तकनीक और नये विचारों के मेल से शिक्षा को सुगम बनाते स्टार्टअप
एजुकेशन टेक्नोलॉजी भारत में लगातार नये स्टार्टअप्स शुरू हो रहे हैं और इन्हें वित्तीय मदद भी मिल रही है. लेकिन, एडटेक स्टार्टअप्स की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि आर्थिक संपन्नता के मौजूदा युग में तकरीबन सवा अरब की आबादी वाले देश में इसके विस्तार की असीम संभावनाएं हैं. दरअसल भारत में शिक्षा […]
एजुकेशन टेक्नोलॉजी
भारत में लगातार नये स्टार्टअप्स शुरू हो रहे हैं और इन्हें वित्तीय मदद भी मिल रही है. लेकिन, एडटेक स्टार्टअप्स की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि आर्थिक संपन्नता के मौजूदा युग में तकरीबन सवा अरब की आबादी वाले देश में इसके विस्तार की असीम संभावनाएं हैं.
दरअसल भारत में शिक्षा पर सरकार का व्यापक नियंत्रण है और ज्यादातर पारंपरिक संस्थान नये विचारों को आसानी से जगह नहीं देते हैं. यही कारण रहा है कि ई-कॉमर्स की भांति देश में एडटेक यानी एजुकेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप अब तक ज्यादा उड़ान नहीं भर पाये हैं. चूंकि भारत में इस सेक्टर में निवेश करना ज्यादा जोखिम भरा माना गया है, इसलिए वेंचर कैपिटल इनवेस्टर्स इस ओर आकर्षित नहीं होते.
वेंचर कैपिटल एनालिटिक्स फर्म ट्रैक्सन के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष वेंचर कैपिटल फ्लो का एक फीसदी से भी कम हिस्सा एडटेक स्टार्टअप्स को मिला है. इतना ही नहीं, ग्लोबल एडटेक फंडिंग के मामले में भी भारतीय एडटेक स्टार्टअप्स में यह हिस्सेदारी दो फीसदी से कम रही.
हालांकि, पिछले वर्ष से इसमें बदलाव आ रहा है आैर कुछ ऐसे स्टार्टअप्स उभर कर सामने आये हैं, जिन्होंने इस मिथक को तोड़ा है और पिछले एक-डेढ़ वर्षों के दौरान निवेशकों को आकर्षित करने में कुछ हद तक कामयाबी हासिल की है. इन्हीं में से कुछ प्रमुख एडटेक स्टार्टअप्स के बारे में बता रहा है आज का यह पेज…
सिंप्लीलर्न
सिंप्लीलर्न को खास तौर पर आइटी प्रोफेनल्स के लिए बनाया गया, जो आगे बढ़ने के लिए अपने स्किल्स को अपग्रेड करने के साथ उसे प्रमाणित करना चाहते हैं. वर्ष 2010 में स्थापित किये गये इस स्टार्टअप के करीब 60 फीसदी यूजर्स अमेरिकी हैं, जहां ऑनलाइन सीखनेवालों की तादाद ज्यादा है. लेकिन भारत में स्मार्टफोन और इंटरनेट कवरेज के दायरे के विस्तार से यहां भी इनके यूजर्स की संख्या बढ़ रही है. एकेडमिक पोर्टल कोर्सेरा की तरह सिंप्लीलर्न भी करियर निर्माण के लिए यूजर्स को 300 से ज्यादा कोर्स ऑफर कर रहा है.
फाउंडर : एनआइटी सूरथकल से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट कृष्ण कुमार इसके फाउंडर और सीइओ हैं, जबकि माइकल स्टेबिंस इसके चीफ इनोवेटिव ऑफिसर हैं. आइआइटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट जितेंद्र कुमार इसके चीफ टेक्नोलॉजी
ऑफिसर हैं.
इसके यूजर्स ऐसे वर्किंग प्रोफेशनल्स हैं, जो अपनी स्किल्स को अपग्रेड करना चाहते हैं. यह उद्यमिता और डिजिटल बिजनेस मैनेजमेंट से संबंधित है. उद्यमिता, डिजिटल मार्केटिंग, प्रोड्यूस मैनेजमेंट, डाटा एनालिटिक्स, एंड्रॉयड एप्प डेवलमेंट और एंजेल इनवेस्टिंग इसके प्रमुख कोर्स में शामिल हैं.
