रक्षा सहयोग के नये तरीकों की पहचान करेंगे भारत और अमेरिका

वाशिंगटन : अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने आज कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले सप्ताह होने वाली अमेरिका यात्रा से पूर्व अपने भारतीय समकक्ष मनोहर पर्रिकर के साथ मिलकर सहयोग के ‘नये रास्तों की पहचान’ करेंगे. कार्टर ने आज सिंगापुर में वार्षिक शांगरी-ला वार्ता के दौरान ओबामा के एशिया प्रशांत पुर्नसंतुलन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 4, 2016 11:23 AM

वाशिंगटन : अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने आज कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले सप्ताह होने वाली अमेरिका यात्रा से पूर्व अपने भारतीय समकक्ष मनोहर पर्रिकर के साथ मिलकर सहयोग के ‘नये रास्तों की पहचान’ करेंगे. कार्टर ने आज सिंगापुर में वार्षिक शांगरी-ला वार्ता के दौरान ओबामा के एशिया प्रशांत पुर्नसंतुलन में भारत की अहम भूमिका को दोहराते हुए कहा, ‘मैं और मंत्री पर्रिकर प्रधानमंत्री मोदी की अगले सप्ताह होने वाली वाशिंगटन यात्रा से पहले सहयोग के नए तरीकों की पहचान करेंगे.’

पेंटागन ने कल कहा कि जब मोदी टॉम्ब ऑफ द अननोन पर पुष्पाहार अर्पित करने के लिए एर्लिंगटन नेशनल सीमेटरी जाएंगे, तब कार्टर उनके साथ रहेंगे. कार्टर मोदी की तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान उनके साथ बैठक भी करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के सैन्य रिश्तों की प्रगाढता इस समय सबसे ज्यादा है. कार्टर ने कहा कि पुर्नसंतुलन के तहत पश्चिम तक पहुंच बनाने वाले अमेरिका और प्रधानमंत्री मोदी की एक्ट ईस्ट नीति के तहत पूर्व में पहुंच बनाने वाले भारत ने रणनीतिक तौर पर हाथ मिला लिया है. ये दोनों वायु, जमीन और समुद्र में एकसाथ अभ्यास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘दोनों के बीच तकनीकी तौर पर भी हाथ मिलाया गया है. हम विमान वाहक डिजाइन एवं निर्माण समेत ज्यादा गहरे एवं विविध रक्षा सह-विकास एवं सह-निर्माण की ओर बढ रहे हैं.’ कार्टर ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति के चलते चीन और भारत जैसे देशों ने शानदार विकास किया है लेकिन क्षेत्र में तनाव अब भी व्याप्त है. उन्होंने कहा, ‘दक्षिण चीन सागर में तनाव, उत्तर कोरिया द्वारा लगातार परमाणु एवं मिसाइल के जरिए दिए जाने वाले उकसावे और विश्वभर में महसूस किए जा रहे हिंसक चरमपंथ के खतरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए चुनौतियां पेश करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यदि हम सुरक्षा पर सहयोग जारी रखते हैं तो एक दिन हम अमेरिका-चीन-भारत के बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास, दक्षिण चीन सागर में जापान और कोरिया गणतंत्र की संयुक्त आपदा प्रतिक्रिया और पूरे आसियान में सुरक्षातंत्र पर चर्चा कर पाएंगे.’ उन्होंने कहा कि पिछले साल में इस सोच की दिशा में प्रगति हुई है. ‘चीन और भारत एक बार फिर इन गर्मियों में अमेरिकी मेजबानी वाले आरआईएमपीएसी नौवहन अभ्यास में शामिल होंगे. जापान और कोरिया गणतंत्र नए तरीकों से एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.’

कार्टर ने कहा कि दक्षिणपूर्वी एशिया में विकसित होते आसियान केंद्रित सुरक्षा तंत्र के अलावा एशिया-प्रशांत के आसपास के देश एकसाथ मिलकर और भी ज्यादा काम कर रहे हैं और सुरक्षा की दिशा में तंत्र बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि दो त्रिपक्षीय संबंध- अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका-जापान-भारत इन देशों के बीच सैन्य अभ्यासों के चलते विकसित हो रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version