खुफिया जानकारी न होने के चलते हुआ पठानकोट हमला

नयी दिल्ली : पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमला देश के आतंकवाद निरोधी संस्था की नाकामी है. गृह मंत्रालय की संसदीय समिति ने सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एयरबेस की सुरक्षा भी संतोषजनक नहीं है. समिति ने इस हमले के लिए पंजाब पुलिस की भूमिका को संदेहास्पद और सवालों के घेरे में खड़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2016 8:36 AM

नयी दिल्ली : पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमला देश के आतंकवाद निरोधी संस्था की नाकामी है. गृह मंत्रालय की संसदीय समिति ने सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एयरबेस की सुरक्षा भी संतोषजनक नहीं है. समिति ने इस हमले के लिए पंजाब पुलिस की भूमिका को संदेहास्पद और सवालों के घेरे में खड़ा किया है. यह हैरानी की बात है कि हमले की आशंका की जानकारी पूर्व में दिये जाने के बावजूद आतंकवादी एयरबेस की सुरक्षा घेरे को पार करते हुए हमला करने में कामयाब हो गया.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पठानकोट के अपहृत एसपी और आतंकवादियों और उनके आकाओं के फोन कॉल को इंटरसेप्ट करने के बाद पुख्ता और सटीक खुफिया जानकारी मिलने के बावजूद रक्षा विभाग और सुरक्षा एजेंसियां समय पर हमले को रोक नहीं पायी. इससे उनकी तैयारी का अंदाजा लगाया जा सकता है. समिति ने कहा कि ऐसा लगता है हमारी आतंकवाद निरोधी संस्था में गंभीर कमियां हैं.

एयरबेस का दौरा करने गयी समिति ने पाया कि सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण एयरबेस के चारों ओर कोई सड़क नहीं है. एयरबेस के पास बड़ी-बड़ी झाड़िया और पौधे के कारण आतंकवादी को इसके अंदर घुसने और छिपने में मदद मिली, यही कारण है कि सुरक्षा बलों को इन्हें मारने में समय लगा. एयरबेस की सुरक्षा अच्छी नहीं होने और चारदीवारी की निगरानी व्यवस्था सही नहीं होने की बात रिपोर्ट में कही गयी है. समिति ने माना कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन का हाथ है.

आतंकवादियों के फोन कॉल, हथियार और अन्य सामानों से उनके पाकिस्तानी नागरिक होने की पुष्टि होती है. पाकिस्तान के सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के मदद के बिना आतंकी भारत में इस हमले को अंजाम नहीं दे सकते थे. समिति ने कहा है कि सीमा पर तारबंदी, लाइटिंग और बीएसएफ के जवानों की निगरानी के बावजूद आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल हो गये.

समिति ने पंजाब पुलिस की भूमिका को कटघरे में रखते हुए कहा है कि पंजाब पुलिस के एसपी के अपहरण की जानकारी मिलने के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंचने में काफी समय लगाया कि यह कोई चोरी की वारदात नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे से जुड़ा है. समिति ने कहा कि वह यह बात नहीं समझ पा रही है कि आतंकवादियों ने एसपी और उसके दोस्त को क्यों छोड़ दिया और इसकी जांच की जानी चाहिए. इसके अलावा समिति ने सीमावर्ती क्षेत्रों में नारको-सिंडिकेट के रोल की जांच करने की बात कही है क्योंकि आतंकवादी इन तस्करों के सहयोग से ही भारत में दाखिल हुए होंगे.

पाक जेआइटी को क्यों आने दिया

भारत सरकार ने किस आधार पर इस आतंकी हमला मामले की जांच में पाकिस्तान से मदद लेने का विचार किया और पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल को भारत आमंत्रित किया. समिति यह नहीं समझ पा रही है कि आतंकवादियों ने एसपी और उनके मित्रों को क्यों छोड़ दिया. एनआइए को इसकी समग्र जांच करनी चाहिए.

सिफारिश :
हमले की आशंका को देखते हुए सीमा की निगरानी सख्त करनी चाहिए और पठानकोट एयरबेस को हाइ सिक्योरिटी जोन घोषित हो.

पंजाब पुलिस की भूमिका पर संदेह

बेस की सुरक्षा में कई खमियां हैं. खासकर बाउंड्री के आस पास सुरक्षा पुख्ता नहीं है. बेस के आसपास बहुत जंगली घास है. इसका फायदा आतंकवादियों ने उठाया. इसके कारण सुरक्षाकर्मी कॉम्बिंग ठीक से नहीं कर पाये. आतंकवादियों ने एसपी और उसके दोस्त को क्यों छोड़ दिया. इसकी जांच होनी चाहिए.

मोबाइल एप के जरिये जासूसी कर रहा पाक

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी मोबाइल गेमिंग, टॉप गन, एमपीजंकी, वीडेजंगी और टॉकिंग फ्रॉग जैसी म्यूजिकल एप्लीकेशन और मोबाइल गेमिंग के जरिए भारतीय सुरक्षा बलों की जासूसी कर रही है. लोकसभा में गृह राज्य मंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी ने एक सवाल के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी रोजगार मुहैया कराने और वित्तीय मदद के नाम पर पूर्व सैनिकों को अपने जाल में फंसाने के प्रयास कर रही है. मंत्री ने बताया, ऐसी रिपोर्टे हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी मोबाइल एप के जरिये वायरस भेजकर भारतीय सुरक्षा बलों की निगरानी कर रही है.

मोबाइल एप्‍स : टॉप गन (गेम एप), एमपीजंकी (म्‍यूजिक एप), वीडीजंकी (वीडियो एप), और टॉकिंग फ्रॉग (एंटरटेनमेंट एप) शामिल. 2012-13 में आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में सात पूर्व सैनिकों को गिरफ्तार किया गया था.

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