फाउंडर : मीडिया मैग्नेट रोनी स्क्रूवाला ने जुलाई, 2015 में इसकी स्थापना की थी. बर्टल्समैन इंडिया इनवेस्टमेंट के पूर्व वाइस-प्रेसिडेंट रह चुके मयंक कुमार इसके को-फाउंडर और एमडी हैं. आइआइटी दिल्ली से पढ़ चुके रविजोत चुग भी इसके को-फाउंडर हैं. इसके एकेडमिक ग्रुप में रवि वेंकटेशन जैसे लोग हैं, जो वर्ष 2004 से 2011 तक माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के चेयरमैन रह चुके हैं.
टॉपर
जैसा कि इसके नाम से झलक रहा है, यह स्टार्टअप छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं में सफलता दिलवाने के लिए उन्हें प्रैक्टिस टेस्ट की सुविधा के साथ फीडबैक रिपोर्ट्स मुहैया कराता है. इस स्टार्टअप का मानना है कि तकनीक के जरिये बड़ी-से-बड़ी समस्याओं को सुलझाया जा सकता है. लिहाजा तकनीक के जरिये यह शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाना चाहता है. फाउंडर : इसके फाउंडर जिशान हयात और हेमंत गोटेटी आइआइटी बॉम्बे से पढ़ चुके हैं. अपने अनेक सहयोगियों के साथ मिल कर वर्ष 2013 में इन्होंने इस स्टार्टअप की शुरुआत की थी.
कल्चर एलेय
स्पेनिश, मंदारिन, पुर्तगाली आदि विदेशी भाषाएं सीखनेवालों के लिए यह बेहद कारगर प्लेटफार्म है. लेकिन अंगरेजी के वर्चस्व को समझते हुए इस स्टार्टअप ने ‘हेलो इंगलिश एप्प’ के तौर पर फ्री एजुकेशनल एप्प लॉन्च किया, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में बेहद लोकप्रिय हो चुका है. कल्चरएलेय द्वारा विकसित किया गया ‘हेलो इंगलिश एप्प’ पिछले दिनों अंगरेजी सीखने के लिहाज से भारत में अग्रणी स्थान पर रह चुका है.
मेरिटनेशन
भारत और मध्यपूर्व के देशों में यह केजी से लेकर 12वीं तक के बच्चों को ऑनलाइन क्लास व ट्यूशन की सुविधा मुहैया कराता है. विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह मल्टीमीडिया ट्यूटोरियल्स, इंटेरेक्टिव एक्सरसाइज और प्रैक्टिस टैस्ट के माध्यम से छात्रों को काेचिंग देता है.
फाउंडर : आइआइएम बेंगलुरू से पढ़ चुके पवन चौहान इसके संस्थापक हैं.
स्कूलगुरु
तकरीबन सभी एडटेक स्टार्टअप्स कंज्यूमर-ओरिएंटेड यानी ग्राहकों पर आधारित हैं. लेकिन, मुंबई का यह स्टार्टअप स्कूलगुरु इससे अलग है. यह देश में 12 यूनिवर्सिटीज में उनके छात्रों को इ-लर्निंग मुहैया कराता है. इसके इ-लर्निंग इंफ्रास्ट्रक्चर को इंस्टॉल करते हुए ये यूनिवर्सिटीज छात्रों को आॅनलाइन पढ़ाने की इंतजाम करने में सक्षम होते हैं.
फाउंडर : शांतनु रूज इसके फाउंडर और सीइओ हैं, जबकि रवि रंगन इसके को-फाउंडर और प्रेसिडेंट हैं.
(नोट : आलेख के कुछ तथ्य ‘टेक इन एशिया डॉट कॉम’ से लिये गये हैं)
वेदांतु
यह स्टार्टअप भी परीक्षा की तैयारी ही कराता है, लेकिन कुछ अलग तरीके से. यह शिक्षकों के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस मुहैया कराता है, जहां वन-ऑन-वन लाइव ट्यूटरिंग का इंतजाम किया गया है. छात्र यहां ट्रायल सेशन भी ले सकते हैं. ऑडियो-विजुअल टूल के सहारे छात्रों को पढ़ाया जाता है.
फाउंडर : आइआइटी ग्रेजुएट वामसी कृष्णा, सौरभ सक्सेना, पुलकित जैन और आनंद प्रकाश ने मिल कर इस स्टार्टअप का गठन किया था.
