वाशिंगटन : दक्षिणी चीन सागर मामले में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले की तारीख नजदीक आने के बीच अमेरिका ने चीन से कहा है कि भारत ने जिस प्रकार अपने पडोसियों के साथ समुद्री विवादों का निपटारा किया है, उससे वह सीख ले.
अमेरिका की यह टिप्पणी सामरिक रुप से अहम दक्षिणी चीन सागर में परस्पर दावों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधिकरण के एक महत्वपूर्ण फैसले के पहले आयी है. पूर्वी एशिया के लिए उप सहायक रक्षा मंत्री अब्राहम डेनमार्क ने अमेरिकी कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान नीतिनिर्माताओं से कहा कि लगभग पूरे दक्षिणी चीन सागर (एससीएस) पर चीन के दावे के खिलाफ फिलीपीन के मुकदमे में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधिकण के अधिकार क्षेत्र पर चीन का रुख गैर..स्वीकार्यता और गैर..भागीदारी का रहा है.
उन्होंने कहा कि 2104 में ‘‘पर्मानेंट कोर्ट आफ आर्बिट्रेशन” ने तीन दशक पुराने समुद्री विवाद के एक मामले में भारत के खिलाफ बांग्लादेश के पक्ष में फैसला दिया था. यही अदालत अगले हफ्ते दक्षिणी चीन सागर पर फैसला देगी. शीर्ष पेंटागन अधिकारी ने भारत को श्रेय देते हुए कहा कि उसने फैसले को स्वीकार किया और उसका पालन किया है. मुद्दे के निपटारे से दोनों देशों के बीच परस्पर समझ में वृद्धि होगी और सौहार्द्र बढ़ेगा. यह एक उदाहरण है और हम चीन को इसका अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
हेग स्थित न्यायाधिकण के अगले हफ्ते फैसला सुनाने की संभावना है और इससे क्षेत्र में टकराव की आशंका भी बन गयी है. इस बीच फिलीपीन ने कहा कि अगर कानूनी विवाद में उसकी जीत होती है तो भी वह दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन चीन के साथ साझा करने के लिए तैयार है. फिलीपीन के विदेश मंत्री परफेक्टो यासय ने कहा कि फिलीपीन को उम्मीद है कि वह मंगलवार के फैसले के बाद जल्दी ही चीन के साथ सीधी बातचीत शुरू होगी.