मंगलवार की शाम से ही न जाने क्यों रिपब्लिकन पार्टी चेहरे पर अंगोछा लपेटकर मुंह छिपाने की नाकाम सी कोशिश करती हुई नज़र आ रही है.
हाल कुछ वैसा ही है जैसा अपने यहां के मां-बाप का होता है जब उनके साहबज़ादे लड़की छेड़ते हुए या परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाते हैं.
अंदाज़ कुछ वैसा ही है–"इस लड़के ने तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रखा. क्या जवाब देंगे हम लोगों को. नाक कटवा कर रख दी."
जस्ट इन केस आप भूल गए हों, तो याद दिला देता हूं. मंगलवार की शाम रिपब्लिकन वोटरों ने ये तय कर दिया कि राष्ट्रपति पद के लिए डॉनल्ड ट्रंप ही पार्टी के उम्मीदवार बनेंगे.
धूर्त, मक्कार, झूठा, बेईमान, कपटी, बद्दिमाग़, नस्लवादी, लड़कीबाज़, व्याभिचारी—पार्टी के सिरमौर और दिग्गजों ने महाराजा ट्रंप की शान में ऐसी कशीदाकारी की थी. अब उनकी शान में परेड करने की मजबूरी आन पड़ी है.
वाशिंगटन में इन दिनों बहार आई हुई है, पेड़ फूलों से लदे हुए हैं, मौसम बसंती सा है, लेकिन इन बेचारों का वश चले तो बर्फ़ीला तूफ़ान ला दें जिससे घर के अंदर दुबककर बैठे रह सकें. जब कोई कहता है कि आपकी पार्टी तो अब ट्रंप की पार्टी है, तो उनमें से कइयों के चेहरे पर वही भाव नज़र आता है कि–ज़मीन फट जाए और वो उसमें समा जाएं.
सेनेटर मार्को रूबियो साहब क़तर और इराक़ के दौरे पर हैं. किसी ने लिखा कि उनके लिए सबसे बड़ा डर ये होगा कि कोई कहीं ये न पूछ दे कि "क्या वाकई आपकी पार्टी ने ट्रंप को चुना है?"
मीडिया के पंडित भी मुंह छिपा रहे हैं. एक साहब ने लिखा था कि अगर ट्रंप जीतते हैं तो मैं अपने अख़बार का ये कॉलम कागज़ और स्याही समेत निगल जाऊंगा.
अब लोग उन्हें कागज़ और स्याही के साथ अख़बार निगलने की तरकीब बता रहे हैं. एक ने लिखा है उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके चीज़ के साथ मिलाकर खा जाओ, एक ने लिखा है कि व्हिस्की के साथ निगल जाओ.
वैसे ये सारा कुछ बेवजह है. ट्रंप साहब सीधे-सादे हैं, जो मन में आता है कह देते हैं. इसे कहते हैं पारदर्शी राजनीति.
एक महिला रिपोर्टर ने थोड़े तीखे सवाल पूछे तो उन्होंने कहा कि रिपोर्टर के न जाने कहां-कहां से ख़ून निकल रहा था, इशारा माहवारी की तरफ़ था, इसलिए वो वैसे मूड में थी.
एक महिला उम्मीदवार के बारे में कहा–उसकी शक्ल देखी है, इसे कोई राष्ट्रपति चुनेगा? जंग में दुश्मन के क़ैदी रह चुके और बेहद सम्मानित सेनेटर जॉन मैकेन ने उनकी आलोचना की तो ट्रंप का जवाब था–बेवजह लोग उनकी इज़्ज़त करते हैं. मेरे लिए तो हीरो वो है जो जंग में पकड़ा न जाए.
पिछले ग्यारह-बारह महीनों में "हर मर्ज़ का शर्तिया इलाज" के जो नुस्खे दिए हैं उन्होंने वो गाज़ियाबाद की दीवारों पर लिखे इश्तहारों से कहीं ज़्यादा कारगर हो सकती हैं.
पड़ोसी तंग कर रहा है? अपने घर की गंदगी आपकी तरफ़ फेक रहा है? ट्रंप बाबा के पास है शर्तिया इलाज और इलाज का पैसा भी पड़ोसी देगा. अपने घर के बाहर बड़ी सी दीवार बना दो, और दीवार बनाने का पैसा भी पड़ोसी से लो. कैसे? पहले ट्रंप बाबा की शरण में आओ तो सही, उन्हें व्हाइट हाउस में पहुंचाओ तो सही. फिर बताएंगे.
दोस्त आपका फ़ायदा उठा रहे हैं? आपके पैसे से ऐश कर रहे हैं और आपको आंखें भी दिखा रहे हैं? ट्रंप बाबा बताएंगे कि कैसे दोस्तों से पैसे लेकर उन्हें ऐश करवाएं, अपनी जेब सलामत रखें और दोस्तों से शुक्रिया भी कहलवाएं.
ट्रंप बाबा आपको अपने विरोधियों को धूल चटाने की तरकीब भी सिखा सकते हैं. आख़िर 17 विरोधियों को हल्दी-चूना कहलवाया है उन्होंने.
वो साथ ही ये भी सिखा सकते हैं कि बाद में वही विरोधी किस तरह आपके गुन गाने लगें. उनके एक विरोधी तो उनकी रैलियों में साथ यूं खड़े रहते हैं, जैसे कह रहे हों–"बस हुक्म करें मेरे आका".
एक विरोधी को उन्होंने चाइल्ड मोलेस्टर यानि बच्चाबाज़ कहा था, सुना है वो इन दिनों ट्रंप के लिए उप-राष्ट्रपति का उम्माीदवार तलाश रहे हैं. ऐसी सियासत सीखने के लिए तो अपने देसी नेता सबकुछ कुर्बान कर दें.
अगर आप ऐड और ब्रांडिंग की दुनिया में नाम कमाना चाहते हैं तो ट्रंप बाबा से बेहतर कोई गुरू नहीं है. उन्होंने अपने विरोधियों की ऐसी ब्रांडिग की है कि वो उससे ऊबर नहीं पाए.
झूठा क्रूज, झूठा, झूठा, झूठा क्रूज़, छोटा रूबियो, छोटा रूबियो, कम एनर्जी वाला बुश—टेड क्रूज़, मार्को रूबियो और जेब बुश पर ये ब्रांड बिल्कुल फ़ेविकोल की तरह चिपक गया.
अब तो लोग कह रहे हैं कि ट्रंप अगर सलीकेदार भाषा का इस्तेमाल करेंगे तो बोरिंग हो जाएंगे. ज़ाहिर है ट्रंप ऐसा नहीं करनेवाले.
हिलेरी क्लिंटन के ख़िलाफ़ उन्होंने अभी से — क्रूकेड हिलेरी यानि कपटी हिलेरी का नारा बुलंद करना शुरू कर दिया है.
और अभी तो छह महीनों के बाद चुनाव है तो और न जाने क्या-क्या कहेंगे. अभी तो पार्टी शुरू हुई है!
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