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बिना संसाधन गांव की लड़कियों को बना रहीं हुनरमंद

कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की. हर क्लास में वह अव्वल रही. एकेडमिक पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रोफेशनल कोर्स भी किया. बीएड करके वह टीचर बनना चाहती थी. मगर शादी हो जाने से यह सपना सच न हो सका. फिर ससुराल की जिम्मेवारियां निभाते हुए वह अपने पैरों पर खड़ा होने के सपने बुनने लगी. […]

कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की. हर क्लास में वह अव्वल रही. एकेडमिक पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रोफेशनल कोर्स भी किया. बीएड करके वह टीचर बनना चाहती थी. मगर शादी हो जाने से यह सपना सच न हो सका. फिर ससुराल की जिम्मेवारियां निभाते हुए वह अपने पैरों पर खड़ा होने के सपने बुनने लगी. आज वह न केवल अपना, बल्कि सैकड़ों लड़कियों को रोजगार की राह दिखा रही है. ओरमांझी, रांची की रहनेवाली रजनी सिंह 22 वर्षों से सिलाई-कढ़ाई का कार्य कर रही हैं.

कुछ करने की चाह में गांव में शुरू की नयी जिंदगी

रजनी बताती हैं कि मेरी पढ़ाई-लिखाई रांची में ही हुई है. बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई के साथ भाभी के साथ इंम्बॉडरी का काम किया करती थी. मगर शादी गांव में हो गयी. मैं ससुराल में रहने लगी. यहां कोई सुविधा नहीं थी. मैं कुछ

करना चाह रही थी. मगर पढ़ाई के अलावा कोई दूसरा काम भी मुझे नहीं आता था. तब मैंने सिलाई की ट्रेनिंग ली. पहले खुद सिलाई करना सीखा. कई तरह के हैंड वर्क भी सीखे. आज इसे दूसरों को सिखा रही हूं. यही मेरे जीवन का मकसद बन गया है. अच्छा लगता है जब बाहर निकलती हूं, तो यही लड़कियां ‘दीदी’ कह कर मुझसे अपनापन जताती हैं.

गरीब लड़कियों को बिना फीस लिये देती हैं ट्रेनिंग

रजनी सिंह पिछले 22 वर्षों से सिलाई-कढ़ाई व हैंड वर्क की ट्रेनिंग अन्य लड़कियों को दे रही हैं. खास है कि गरीब लड़कियों को वह बिना फीस लिये ट्रेनिंग देती हैं. तभी तो रजनी एक ही सिलाई मशीन पर अभी तक काम कर रही हैं. वह बताती हैं कि मैं सिलाई का ज्यादातर काम हाथ से ही करवाती हूं. शुरू में मेरे ससुर ने एक सिलाई मशीन खरीद कर दी थी. उसी से आज तक मेरा काम चल रहा है. मेरा मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं, बल्कि अन्य लड़कियों को हुनरमंद बनाना है. इससे वे अपने जीवन के अंधेरे को दूर कर सकेंगी.

फिल्में देख कर खुद प्रयोग करती हैं नयी-नयी डिजाइन

रजनी के मुताबिक उसने गांव की ज्यादातर लड़कियों को सिलाई का काम सीखा दिया है. अब आस-पास के गांवों से भी लड़कियां सिलाई सीखने आ रही हैं. रजनी से ट्रेंनिंग लेकर कई लड़कियों ने अपना सेंटर भी खोल लिया है.

रजनी कहती हैं, कपड़े सिलाई करवाने के लिए ट्रेलर के पास अब कोई नहीं जाता. गांव की लड़कियां खुद ही यह काम कर लेती हैं. ग्रामीण इलाके में भी रह कर भी रजनी लेटेस्ट ड्रेस डिजाइन को फॉलो करने की पूरी कोशिश करती हैं. वह फिल्मों से डिजाइन कॉपी करती हैं, ताकि गांव के लोगों को भी शहरों-सा काम लगे.

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