बैंकॉक : थाइलैंड की बर्खास्त प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा ने सत्ताधारी जुंटा के प्रदर्शन पर चिंता जाहिर की है और राज्य के जनरलों से अपील की है कि वे सत्ता वापस जनता को लौटा दें. शिनावात्रा की ओर से यह बात तब कही गई है, जब उनकी सरकार के तख्तापलट को दो साल हो गए हैं. शिनावात्रा (48) वर्ष 2011 में धुंआधार जीत के बाद थाइलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं. लेकिन वर्ष 2013 की शुरुआत में उनकी सरकार की ओर से राज क्षमा विधेयक को पारित करने के प्रयास के बाद सेना ने उस समय चल रहे भारी राजनीतिक विरोधों को ‘खत्म’ करने के लिए तख्तापलट कर दिया था और शिनावात्रा को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था.
इस समय भी शिनावात्रा अपने कार्यकाल के दौरान लागू की गई चावल की खरीद के वादे वाली विवादित योजना से जुडे आरोपों का सामना कर रही हैं. फेसबुक पर डाली गई एक पोस्ट में शिनावात्रा ने सेना द्वारा गठित नेशनल काउंसिल फॉर पीस एंड ऑर्डर (एनसीपीओ) से कहा कि वह जनता के समक्ष मौजूद समस्याओं का तुरंत निपटान करें. शिनावात्रा ने कहा, ‘मेरी चिंताएं बढ रही हैं क्योंकि आज लोग आर्थिक मुश्किलों, गरीबी और जटिल सामाजिक मुद्दों से जूझ रहे हैं, जिनमें नशीले पदार्थों का बढता इस्तेमाल भी शामिल है.’
शिनावात्रा ने कहा कि जुंटा ने यह कहकर तख्तापलट को उचित ठहराया था कि उनकी (शिनावात्रा की) सरकार और अधिक समय तक देश को नहीं चला सकती और मैत्री प्रक्रिया को आगे बढाने के लिए जिम्मेदारी अपने हाथ में लेना उसके लिए जरुरी हो गया था. अपने फेसबुक पेज पर शिनावात्रा ने कल कहा, ‘मैं उनसे पूछना चाहूंगी कि क्या मैत्री प्रक्रिया समावेशी रही है और यह सही दिशा में जा रही है या नहीं?’
शिनावात्रा ने एनसीपीओ से कहा कि वह उन सुधारों को लागू करने में तेजी लाए, जो देश को वापस लोकतंत्र की उसी राह पर लेकर जाएंगे, जिसका जिक्र उन्होंने अपने रोडमैप में किया था. उन्होंने कहा, ‘आज जनता से अधिकार और आजादी भी छीन ली गई है. मैं चाहती हूं कि वे जनता को उनकी खुशियां जल्दी लौटाएं. खुशियों से मेरा आशय उनके मूलभूत अधिकारों और उन्हें अपना खुद का भाग्य चुनने का अधिकार एक बार फिर उनके हाथ में देने से है.’
इसी बीच, 200 से ज्यादा लोगों ने तख्तापलट के दो साल पूरे होने पर सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस तख्तापलट में देश की निर्वाचित सरकार को 22 मई 2014 को गिरा दिया गया था.