पेइचिंग/नयीदिल्ली : चीन ने कहा है कि दक्षिण कोरिया के सोल में हो रही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी की बैठक के एजेंडे में भारत को इसकी सदस्यता देने का मुद्दा शामिल नहीं है.चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता होवा चुनिइंग ने आज कहा कि एनएसजी की वार्षिक बैठक में नये सदस्यों को शामिल किया जाना एजेंडे में कभी नहीं रहा. उन्होंने कहा कि बिना परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किये भारत को इसकी सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए और अगर उसे इसकी सदस्यता मिलती है तो अन्य दूसरे देशों जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं उन्हें भी सदस्यता मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भारत के विदेश सचिव ने चीन यात्रा के दौरान एनएसजी सदस्यता के मुद्दे पर बात की थी. होवा चुनिइंग के अनुसार, दोनों पक्षों ने उस दौरान अपनी-अपनी बात रखी.
चीन का यह बयान इस मायने में अहम है कि उसके विरोध के बाद इस महत्वपूर्ण समूह में भारत की सदस्यता की राह मुश्किल होसकतीहै. हालांकि रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने कल कहा है कि वे चीन से भारत के समर्थन देने के मुद्दे पर बात करेंगे और उससे पूछेंगे कि वह क्यों विरोध कर रहा है.पुतिन ने सोल में एनएसजी की बैठक में भारत से जुड़े मुद्दे को उठाने की बात कही है.शनिवार को रूस के राष्ट्रपतिपुतिनचीन के दौरे परभीजायेंगे. इस दौरान वे वहां अपने चीनी समकक्ष शी चिनफिंग से वार्ता करेंगे.
India's NSG membership not on Seoul meet agenda: China.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 20, 2016
उल्लेखनीय है कि 48 सदस्यीय एनएसजी के नियमों के अनुसार, अगर एक भी सदस्य किसी नये देश को उसका सदस्य बनाने का विरोध करता है, तो दावेदार देश को उसकी सदस्यता नहीं दी सकती है. दुनिया भर के ज्यादातर देश जहां एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत का समर्थन कर रहे हैं, वहीं चीन भारत का विरोध कर रहा है. चीनभारत को सदस्यता देने के एवज में चाहता है कि पाकिस्तान को भी इसकी सदस्यता मिले. चीन के थिंक टैक ने अपने आलेख में यह शंका जतायी थी कि भारत को अकेले सदस्यता देने के शक्ति संतुलन बिगड़ेगा. एनएसजी की सदस्यता मिलने से परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सदस्य देश को कई विशेषाधिकार मिल जाते हैं.
With NSG members still divided, it is not mature to talk about the entry of new countries: China.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 20, 2016
कल ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में उम्मीद जतायी थी कि भारत को इस साल के अंत तक एनएसजी की सदस्यता मिल जायेगी. उन्हेंने कहा था कि चीन ने समूह में भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया है, बल्कि केवल सदस्यता के मापदंडों और प्रक्रिया की बात कही है. भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर भी भारत को एनएसजी सदस्यता दिलाने के मुद्दे पर चीन का समर्थन हासिल करने पेइचिंग का दौरा कर चुके हैं.
सोल में 24 जून तक चलेगी बैठक
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह – एनएसजी की बैठक दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में आज से शुरू हुई है. यह बैठक 24 जून तक चलेगी. भारत के सरकारी रेडियो आकाशवाणी ने पूर्व में खबर दी थी कि लगभग सप्ताह भर की इस बैठक में 48 देश 24 जून को वार्षिक पूर्ण बैठक में एनएसजी में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं.
कौन समर्थन में, कौन विरोध में?
अबतक दुनिया के 21 देश ने भारत को सीधे-सीधे एनएसजी मेंबरशिप के लिए सपोर्ट करने की बात कही है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, स्विटजरलैंड, मैक्सिको जैसे देश शामिल हैं. जबकि, चीन, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका व आस्ट्रिया एक प्रकार से भारत के खिलाफ हैं. विरोध करने वाले देश भारत के परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने सहित दूसरे बहाने बनाते हैं. इसी महीने नौ-दस तारीख को विएना में भी एनएसजी की बैठक हुई थी, जिसमें भारत की सदस्यता पर विचार नहीं किया जा सका था और कहा गया था कि दक्षिण कोरिया में होने वाले पूर्ण अधिवेशन में इस पर चर्चा की जायेगी.