मैत्री बांध का उद्घाटन : अफगानिस्तान में PM नरेंद्र मोदी का संबोधन क्यों है दोनों देशों के रिश्तों का पैमाना?

इंटरनेट डेस्क, एजेंसी इनपुट के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा स्वदेश में उनकी तीव्र, अत्यधिक कूटनीतिक-विदेश यात्राओं के लिए होती है. अभी वे पांच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विटजरलैंड, अमेरिका व मैक्सिको की छह दिन की यात्रा पर रवाना हुए और इसकी पहली कड़ी में अफगानिस्तान पहुंचे हैं.प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी कम दिनों में कई देशों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 4, 2016 5:20 PM


इंटरनेट डेस्क, एजेंसी इनपुट के साथ


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा स्वदेश में उनकी तीव्र, अत्यधिक कूटनीतिक-विदेश यात्राओं के लिए होती है. अभी वे पांच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विटजरलैंड, अमेरिका व मैक्सिको की छह दिन की यात्रा पर रवाना हुए और इसकी पहली कड़ी में अफगानिस्तान पहुंचे हैं.प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी कम दिनों में कई देशों की यात्राएं करते हैं और बहुत तेजी से कामकाज निबटाते हुए बेहद प्रभावी भाषण भी देते हैं, जो मीडिया की सुर्खियां भी बनती हैं. स्वाभाविक रूप से उनके भाषण उस देश से जहां वे भाषण दे रहे होते हैं से भारत के संबंधों का पैमाना भी होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अफगानिस्तान में होते हैं, तो बेहद आत्मीयता वाला भाषण देते हैं. उनके भाषण का हर शब्द अफगानिस्तान से भारत के गहरे रिश्तों, लंबे सांस्कृतिक संबंध, रणनीतिक भागीदारी को बताता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज अफगानिस्तान ने वहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मान अमीर अमानुल्लाह खान आवार्ड से सम्मानित भी किया. पाकिस्तान व आतंकवाद प्रभावित देशों के कारण अफगानिस्तान भारत के लिए काफी सामारिक महत्व रखता है.

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प्रधानमंत्री ने भारत के सहयोग से वहां के हेरात प्रांत में 1700 करोड़ की लागत से बने बांध का उद्घाटन किया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ वे गहरी आत्मीयता से गले मिले और दोनों नेताओं ने साथ-साथ ऐतिहासिक मैत्री बांध का उदघाटन किया. प्रधानमंत्री ने पिछले साल के दिसंबर में वहां के नये संसद भवन के उदघाटन के लिए अपनी यात्रा को भी इस दौरान याद किया. इस बांध को पहले सलमा बांध के नाम से जाना जाता है, लेकिन अफगान सरकार ने भारत के सम्मान में इसे भारत-अफगान ऐतिहासिक मैत्री बांध का नाम दिया है.

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अफगान मौत के संवाहकों को दे रहे हैं संदेश


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, आज अफगानिस्तान के बहादुर लोग विनाश और मौत के संवाहक बलों को एक संदेश दे रहे हैं कि दमन और प्रभुत्व जीत नहीं सकेगा.उन्होंने कहा कि भारत राजनीतिक और भौगोलिक बाधाओं के बावजूद और यहां उसके मिशन पर आतंकी हमलों के बावजूद युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान के हर हिस्से में सहयोग करेगा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस डैम से सिर्फ पानी और बिजली ही नहीं मिलेगी, बल्कि इससे अफगानिस्तान के भविष्य को देखने का नया आशावादी नजरिया मिलेगा.

राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगान-भारत मैत्री बांध का उद्घाटन करने के बाद दिए संबोधन में मोदी ने आतंकवाद को खारिज करने के लिए अफगानिस्तान की जनता की तारीफ की और कहा कि उनके बीच विभाजन सिर्फ उन लोगों की मदद करेगा, जो इस देश पर बाहर से ‘‘शासन’ चलाना चाहते हैं. पीएम ने कहा कि वोट और डिवेट से अफगानिस्तान का भविष्य संवेरगा, बंदूक और हिंसा से नहीं

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह युद्ध अफगान निर्माण के लिए नहीं था, इसने तो अफगानों की पूरी एक पीढी का भविष्य चुरा लिया.’ उन्होंने कहा कि आज अफगानिस्तान के बहादुर लोग यह संदेश दे रहे हैं कि ‘‘तबाही और मौत तथा निषेध और प्रभुत्व कायम नहीं रहेगा.’ उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान आतंकवाद को हराने में सफल होगा, यह दुनिया ‘‘ज्यादा सुरक्षित और खूबसूरत होगी.’ पहले सलमा बांध केरूप में जाने जाने वाले अफगान भारत मैत्री बांध को पश्चिमी हेरात जिले में 1700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. इसका निर्माण भारत ने अफगानिस्तान के साथ विकास साझेदारी के तहत किया है. चिश्त-ए-शरीफ नदी के ऊपर बने इस बांध से 75 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा सकेगा और साथ ही 42 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा.

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ईरान सीमा के निकट है बांध

भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध नाम से जाना जाने वाला यह बांध पश्चिमी हेरात में चिश्त-ए-शरीफ नदी पर बना है जो कि ईरान सीमा के नजदीक है. इस बांध से यहां 75,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और करीब 42 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जायेगा. पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था. मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के पहलेपड़ाव में यहां पहुंचे हैं. छह माह से भी कम समय में मोदी की यह दूसरी अफगानिस्तान यात्रा है. इस परियोजना को भारत और अफगानिस्तान मैत्री की एतिहासिक ढांचागत परियोजना माना जा रहा है. हेरात शहर से 165 किलोमीटर दूर इस बांध के बनने से प्रांत की कृषि अर्थव्यवस्था को काफी बढावा मिलेगा. इससे 640 गांव को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.

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