देश में दो करोड़ ‘विंटर ब्लूज’ के शिकार
पश्चिमी देशों की आम समस्याएं निराशा, एकाकीपन, अरुचि और नकारात्मक भावना भारतीयों को भी अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, सर्दियों की उदासी (विंटर ब्लूज) के नाम से पहचानी जानेवाली समस्या उत्तर भारत में अधिक देखने को मिलती है. पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च सेंटर की मनोविज्ञानी बृष्टि बर्काटकी ने बताया कि इस […]
पश्चिमी देशों की आम समस्याएं निराशा, एकाकीपन, अरुचि और नकारात्मक भावना भारतीयों को भी अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, सर्दियों की उदासी (विंटर ब्लूज) के नाम से पहचानी जानेवाली समस्या उत्तर भारत में अधिक देखने को मिलती है. पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च सेंटर की मनोविज्ञानी बृष्टि बर्काटकी ने बताया कि इस मौसम में लोग अलगाव और एकाकीपन जैसी भावनाओं की शिकायत करते हैं.
जीवन में आनेवाली छोटी-छोटी समस्याओं को भी बहुत बड़ा समझने लगते हैं और कई बार खुद से ही उसका इलाज भी करने लगते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में 1.5-2 करोड़ लोग सर्दियों की उदासी से प्रभावित होते हैं. सर्दी के मौसम में घर से बाहर निकलना कम होने और धूप नहीं मिल पाने के कारण यह संख्या बढ़ती जा रही है.
जैव रासायनिक असंतुलन है वजह
सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार राजीव मेहता ने कहा कि सर्दियों की उदासी या मौसम प्रभावित अवसाद धूप की अवधि कम होने से मस्तिष्क में जैव रासायनिक असंतुलन के कारण पैदा होता है. उन्होंने कहा कि इस मौसम में धूप की कमी के कारण स्ट्रोटाइनिन का स्तर घट जाता है और लोग उदासी महसूस करने लगते हैं. मेहता ने कहा, कड़ाके की ठंड के कारण शारीरिक गतिविधि का अभाव और घर से बाहर नहीं निकलने के कारण भी लोग एकाकीपन और उदासी महसूस करने लगते हैं. कई लोग शरीर दर्द, कब्ज और सिर दर्द की भी शिकायत करते हैं.