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यूएस कांग्रेस में बोले पीएम मोदी, भारत के पड़ोस में पल रहा है आतंकवाद

वाशिंगटन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिये पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ‘भारत के पड़ोस में आतंकवाद का पोषण’ हो रहा है, और बिना कोई विभेद किये लश्कर ए तैयबा, तालिबान और आईएसआईएस जैसे आतंकी समूहों […]

वाशिंगटन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिये पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ‘भारत के पड़ोस में आतंकवाद का पोषण’ हो रहा है, और बिना कोई विभेद किये लश्कर ए तैयबा, तालिबान और आईएसआईएस जैसे आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने पर जोर दिया जो ‘घृणा, हत्या और मौत की विचारधारा साझा’ करते हैं. अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ ‘एक स्वर’ में लड़ाई लड़ी जानी चाहिए, साथ ही उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को बढावा देने और उसका अनुपालन करने वालों को पुरस्कृत करने से इंकार करके अमेरिकी संसद द्वारा स्पष्ट संदेश देने की सराहना की.

उनका आशय प्रत्यक्षत: पाकिस्तान को आठ एफ-16 लडाकू विमानों की बिक्री का मार्ग अवरुद्ध करने की घटना से था. अपने 45 मिनट के भाषण में उन्होंने भारत और अमेरिका के बढ़ते संबंधों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण आयामों की चर्चा की जिसमें विशेष तौर पर असैन्य परमाणु सहयोग शामिल है.प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को ‘अतीत के बाधाओं’ को पीछे छोड़ना चाहिए क्योंकि ‘भविष्य का आधार ठोस’ बन चुका है. अपने चिर- परिचित सफेद कुर्ता पायजामा और स्लेटी रंग की जैकेट पहने मोदी का अमेरिकी सांसदों ने गर्र्मजोशी से स्वागत किया और उनके संबोधन के दौरान बीच बीच में 40 से अधिक बार तालियां बजाकर उनका उत्साह बढाया और कई बार खडे होकर गर्मजोशी भरा भाव प्रकट किया.

जब 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था तब उनके भाषण के दौरान 33 बार तालियां बजी थीं. तत्कालीन प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार संजय बारु ने यह बात बतायी. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका विश्व शांति और समृद्धि की परिदृष्टि को साझा करते हैं.

उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के समक्ष आतंकवाद सबसे बडा खतरा बना हुआ है और इससे कई स्तरों पर लडा जाना चाहिए क्योंकि पारंपरिक सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक उपाय अकेले इन्हें परास्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है. मोदी ने कहा, ‘‘भारत की पश्चिमी सीमा से अफ्रीका तक यह अलग अलग नामों से है..यह लश्कर ए तैयबा से तालिबान और फिर आईएसआईएस के अलग अलग नामों से हैं. लेकिन इनकी विचारधारा एक है, यह घृणा, हत्या और हिंसा की.

आतंकवाद की लड़ाई में दोनों देशों ने नागरिकों व सैनिकों को खोया

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लडाई में अपने नागरिकों और सैनिकों को खोया है, साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि किस प्रकार से 2008 के मुम्बई आतंकी हमले के बाद अमेरिका भारत के साथ खडा रहा था. भारत..अमेरिकी संबंध को गतिशील भविष्य का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच गठजोड एशिया से अफ्रीका और हिन्द महासागर से प्रशांत महासागर तक शांति, समृद्धि और स्थिरता का वाहक बन सकता है. उन्होंने कहा कि यह गठजोड वाणिज्य के समुद्री मार्ग और सागरों में नौवहन स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमारा सहयोग और प्रभावी हो सकता है अगर अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं 20वीं सदी की सोच से आगे बढकर आज की हकीकत को प्रदर्शित करें. मोदी ने अपने संबोधन में मार्टिन लूथर किंग, महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद और अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र किया और कहा कि भारत और अमेरिकी दुनिया के सबसे बडे और पुराने लोकतंत्र हैं और हमें एक दूसरे के दर्शन और अनुभवों से काफी सीखने की जरुरत है ताकि नैसर्गिक सहयोगी बनें.

हमारे संस्थापकों ने रखा आधुनिक राष्ट्र का नींव

मोदी ने कहा,‘‘मेरे देश के 80 करोड लोग हर पांच साल पर मताधिकार की स्वतंत्रता का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन हमारे सभी 1.25 अरब नागरिक भय से मुक्त हैं , जिसका वो अपने जीवन के हर क्षण में इस्तेमाल करते हैं.’ अंग्रेजी में अपना भाषण देते हुए मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका ने अलग इतिहास, संस्कृतियों और आस्था से शक्ल लिया हो.

उन्होंने कहा, ‘‘उसके बावजूद हमारे देशों की लोकतंत्र में आस्था और हमारे देशवासियों के लिए स्वतंत्रता साझा है. सभी नागरिक समान हैं यह विचार अमेरिकी संविधान का मुख्य स्तंभ हो सकता है.’ मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन हमारे संस्थापकों ने भी समान मत साझा किया और भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता मांगी. नेक लोग थे जिन्होंने भारत ने जब नए राष्ट्र के तौर पर जन्म लिया तब भारत पर संदेह किया.हमने लोकतंत्र में अपनी आस्था जताई.इसके बावजूद, हमारी विफलता पर शर्त लगाई गई.लेकिन, भारत के लोग नहीं लडखडाए.

‘ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संस्थापकों ने एक आधुनिक राष्ट्र का निर्माण किया जिसमें स्वतंत्रता, लोकतंत्र और समानता इसकी आत्मा का सार है. ऐसा करते हुए उन्होंने सुनिश्चित किया कि हम अपनी वर्षों पुरानी विविधता की सराहना भी जारी रखें.

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