आंकड़ा क़रीब 1,10,300 था.

सड़क दुर्घटना में मरने वाले लोगों में पैदल यात्रियों की हिस्सेदारी 20 से 25 प्रतिशत तक हो सकती है.

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सड़क दुर्घटना पर शोध करने वाले और सेफ़ रोड फ़ाउंडेशन एनजीओ के संस्थापक मोहम्मद इमरान कहते हैं कि 3-डी ज़ेब्रा क्रॉसिंग से पैदल यात्रियों की सड़क दुर्घटना में करिश्माई कमी की उम्मीद करना बेमानी होगा, लेकिन पैदल यात्रियों में ज़ेब्रा क्रॉसिंग के इस्तेमाल तथा इससे जुड़े अधिकारों के जागरुकता का स्तर तो ज़रूर बढ़ेगा.

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