दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग के ‘द वेजिटेरियन” को 2016 का मैन बुकर प्राइज

लंदन : दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को ‘‘अविस्मरणीय छाप छोड़ने वाले’ उनके उपन्यास ‘द वेजिटेरियन’ को ले कर प्रतिष्ठित मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया है. उनका यह उपन्यास एक महिला द्वारा मानवीय निर्ममता को खारिज करने और मांस का सेवन छोड़ देने पर आधारित है. कांग ने इस पुरस्कार की दौड़ में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2016 11:05 AM

लंदन : दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को ‘‘अविस्मरणीय छाप छोड़ने वाले’ उनके उपन्यास ‘द वेजिटेरियन’ को ले कर प्रतिष्ठित मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया है. उनका यह उपन्यास एक महिला द्वारा मानवीय निर्ममता को खारिज करने और मांस का सेवन छोड़ देने पर आधारित है.

कांग ने इस पुरस्कार की दौड़ में जिन लेखकों को पीछे छोड़ा है, उनमें नोबल पुरस्कार प्राप्त ओरहान पामुक और अंतरराष्ट्रीय बेस्ट सेलर एलेना फेरांटे शामिल हैं. कल रात उन्होंने 50 हजार पाउंड का यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता और उन्होंने इसे उपन्यास की अनुवादक डेबोरा स्मिथ के साथ साझा किया.

155 किताबों में से हुआ चयन

पोर्टबेलो बुक्स द्वारा प्रकाशित ‘द वेजिटेरियन’ को पांच जजों के एक पैनल ने 155 किताबों में से सर्वसम्मति के साथ चुना था. इस पैनल की अध्यक्षता जाने-माने आलोचक और संपादक बॉएड टोंकिंग ने की. सोल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स में रचनात्मक लेखन पढ़ाने वाली 45 वर्षीय कांग दक्षिण कोरिया में पहले ही मशहूर हैं और वह यी सांग लिटरेरी प्राइज, टुडेज यंग आर्टिस्ट अवॉर्ड और कोरियन लिटरेचर नोवल अवॉर्ड जीत चुकी हैं.

‘द वेजिटेरियन’ उनका पहला उपन्यास है, जिसे 28 वर्षीय स्मिथ ने अंगरेजी में अनुवाद किया है. स्मिथ ने 21 साल की उम्र से कोरियन सीखनी शुरू की थी. अब वह कांग के साथ 50 हजार पाउंड के पुरस्कार में हिस्सेदार हैं.

सर्वसम्मति से किया गया चुनाव

टोंकिन ने कहा, ‘‘विविधता और विभिन्नता से भरी एक लंबी सूची के हमारे चयन के बाद प्रथम श्रेणी के अनुवाद वाले छह अदभुत उपन्यासों शॉर्टलिस्ट किया गया. जजों ने सर्वसम्मति के साथ द वेजिटेरियन को विजेता चुना है.’ अनुवाद में उत्कृष्ट वैश्विक काल्पनिक लेखन के तहत मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार में लेखक और अनुवादक दोनों को 25-25 हजार पाउंड और नए डिजाइन वाली ट्रॉफी मिलती है.

उन्हें शॉर्टलिस्ट होने के लिए एक-एक हजार पाउंड अतिरिक्त भी मिले हैं. इस साल इस पुरस्कार की दौड़ में कोई भारतीय लेखक नहीं है.

यह पुरस्कार मैन ग्रुप की ओर से दिया जाता है, जो मैन बुकर प्राइज फॉर फिक्शन को भी प्रायोजित करता है.

दोनों ही पुरस्कार समकालीन साहित्य में उत्कृष्ट लेखन को मान्यता प्रदान करने और पुरस्कृत करने का प्रयास हैं.

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