कश्मीर में बढ़ रहा है नाइट टूरिज़्म

माजिद जहांगीर श्रीनगर से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए दिल्ली से सैर सपाटे के लिए कश्मीर डॉक्टर माधव भारत प्रशासित कश्मीर आए हैं. रात के क़रीब दस बजे हैं और वो डल झील के किनारे बैठकर झील में नहाने वाली रोशनी को दिलचस्पी से देख रहे हैं. डॉक्टर माधव को कश्मीर में किसी तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2016 10:03 AM
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दिल्ली से सैर सपाटे के लिए कश्मीर डॉक्टर माधव भारत प्रशासित कश्मीर आए हैं. रात के क़रीब दस बजे हैं और वो डल झील के किनारे बैठकर झील में नहाने वाली रोशनी को दिलचस्पी से देख रहे हैं.

डॉक्टर माधव को कश्मीर में किसी तरह का डर महसूस तो नहीं हो रहा है, लेकिन वो बताते हैं कि कश्मीर के हालात कभी न कभी बिगड़ते रहते हैं.

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वो कहते हैं, "ये सुनने में आता है कि कश्मीर में हालात में स्थिरता नहीं रहती है जिसकी वजह से बीच बीच में पर्यटन प्रभावित होता है. अगर हम सुरक्षा के नज़रिए से देखें तो ऐसा कभी सुनने को नहीं मिलता है कि कश्मीर में हालात हमेशा बेहतर रहते हैं."

30 साल की मनीषा मध्य प्रदेश से पहली बार कश्मीर आई हुई हैं.

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जब मनीषा कश्मीर के लिए चली थीं तो उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि वो देर रात तक कश्मीर में घूम फिर सकती हैं.

उनका कहना है, "हम ये सोच कर आए थे कि दूसरे शहरों की तरह कश्मीर में देर रात तक बाज़ार खुले नहीं रहते, लेकिन ऐसा यहां कुछ भी नहीं है, हमें यहां बहुत मज़ा आ रहा है."

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कश्मीर में साल 1990 में हथियारबंद आंदोलन शुरू होने के साथ ही यहां का पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ. कई साल तक एक आम पर्यटक कश्मीर का नाम लेने से भी डर जाता था.

लेकिन पिछले कुछ साल में कश्मीर के पर्यटन उद्योग में एक बार फिर से जान आ गई है.

साल 2011-12 में लाखों पर्यटक कश्मीर आए थे.

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मध्य प्रदेश की 80 साल की मालिनी को कश्मीर के हालात पर भरोसा तो है, लेकिन साथ ही उनका ये भी कहना है कि डर की वजह से ज़्यादातर लोग आ नहीं पाते हैं.

वो बताती हैं, "हम ये सुनते हैं कि यहां चरमपंथ है और इसी कारण ज़्यादातर लोग यहां आ नहीं पाते हैं."

कश्मीर के पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग अपनी कमाई को रात देर तक पर्यटकों के घूमने-फिरने से जोड़ते हैं.

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30 साल के ज़ुबैर अहमद हर दिन शाम सात बजे के बाद डल झील के किनारे पटरी पर शाल बेचते हैं.

उनका कहना है, "मैं पिछले सात साल से हमेशा यहां शाल बेचने आता हूं. हम रात के बारह बजे तक यहां बैठते हैं और बाहर से आने वाले पर्यटक भी बराबर इसी समय तक यहां घूमते हैं और ख़रीदारी करते हैं. हमारी कमाई इन्हीं से होती है. "

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शिकारा चलाने वाले मुख़्तार अहमद कहते हैं कि वो रात के बारह बजे तक भी पर्यटक को डल की सैर कराते हैं.

सरकारी स्तर पर भी आने वाले दिनों में कश्मीर में ‘नाइट टूरिज़्म’ को बढ़ावा देने की कई योजनाएँ हैं.

कश्मीर पर्यटन विभाग के डायरेक्टर अहमद महमूद शाह बताते हैं, "हम पर्यटकों के लिए हरी पर्वत फ़ोर्ट, निशात और शालीमार बाग में शाम की मनोरंजन के लिए लाइट और साउंड जैसे प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं."

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दूसरी तरफ़ कुछ देशों ने अपने नागरिकों के लिए कश्मीर जाने पर ट्रेवल एडवाइजरी को हटाया नहीं है.

जम्मू कश्मीर पिलग्रिम एंड लेजर टूर ऑपरेटर फोरम के चेयरमैन नसीर अहमद कहते हैं कि कश्मीर में नाइट टूरिज़्म को बढ़ावा देने की ज़रूरत है. साथ ही उनका ये भी कहना है कि कश्मीर के जो हालात हैं उसकी वजह से भी विदेशी पर्यटक आने से डरते हैं.

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वो कहते हैं, "कई देशों ने अपने नागरिकों के लिए कश्मीर आने का ट्रेवल एडवाइजरी अभी तक हटाया नहीं है. अभी तक कश्मीर से आर्म्ड फ़ोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट हटाया नहीं गया है. भारत के पर्यटक भी कश्मीर आने से पहले डरते हैं, फिर भी वो एक-दूसरे से सुन कर यहां आ ही जाते है, लेकिन हंदवारा जैसे मामले हमारे काम पर बुरा असर डालते हैं."

नसीर अहमद का ये मानना है कि आज कल डल झील के इलाक़े में देर रात तक पर्यटक घूमते हैं और ख़रीदारी करते हैं, ये भी एक तरह का नाइट टूरिज़्म है.

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