स्वस्थ रहना है तो माघ माह में न खाएं चीनी!

क्वार करेला कार्तिक दही मरे नहीं तो परे सही।। यह पंक्ति हम लोगों ने अक्सर सुनी है. अधिकतर इस पर अमल भी करते हैं. आयुर्वेद के आजमाये हुए बचाव के उपायों में ये प्रमुखता से शामिल हैं. इसी प्रकार ‘माघ’ माह में मिश्री या चीनी का सेवन वजिर्त है. माघ माह आगामी पूर्णिमा यानी 14 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2014 8:30 AM

क्वार करेला कार्तिक दही

मरे नहीं तो परे सही।।

यह पंक्ति हम लोगों ने अक्सर सुनी है. अधिकतर इस पर अमल भी करते हैं. आयुर्वेद के आजमाये हुए बचाव के उपायों में ये प्रमुखता से शामिल हैं. इसी प्रकार ‘माघ’ माह में मिश्री या चीनी का सेवन वजिर्त है. माघ माह आगामी पूर्णिमा यानी 14 फरवरी तक है. भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में उपचार से ज्यादा बचाव के उपायों पर जोर दिया जाता है. यही कारण है कि दुनिया में आयुर्वेद को सम्मानित स्थान हासिल है. वैश्विक जन भारतीय योग और आयुर्वेद को सहर्ष स्वीकार रहे हैं.

जानें क्या है वजह : आयुर्वेद के अनुसार वात-पित्त-कफ का संतुलन ही स्वास्थ्य का मूल सिद्धांत है. उक्त महीनों में संबंधित पदार्थ का ज्यादा सेवन सेहत के इन तीन तत्वों के संतुलन में अन्य की तुलना में ज्यादा गड़बड़ी पैदा करता है.

आयुर्वेद में प्रत्येक माह में किसी एक पदार्थ का सेवन वजिर्त माना गया है. किस माह में किसका सेवन वर्जित उसका वर्णन इस प्रकार से है-

Next Article

Exit mobile version