कामयाबी की राह
कारोबार शुरू करने से पहले जानें कुछ जरूरी तथ्यों को
मौजूदा इनोवेटिव और बाजारू युग में रोज नये-नये स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं. हालांकि, सभी स्टार्टअप कामयाब नहीं हो रहे, लेकिन यदि आप सूझ-बूझ से काम लेते हैं, तो आपके स्टार्टअप की कामयाबी की उम्मीद बढ़ जाती है़ जानते हैं कुछ ऐसे फैक्टर्स के बारे में, जिन पर अमल करते हुए आप अपने कारोबार को कामयाब बना सकते हैं :
– पूंजी का अध्ययन : बिजनेस का आधार उसकी पूंजी होती है. इसलिए कारोबार को शुरू करने से पहले अपनी अनुमानित पूंजी की जांच कर लें. आपके पास कितनी रकम है और अन्य प्रकार की पूंजी के रूप में क्या-क्या उपलब्ध है, इसे तय करना जरूरी है. क्योंकि पूंजी व्यापार की नींव है, इसलिए आपको अपनी पूंजी के अनुरूप ही कारोबार का चयन करना चाहिए.
– बाजार का अध्ययन : किसी भी नये कारोबार को शुरू करने से पहले बाजार में उसकी डिमांड और सप्लाइ दोनों को जानना बेहद जरूरी है. आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपका प्रोडक्ट ग्राहकों की जरूरत और सुविधा के अनुरूप होने के साथ अफोर्डेबल रेट पर उपलब्ध हो.
– योजनाबद्ध तरीके से करें शुरुआत : आजकल हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा है, इसलिए आपको इससे घबराना नहीं चाहिए. आपको अपनी मजबूती को समझना चाहिए कि आप इस प्रतिस्पर्धी माहौल में खुद को कैसे स्थापित करेंगे. आपके पास अपने प्रोडक्ट या सर्विस को बेचने के लिए एक यूनिक सेलिंग पॉइंट होना चाहिए.
– कैश फ्लो पर रखें नजर : नये कारोबार में खुद को स्थापित करने के लिए उधार देने की क्षमता होना जरूरी है. पर आपको ऐसा करते समय बहुत सावधानी से काम करना चाहिए. किसी ग्राहक को उधार देते समय बाजार में उसकी क्रेडिबिलिटी के बारे में पता करना होगा. संतुष्ट होने पर ही आपको उसे उधार देना चाहिए, अन्यथा आपका कैश फ्लो सिस्टम गड़बड़ हो सकता है.
– लागत कम करने की कोशिश : ग्राहक हमेशा अपना फायदा देखता है. इसलिए आपको हमेशा यह जानते रहना होगा कि आप अपने प्रोडक्ट या सर्विस की लागत को कैसे कम कर सकते हैं. आपको इन तरीकों को अपनाना होगा, जिससे ग्राहक आपके साथ बने रहेंगे.
– बिक्री बढ़ाने और मार्केटिंग पर फोकस : केवल अच्छा प्रोडक्ट बना लेना ही पर्याप्त नहीं है. नये कारोबार को स्थापित करने के लिए उसकी बिक्री लगातार बढ़ती रहनी चाहिए, इसके लिए आपको प्रचार और प्रोडक्ट की डिलिवरी पर खास ध्यान देना चाहिए. हालांकि, कई कारोबार इसके लिए डिस्काउंट का सहारा लेते हैं, लेकिन लंबे समय के लिए यह तरीका कारगर नहीं होता.
स्टार्टअप क्लास
एक बड़ी टीम से ज्यादा अच्छे आइडिया की जरूरत
सरकार की ओर से स्टार्टअप को प्रोत्साहन मिलने के कारण आज बड़ी संख्या में युवा अपना उद्यम शुरू करना चाहते हैं. ऐसे युवाओं की आरंभिक जानकारियों को पुख्ता करते हुए इनकी आगे बढ़ने की राह को आसान बनाने में सहयोग दे रहे हैं दिव्येंदु शेखर. कई ग्लोबल फाइनेंशियल और कंज्यूमर कंपनियों में ये अग्रणी भूमिका में रह चुके हैं.
वर्ष 2008 में इन्होंने एक अपना स्टार्टअप भी शुरू किया था, जिसे सफलतापूर्वक चलाने के बाद 2011 में बेच दिया. फिलहाल ये ग्लोबल कॉरपोरेशंस और स्टार्टअप्स को इ-कॉमर्स और फाइनेंशियल प्लानिंग में सुझाव देते हैं. प्रस्तुत हैं इनसे किये गये कुछ चुनिंदा सवाल और उनके जवाब :
– किसी उद्यम को कब स्टार्टअप कहा जा सकता है? किस स्टेज के बाद उसे कंपनी कहा जाता है?
