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चीन के साथ सकारात्मक वार्ता करना चाहती हैं ताइवान की नयी राष्‍ट्रपति

ताइपे : ताइवान की साई इंग वेन ने राष्ट्रपति के रुप में शपथ ग्रहण करने के बाद अपने बहु प्रतीक्षित पहले भाषण में चीन के साथ ‘सकारात्मक वार्ता’ की इच्छा जताई. उन्होंने बीजिंग के साथ बढती शत्रुता के बावजूद बातचीत के जरिए सुलह करने का समर्थन करने के इरादे की ओर संकेत दिया. साई ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2016 4:39 PM

ताइपे : ताइवान की साई इंग वेन ने राष्ट्रपति के रुप में शपथ ग्रहण करने के बाद अपने बहु प्रतीक्षित पहले भाषण में चीन के साथ ‘सकारात्मक वार्ता’ की इच्छा जताई. उन्होंने बीजिंग के साथ बढती शत्रुता के बावजूद बातचीत के जरिए सुलह करने का समर्थन करने के इरादे की ओर संकेत दिया. साई ने जनवरी में कुओमिनतांग पार्टी के खिलाफ शानदार जीत हासिल करने के बाद द्वीप की पहली महिला राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभाला. इसके साथ ही निवर्तमान राष्ट्रपति मा यिंग जियू आठ साल का शासन काल समाप्त हो गया जिसमें ताइवान और बीजिंग के बीच निकटता बढी थी.

मतदाताओं को लगा कि मा चीन के बहुत करीब जा रहे थे. चीन स्वशासित ताइवान को अब भी अपने क्षेत्र के तौर पर देखता है और उसके फिर से एकीकरण का इंतजार कर रहा है. बीजिंग को संदेह की नजर से देखने वाली साई ने अपनी प्रचार मुहिम में ताइवान प्रतिष्ठा को फिर से स्थापित करने की बात की. यह ऐसा संदेश था जो चीन की छाया में रहते रहते थक चुके लोगों को दिलों को भा गया और साई ने शानदार जीत प्राप्त की.

हालांकि उन्होंने 20,000 लोगों की भीड के सामने ताइवान को शांति के लिए काम करने वाली ताकत के तौर पर पेश करने की कोशिश की. इससे पहले उन्होंने राष्ट्रपति भवन में आज सुबह शपथ ग्रहण की. साई ने कहा, ‘दोनों ओर के सत्ताधारी दलों को इतिहास की बातों को पीछे छोड देना चाहिए और सकारात्मक वार्ता करनी चाहिए ताकि दोनों ओर के लोगों को लाभ हो सके.’ उनके राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद से बीजिंग के साथ ताइवान के संबंध ठंडे पड गये हैं.

चीन साई पर ‘एक चीन’ के संदेश का समर्थन देने का दबाव बना रहा है. साई और उनकी डेमोक्रेटिव प्रोग्रेसिव पार्टी ने इस संकल्पना को कभी स्वीकार नहीं किया. उन्होंने अपने भाषण में भी इस मामले पर अपने रुख में बदलाव के कोई संकेत नहीं दिए लेकिन उन्होंने दोनों पक्षों के बीच वार्ता के महत्व पर बल दिया. साई ने कहा कि क्षेत्रीय शांति स्थापित करने एवं सामूहिक सुरक्षा के लिए आपसी संबंध बहुत अहम हैं.

उन्होंने कहा, ‘इस प्रक्रिया में ताइवान ‘शांति का सच्चा संरक्षक’ बनेगा जो सक्रिय रूप से भाग लेता है और कभी अनुपस्थित नहीं होता.’ महिला राष्ट्रपति ने ताइवान की अर्थव्यवस्था में विविधता पैदा करने और व्यापार के लिए चीन पर अति निर्भरता समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने ताइवान की जीवंत लोकतांत्रिक संस्कृति के प्रति द्वीप की प्रतिबद्धता व्यक्त की. चीन के सरकारी समाचार प्रतिष्ठानों ने इस भाषण को नजरअंदाज किया और साई के नाम एवं ‘ताइवान’ की सर्च को सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दिया गया.

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