छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित बस्तर में एक आदिवासी महिला की पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में हुई मौत को लेकर विवाद शुरु हो गया है.
सुकमा ज़िले की पुलिस ने मंगलवार को दावा किया कि माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में मड़कम हिड़मे नामक कथित हार्डकोर महिला माओवादी मारी गई है. इस ख़बर के साथ पुलिस ने कथित माओवादी मड़कम हिड़मे की जो तस्वीर जारी की, उसे लेकर विवाद शुरु हो गया.
बस्तर में लगभग दो दशकों तक काम कर चुके सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने गांव वालों के हवाले से दावा किया कि गांव में धान कूट रही मड़कम को सुरक्षाबल के जवान घर से उठा कर ले गये और बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी.
हिमांशु कुमार ने कहा, "मड़कम हिड़मे गांव की एक सीधी-साधी लड़की थी और जल्दी ही उसकी शादी होने वाली थी. लेकिन पुलिस उसे उठा कर ले गई. मड़कम को 20 गोली मारी गई और उसके बाद उसे एक नई वर्दी पहना दी गई. वर्दी पर एक भी गोली के निशान नहीं हैं."
मानवाधिकार संगठन ‘पीयूसीएल’ की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर लाखन सिंह ने कहा कि बस्तर में एक के बाद एक फ़र्ज़ी मुठभेड़ हो रहे हैं. सुरक्षाबलों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद हैं.
डॉक्टर सिंह ने कहा कि बस्तर के हालात कश्मीर और अफ़ग़ानिस्तान से भी ख़राब हैं.
इधर इस घटना के बाद आदिवासी नेता सोनी सोरी समेत कई संगठनों से जुड़े लोग बुधवार को मामले की सच्चाई जानने के लिये गोमपाड़ रवाना हुए. लेकिन सुरक्षा का हवाला दे कर इन सभी लोगों को पुलिस ने कोंटा में ही रोक लिया है.
इस टीम में शामिल आम आदमी पार्टी के राज्य सचिव नागेश बंछोर ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "हमें पुलिस ने कहा है कि शनिवार की सुबह हमें सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी. उसके बाद ही हम गोमपाड़ गांव तक जा सकेंगे."
इस पूरे मामले पर पुलिस का पक्ष जानने के लिये हमने सुकमा ज़िले के एसपी समेत पुलिस के कई आला अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया हमें नहीं मिल पाई.
हालांकि राज्य में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की कमान संभाल रहे डीएम अवस्थी ने कुछ समय पहले ही बस्तर समेत दूसरे ज़िलों के पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र लिख कर फर्ज़ी मुठभेड़ों से दूर रहने की चेतावनी दी थी. अवस्थी का कहना था कि आंकड़े बढ़ाने के लिये फर्ज़ी मुठभेड़ों का सहारा लेने वालों का बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
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