स्टार्टअप एक ऐसा उद्यम होता है, जो नयी तकनीक या नये प्रोडक्ट पर आधारित होता है. आज के जमाने में स्टार्टअप मूलतः नयी तकनीक का इस्तेमाल करनेवाले छोटे उपक्रमों को कहा जाता है. कुछ लोग पुराने उपक्रमों- जैसे राशन और रोजाना की खरीद-फरोख्त के काम को भी नये तरीके से करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे उपक्रमों को भी स्टार्टअप कहा जा सकता है. एक स्टार्टअप और कंपनी में केवल उम्र का फर्क होता है. आम तौर पर कोई स्टार्टअप जब पुराना होने लगता है, तो उसे कंपनी कहा जाने लगता है.
– स्टार्टअप और कंपनी में मूल फर्क क्या है?
हर स्टार्टअप एक कंपनी होता है. लेकिन हर कंपनी स्टार्टअप नहीं. नयी कंपनी को स्टार्टअप कहा जाता है. आम तौर पर 10 साल से कम पुराने उद्यम स्टार्टअप
कहलाते हैं.
– कम-से-कम कितने लोग मिल कर स्टार्टअप की शुरु कर सकते हैं?
एक व्यक्ति भी स्टार्टअप शुरू कर सकता है. इसके लिए बस एक अच्छे आइडिया और भरोसे की जरूरत होती है. बाद में इसे बढ़ाने के लिए एक अच्छी टीम की जरूरत होती है.
दुनिया के कुछ सबसे बड़े स्टार्टअप को किसी अकेले व्यक्ति ने ही खड़ा किया है. व्हॉट्सएप्प इसका सबसे बड़ा उदहारण है. एक आदमी ने इसे सात महीने तक अकेला चलाया था. जब फेसबुक ने इसे तकरीबन एक लाख करोड़ में खरीदा तब भी व्हॉट्सएप्प की टीम में कुल 55 लोग ही थे. एक अच्छे स्टार्टअप के लिए बड़ी टीम से ज्यादा अच्छे आइडिया की जरूरत होती है.
स्टार्टअप के पंजीकरण की प्रक्रिया जिला मुख्यालय या राज्य की राजधानी में कहां यानी किस कार्यालय में होती है?
स्टार्टअप अलग से पंजीकृत नहीं होते. ये एक साधारण फर्म या कंपनी के तौर पर पंजीकृत होते हैं. वैसे तो आप ये काम खुद भी कर सकते हैं, लेकिन मैं सलाह दूंगा कि इसके लिए आप एक सीए यानी चार्टर्ड एकाउंटेंट की मदद लें. फर्म रजिस्टर करने के लिए आपको एक पार्टनरशिप डीड बनानी पड़ेगी, जिसे आप किसी भी जिला न्यायालय में सत्यापित करवा सकते हैं.
कंपनी पंजीकृत करवाने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है और यह प्रक्रिया आप ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट एमसीए डॉट जीओवी डॉट इन’ पर शुरू कर सकते हैं. मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स की शाखा हर राज्य में है और आप वहां भी अपना आवेदन दे सकते हैं
300 गावों में बनेगा स्टार्टअप विलेज
बड़े शहरों को कॉमर्शियल हब के रूप में विकसित करने के बाद अब बारी गांवों की है़ केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम स्टार्टअप इंडिया के तहत स्टार्टअप विलेज के तौर पर देश के 100 गांवों का चयन किया जा रहा है़ केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय की योजना मार्च, 2018 तक 100 स्टार्टअप विलेज को विकसित करने की है़ इस योजना के जरिये सरकार छोटे-छोटे गांवों में नये कारोबारियों को कारोबार करने का मौका देना चाहती है़
इससे गांवों में ज्यादा रोजगार पैदा होंगे़ इन गांवों में युवाओं को आइटी, कचरा प्रबंधन, चिकित्सा उपकरण के निर्माण सहित अलग-अलग क्षेत्रों में ट्रेनिंग और उससे जुड़े रोजगार को शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा़ इसके लिए सरकार नये कारोबारियों से गांवों को विकसित करने के लिए सुझाव मांगेगी और उसके आधार पर स्टार्टअप शुरू करने के लिए उन्हें वित्तीय मदद और टैक्स संबंधी छूट मुहैया करायी जायेगी़ इस योजना का मकसद गांवों में रोजगार के साधन पैदा करना और वहीं रोजगार लगाने की सारी सुविधाएं मुहैया कराना है, ताकि गांवों से होने वाले पलायन को रोका जा सके़