ढाका : बांग्लादेश के दक्षिणी तट पर चक्रवात रोअनू के आने और कई भूस्खलन हो जाने के कारण कम से कम 24 लोग मारे गये हैं.जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गये हैं. अधिकारियों ने लगभग पांच लाख लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है.
88 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली तेज हवाओं के साथ चक्रवात बरीसाल-चटगांव क्षेत्र से टकराया और इसका असर देश के अन्य हिस्सों में भी महसूस किया गया. बहुत से स्थानाें पर बारिश हुई और बहुत से स्थानों पर कुछ समय की आंधी और तेज हवाओं के साथ छींटे पड़े.
बांग्लादेश के आपदा प्रबंधन विभाग के महानिदेशक रियाज अहमद ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘रातभर में चार अन्य हताहतों का पता लगने के बाद मृतक संख्या अब 24 है. अहमद ने कहा कि नाबालिग बच्चों समेत 11 लोगों की मौत उत्तर-पश्चिमी पत्तन शहर चटगांव में हुई. चक्रवात में सबसे ज्यादा यही क्षेत्र प्रभावित हुआ है.
तटीय जिलाें दक्षिणपश्चिमी भोला, उत्तरपश्चिमी नोआखली और कॉक्स बाजार में तीन मौतें हुई हैं. जबकि तूफान ने तट के पास बने 85 हजार मकानों और कारोबारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाया है.
अधिकारियों ने कहा कि बहुत से पीड़ित भूस्खलन के सैलाब के साथ पानी में बह गये. इस दौरान कितने ही मकान और जड़ों से उखड़ चुके पेड़ भी इस बहाव में आ मिले, जिसके कारण कई लोग मारे गये.
पत्तन शहर में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने कहा, चटगांव के बनस्खली पुलिस चौकी के प्रभारी अधिकारी ने कहा कि सात लोग तो वहीं मारे गये. वे लोग डूबने से या भूस्खलन की चपेट में आने पर मारे गये. आपदा प्रबंधन मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि लगभग पांच लाख लोगों को निकालकर चक्रवात आश्रय स्थलों पर रखा गया है. 21 लाख अन्य लोगों को बचाने की तैयारी की जा चुकी है.
मौसम विज्ञानियों ने कहा कि चक्रवात पहले दक्षिण पश्चिमी तट पर आया और फिर यह दक्षिण पूर्व की ओर मुड़कर समुद्र की दिशा में बढ़ता हुआ बेहद उग्र हो गया. चटगांव के शाह अमानत अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे ने रोआनू के कारण अपनी सभी उड़ानों का संचालन निलंबित कर दिया है.
बांग्लादेश बंगाल की खाड़ी के शीर्ष पर त्रिभुजीय स्थान पर स्थित होने की वजह से चक्रवातों के लिहाज से संवेदनशील है. वर्ष 1970 में और 1991 में यहां भीषण चक्रवात आये थे, जिनमें क्रमश: पांच लाख और लगभग 1.4 लाख लोग मारे गये थे.