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दक्षिण चीन सागर: चीन ने दी युद्ध की धमकी, ताइवान ने भेजा युद्धपोत

दक्षिण चीन सागर पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले से चीन नाराज हैं. उसने न्यायाधिकरण के फैसले को मानने से इनकार करते हुए श्वेत पत्र जारी किया है. चीन ने अपने प्रतिद्वंद्वियों से युद्ध भड़कने की धमकी दी है. वहीं, फैसले से नाराज ताइवान ने अपना युद्धपोत भेज दिया है. बीजिंग : दक्षिण चीन सागर (एससीएस) […]

दक्षिण चीन सागर पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले से चीन नाराज हैं. उसने न्यायाधिकरण के फैसले को मानने से इनकार करते हुए श्वेत पत्र जारी किया है. चीन ने अपने प्रतिद्वंद्वियों से युद्ध भड़कने की धमकी दी है. वहीं, फैसले से नाराज ताइवान ने अपना युद्धपोत भेज दिया है.

बीजिंग : दक्षिण चीन सागर (एससीएस) को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. एससीएस पर संयुक्त राष्ट्र समर्थित न्यायाधिकरण के फैसले को चीन ने मानने से इनकार कर दिया है. उसने न्यायाधिकरण के जजों को बाहरी ताकतों की कठपुतली बताया है और कहा है कि इस फैसले को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया जाना चाहिए. चीन ने इस बात पर जोर दिया कि उसे रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण दक्षिण चीन सागर पर एकतरफा वायु-सुरक्षा जोन घोषित करने का अधिकार है. यही नहीं, चीन ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को दक्षिण चीन सागर को लेकर युद्ध भड़कने की धमकी दी है. उसने चेतावनी दी है कि इसे युद्ध का क्षेत्र मत बनाइए. वहीं, ताइपे के दावों को कमजोर बताये जाने के बाद ताइवान ने अपने समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक युद्धपोत इस सागर के लिए रवाना कर दिया है.

चीन के रक्षा मंत्री जनरल चांग वानकान ने बुधवार को कहा कि चीन को मध्यस्थता अदालत के फैसले पर आधारित कोई भी कार्रवाई या सुझाव स्वीकार नहीं है. दक्षिण चीन सागर पर चीन का अधिकार और क्षेत्रीय संप्रभुता किसी भी आदेश से किसी भी हालत में प्रभावित नहीं होंगे.

वहीं, चीन के सहायक विदेश मंत्री लियु झेनमिन ने न्यायाधिकरण के फैसले की आलोचना करते हुए एक श्वेत पत्र जारी किया. उन्होंने कहा कि चीन की नौसेना दक्षिण चीन सागर में किसी भी वक्त सक्रिय हो सकती है, क्योंकि इस क्षेत्र पर चीन का अधिकार है. हम इस फैसले को स्वीकार नहीं करते और न ही इसे लागू करेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि यह केवल एक श्वेत पत्र है और इसे लागू नहीं किया जायेगा. बेहतर होगा कि इसे फेंक दिया जाये और बातचीत की राह पर लौट आया जाये. उन्होंने उम्मीद जतायी कि चीन और फिलीपींस के बीच फिर से बातचीत शुरू होगी. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि दक्षिण चीन सागर में पड़ोसी देश और आसियान देश मिल कर शांति और स्थिरता बनाये रखेंगे और विमानों के आवागमन की स्वतंत्रता बनाये रखेंगे. बता दें कि मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने एससीएस पर चीन के दावे को खारिज कर दिया था. न्यायाधिकरण ने फिलीपींस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि एससीएस पर चीन का कोई ऐतिहासिक अधिकार नहीं है.

वायु-सुरक्षा जोन बनायेगा चीन

अपने हक की रक्षा को प्रतिबद्ध : ताइवान
न्यायाधिकरण द्वारा दक्षिण चीन सागर पर ताइपे के दावों को कमजोर बताये जाने पर ताइवान ने अपने समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक युद्धपोत इस सागर के लिए रवाना कर दिया है. ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने सैनिकों से कहा कि ताइवानी अपने देश के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य है. मैं अपने हक की सुरक्षा के प्रतिबद्ध हैं.

भड़काऊ कदम नहीं उठाएं : अमेरिका

अमेरिका ने अपील की है कि वे एससीएस पर न्यायाधिकरण के निर्णायक फैसले के बाद विवादित क्षेत्र में भड़काऊ या स्थिति को बिगाड़नेवाले कदम नहीं उठाएं. व्हाइट हाउस ने कहा है कि हम निश्चित ही सभी पक्षों को प्रोत्साहित करेंगे कि वे इस न्यायाधिकरण की अंतिम एवं बाध्यकारी प्रकृति को स्वीकार करें. वे इसका इस्तेमाल स्थिति को और बिगाड़ने के तौर पर नहीं करें.

फैसले के प्रति सम्मान दिखाएं सभी पक्ष : भारत

भारत ने न्यायाधिकरण के फैसले को लेकर सभी संबंधित पक्षों से कहा है कि वे बिना किसी धमकी या बल प्रयोग के शांतिपूर्ण ढंग से विवाद का निपटारा करें तथा इस फैसले के प्रति पूरा सम्मान दिखाएं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के आधार पर नौवहन तथा निर्बाध वाणिज्य की स्वतंत्रता का समर्थन करता है. भारत का मानना है कि संबंधित देशों को धमकी या बल प्रयोग किए बिना शांतिपूर्ण ढंग से विवादों को निवारण करना चाहिए. वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि विभिन्न सरकारों की ओर से जारी किये गये सार्वजनिक बयानों में यदि कहा गया है कि विवाद का निपटान अंतरराष्ट्रीय नियम के पूर्ण पालन के साथ होना चाहिए, तो मुझे लगता है कि चीनी का भी यही रुख है.

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