असम राइफ़ल्स के एक कर्नल को करोड़ों रुपए का सोना लूटने के आरोप में गुरुवार को मिज़ोरम की राजधानी आइजोल से गिरफ़्तार किया गया है. ये सोना तस्करी का था.
आइजोल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रेक्स ने बीबीसी के साथ फोन पर हुई बातचीत में गिरफ़्तारी की पुष्टि की है.
असम राइफ़ल्स को मिज़ोरम से सटी म्यांमार की अंतरर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
आइजोल थाने में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि यह मामला डकैती, आपराधिक साजिश, धमकी और बेईमानी का है.
डकैती की यह घटना पिछले वर्ष 14 दिसंबर की रात की है.
पुलिस के आरोपों के अनुसार असम राइफ़ल की 39वें बटालियन में उस समय तैनात कमांडेंट कर्नल जसजीत सिंह के निर्देश पर उनके जवानों ने बंदूक की नोक पर क़रीब 14 करोड़ 50 लाख रुपए का सोना आइजोल-लुंगलेई हाइवे पर लूटा और वहां से फ़रार हो गए.
यह सोना म्यांमार से तस्करी के तहत लाया गया था और इसकी खुफ़िया जानकारी कर्नल सिंह के पास थी.
आइजोल पुलिस के आरोपों के अनुसार इस हाइवे डकैती में कर्नल सिंह मुख्य साज़िशकर्ता थे.
कर्नल सिंह ने अत्याधुनिक हथियारों से लैस अपने जवानों को तस्करी के तहत लाए गए सोने की बिस्कुट वाली खेप लूटने का निर्देश दिया था.
लेकिन पिछले 21 अप्रैल को वाहन चालक लालनूनफैला ने आइजोल थाने में एक रिपोर्ट दर्ज़ कराते हुए आरोप लगाए कि 39वें असम राइफ़ल के हथियारबंद लोगों ने उसकी गाड़ी से सोने के 52 बिस्कुट लूट लिए, जिसकी कीमत साढ़े चौदह करोड़ रुपए हैं.
पुलिस के पास मौजूद की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि ड्राइवर को जान से मारने की धमकी दी गई थी.
लालनूनफैला ने कहा कि इस घटना के बारे में उसके रिश्तेदारों और कुछ दोस्तों से बात करने पर मिले साहस के कारण उसने पुलिस को सूचित किया हैं.
पुलिस ने घटना में शामिल असम राइफ़ल के उन आठ जवानों को भी हिरासत में ले लिया है.
पुलिस का दावा है कि गिरफ़्तार आठ जवानों ने पूछताछ में यह बात स्वीकार की है कि उन्होंने अपने बटालियन कमांडेट कर्नल सिंह के कहने पर यह अपराध किया.
इस बीच कर्नल सिंह ने अपने वकील के ज़रिए आइजोल जिला एवं सत्र न्यायाधीश लुसी लालसिधारी की अदालत में अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी लगाई थी जो नामंज़ूर कर दी गई.
इसके बाद पुलिस ने उन्हें अदालत परिसर से ही गिरफ़्तार कर लिया.
जबकि सेना के एक सूत्र के अनुसार आइजोल में मौजूद असम राइफ़ल के 23वें सेक्टर के कमांडर ब्रिगेडियर टीसी मलहोत्रा, डीआईजी (रेंज) ने कर्नल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज़ होने के बाद 22 अप्रैल को सीआईडी (अपराध) विभाग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में छह सदस्यीय एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था ताकि घटना की गहन तरीके से जांच करवाई जा सके.
एसआईटी ने चार और लोगों को गिरफ़्तार किया है जिसमें एक स्थानीय छात्र नेता और एक व्यापारी शामिल हैं. फिलहाल ये लोग न्यायिक हिरासत में हैं.
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