जिंदगी संकेत में बताती है भविष्य
दक्षा वैदकर दो छात्र थे, वो ज्योतिष विद्या में पारंगत एक गुरु से शिक्षा लेकर लौटे थे. उन्हें आजीविका की तलाश थी. दोनों ही ज्योतिष विद्या में पारंगत थे. घर जाते समय वह एक गांव में ठहरे, गांव के कुछ लोग मिलने आये. वे सभी अपने भविष्य के बारे में जानना चाहते थे. एक वृद्ध […]
दक्षा वैदकर
दो छात्र थे, वो ज्योतिष विद्या में पारंगत एक गुरु से शिक्षा लेकर लौटे थे. उन्हें आजीविका की तलाश थी. दोनों ही ज्योतिष विद्या में पारंगत थे. घर जाते समय वह एक गांव में ठहरे, गांव के कुछ लोग मिलने आये. वे सभी अपने भविष्य के बारे में जानना चाहते थे. एक वृद्ध महिला ने पहले छात्र से पूछा, ‘मेरा बेटा कई वर्षों से विदेश पढ़ाई के लिए गया हुआ है. उसके बारे में कोई खबर नहीं है.
वह घर कब आयेगा?
तभी अचानक गलती से उस वृद्धा के सिर पर रखी मटकी गिर कर टूट गयी.’ तब पहले छात्र ने कहा, ‘आपके पुत्र के साथ कोई हादसा हुआ है, अब वह नहीं लौटेगा’. यह सुनते ही वृद्ध महिला रोने लगी. तभी वहां गांव के मुखिया भी पहुंचे. उन्होंने रोती हुई उस महिला से कहा, ‘माता जी आप धीरज रखिए. शायद यह युवक ठीक से नहीं बता पाया हो.’ तब वह वृद्ध महिला दूसरे छात्र के पास पहुंची और अपनी समस्या को बताया. उसने कुछ देर तक चिंतन-मनन किया और कहा, माताजी आप घर जाइए आपका बेटा आपकी राह घर पर देख रहा है.
वृद्ध महिला जब घर पहुंची, तो उसने देखा सचमुच उसका लड़का घर पर उसकी राह देख रहा था. इस बात से वह बहुत खुश हो गयी. जब यह बात पहले छात्र को पता चली, तो उसने दूसरे छात्र से पूछा, ‘मित्र तुम्हें इस बात का पता कैसे चला?’ तब उसने बताया, ‘मित्र मैंने देखा कि वृद्ध माता को अपने बेटे से मिलने की चाह चरम तक पहुंच चुकी है. मटका टूटने से जल फैल गया.मटके का भूमि से मिलन हुआ. ये लक्षण मुझे पुर्नमिलन के बारे में बताते हैं और मैंने वही किया.’
यह कहानी हमें सीख देती है कि कभी-कभी जिंदगी संकेत में अपने रहस्य प्रकट करती है. जरूरत है तो उन संकेतों को समझने की और उस पर अमल करने की़
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in