मिशन NSG: कैसे टूटेगी चीन की ”दीवार”
ताशकंद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को चीन से भारत की एनएसजी सदस्यता की कोशिश का समर्थन करने का अनुरोध किया, लेकिन चीन के नेतृत्व में इसके सख्त विरोध के चलते 48 सदस्यीय समूह की बैठक में इस मुद्दे पर कोई सफलता नहीं मिल पायी है. मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताशकंद […]
ताशकंद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को चीन से भारत की एनएसजी सदस्यता की कोशिश का समर्थन करने का अनुरोध किया, लेकिन चीन के नेतृत्व में इसके सख्त विरोध के चलते 48 सदस्यीय समूह की बैठक में इस मुद्दे पर कोई सफलता नहीं मिल पायी है. मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताशकंद में मुलाकात की, जबकि दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में एनएसजी सदस्यों की रात्रिभोज के बाद की विशेष बैठक में भारत का मामला उठा. हालांकि यह औपचारिक एजेंडा में नहीं था.
एनएसजी के सदस्य देश इसमें भारत के प्रवेश को लेकर विभाजित हैं, क्योंकि भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. समझा जाता है कि भारत की सदस्यता के मुखर विरोधी चीन के अलावा तुर्की, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड और आयरलैंड ने भी यह रुख अख्तियार किया कि भारत के मामले में कोई अपवाद नहीं बनाया जा सकता. जाहिर है कि मोदी का अनुरोध चीन के रुख में बदलाव नहीं ला पाया, लेकिन एनएसजी की दो दिवसीय पूर्ण बैठक के आखिरी दिन शुक्रवार को क्या होता है, उसे देखना फिलहाल बाकी है. हालांकि, एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत जैसे देशों को सदस्य बनाने का मुद्दा एजेंडा में नहीं था,
लेकिन समझा जाता है कि जापान और कुछ अन्य देशों ने उदघाटन सत्र में इस विषय को उठाया, जिसके चलते रात्रिभोज के बाद की विशेष बैठक में इस पर विचार किया गया. भारत के मामले पर जोर देने के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर के नेतृत्व में भारतीय राजनयिक सोल में हैं. हालांकि, भारत की सदस्यता के अभाव में वे पूर्ण बैठक में प्रतिभागी नहीं हैं. लेकिन, उन्होंने इस सिलसिले में कई प्रतिनिधिमंडलों के नेताओं से मुलाकात की. पूर्ण बैठक में 48 सदस्य देशों के करीब 300 प्रतिभागी शरीक हो रहे हैं, जिसके पहले आधिकारिक स्तर का सत्र 20 जून को शुरू हुआ था. इससे पहले भारत की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन मांगते हुए मोदी ने शी से भारत के आवेदन पर एक निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करने का अनुरोध किया. ये दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के लिए ताशकंद में हैं.
मोदी ने आग्रह किया कि नयी दिल्ली के मामले का उसके खुद के गुण दोष पर फैसला किया जाना चाहिए और सोल में एक आम राय बनाने में चीन को योगदान देना चाहिए. हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने संकेत दिया कि शी ने तत्काल कोई वादा नहीं किया है. साथ ही, उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, ‘आप जानते हैं कि, यह एक जटिल और नाजुक प्रक्रिया है. हम इंतजार कर रहे हैं कि सोल से किस तरह की खबर आती है. मैं इस पर कोई और टिप्पणी नहीं करूंगा.’ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता कितना महत्व रखता है यह इस बात से पता चलता है कि मोदी और शी की बैठक में यही विषय छाया रहा. इस समूह की सदस्यता भारत को परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार में सक्षम बनायेगा. चीन एनएसजी की भारत की सदस्यता के लिए एनपीटी पर हस्ताक्षर कर्ता होने की अर्हता के अपने रुख पर अडिग है और भारत के मामले को पाक से जोड़ रहा है, जिसकी वह हिमायत कर रहा.
-एनपीटी पर भारत के दस्तखत नहीं करने के कारण चीन, तुर्की, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश भारत की सदस्यता के विरोध में हैं
-मोदी ने शी से कहा: चीन को भारत के मामले पर एनएसजी सदस्यों में बन रही सहमति से जुड़ना और योगदान देना चाहिए. चीन को एनएसजी सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का निष्पक्ष एवं तटस्थ आकलन करना चाहिए