संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत सोमवार से हो गयी. सत्र के पहले दिन जहां लोस की कार्यवाही श्रद्धांजलि सभा के बाद स्थगित कर दी गयी, वहीं राज्यसभा में कश्मीर में उत्पन्न हिंसा की स्थिति पर चर्चा हुई. कुछ मुद्दों पर असहमति के बीच सत्तापक्ष व विपक्ष ने एक स्वर में कहा कि कश्मीर भारत का हिस्सा है और हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. कांग्रेस ने आरोप कश्मीर में सुरक्षा बलों की सख्ती और माहौल बिगाड़ने के लिए भाजपा को जिम्मेवार बताया, तो केंद्र सरकार ने कहा कि लड़ाई अलगाववादियों से है.
नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद जारी हिंसा संसद से लेकर राजनीतिक दलों की बैठक तक में छाया रहा. विपक्ष ने इस मसले पर तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है. इस राय पर सभी दलों ने एकजुटता दिखायी कि घाटी में समस्याओं की जड़ में पाकिस्तान है. विपक्ष ने सरकार को आगाह किया कि अशांति से निपटने के लिए बल प्रयोग के बजाय राजनीतिक समाधान पर जोर दिया जाये. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर के हालात पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि सरकार की भूमिका जनता के संरक्षक की होती है. यह बात नहीं भूलनी चाहिए.
बाद में चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने घाटी में अशांति के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया और कहा कि उसका नाम पाक है, लेकिन उसकी सारी हरकतें नापाक हैं. धर्म के आधार पर बने इस देश में आज अलग-अलग तंजीमें आपस में लड़ रही हैं. खूनखराबा हो रहा है. अब वही देश भारत के मुसलमानों भाइयों की चिंता करने का दावा करता है. गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीरी हमारे अपने लोग हैं, जिन्हें बरगलाया जा रहा है. जनमत संग्रह को अप्रासंगिक बताते हुए कहा कि वहां की स्थिति से निबटने में सरकार सबको साथ लेकर चलेगी. भरोसा दिलाया कि आतंकियों से सख्ती से निपटा जायेगा, लेकिन भीड़ के खिलाफ गोलियों का तुरंत इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा, मैं खुद वहां जाकर लोगों के साथ संवाद स्थापित करना चाहता हूं. लेकिन, सुरक्षा बलों के शहीद होने पर यदि कहीं जश्न मनाया जाये, तो इसे कैसे स्वीकार किया जायेगा.
बुरहान वानी का जिक्र करते हुए कहा कि वह हिजबुल का कमांडर था. उसके खिलाफ विभिन्न जघन्य अपराधों के 15 से अधिक मामले दर्ज थे. उन्होंने कहा कि हम कश्मीरियत, जम्हूरियत व इंसानियत के सूत्र पर चलते हुए घाटी में शांति लाना चाहते हैं. जद यू के शरद यादव ने कहा कि जब तक कश्मीर के लोगों के दिल को जीत कर उस पर राज नहीं करेंगे, तब तक बात बनने वाली नहीं है. सख्ती के बजाय राजनीतिक प्रक्रिया का रास्ता अख्तियार करना चाहिए. माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि यह देखा जाना भी जरूरी है कि वहां लोगों का गुस्सा क्यों भड़का है.
भाकपा के डी राजा ने कहा कि कश्मीर की समस्या एक राजनीतिक समस्या है और इसके राजनीतिक प्रक्रिया के जरिये ही सुलझाया जाना चाहिए. कांग्रेस के डा कर्ण सिंह ने समस्या के समाधान के लिए सभी पक्षों से वार्ता शुरू करने का सुझाव दिया. शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि सुरक्षा बलों की वजह से कश्मीर आज हमारे साथ है. चर्चा में भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास, बसपा के सतीश चन्द्र मिश्रा , राकांपा के प्रफुल्ल पटेल, बीजद के नरेंद्र सेन और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने हिस्सा लिया.
कश्मीर पर छिपाने को कुछ नहीं है : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कश्मीर मसले पर उनकी सरकार के पास छिपाने को कुछ नहीं है. इस स्थिति से निबटने के लिए वह सभी को विश्वास में लेगी. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माॅनसून सत्र के दौरान सभी दल कंधे से कंधा मिला कर काम करेंगे, ताकि देश को नयी दिशा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय किये जा सकें. वर्तमान सत्र के 70वें स्वतंत्रता दिवस से कुछ समय पहले आरंभ होने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि सदन में उच्च स्तर की चर्चा होगी.
कार्रवाई के दौरान उग्रवादियों और नागरिकों के बीच अंतर हो : आजाद
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब उग्रवाद से निपटने की बात हो, तो उनकी पार्टी सरकार के साथ है, लेकिन महिलाओं व बच्चों सहित स्थानीय नागरिकों पर अत्यधिक बल प्रयोग स्वीकार नहीं है. सवाल किया कि जिन गोलियों का उपयोग उग्रवादियों के लिए किया जाता है, क्या वही गोलियां आम नागरिकों पर चलायी जानी चाहिए? सवाल किया कि हरियाणा में भी आंदोलन हुआ और हिंसा हुई, लेकिन वहां लोगों पर इस तरह से गोलियां और पैलेट गनों का उपयोग किया गया? आरोप लगाया कि कश्मीर में वर्तमान हालात के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं.
जब हजारों लोग हमला करेंगे, तो पुिलस कार्रवाई करेगी ही : जेटली
सदन के नेता अरुण जेटली ने चर्चा में हस्तक्षेप में करते हुए माना कि कश्मीर में स्थिति चिंताजनक है, लेकिन इस तर्क को खारिज कर दिया कि घाटी में हिंसा का कारण राज्य की सरकार में भाजपा की भागीदारी है. स्थिति सामान्य करने के लिए उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि इस समय पूरे देश को एक स्वर में बोलना चाहिए. हमें समझना होगा कि जब हजारों लोग पुलिस पर हमला करते हैं, तो कार्रवाई होगी. वस्तुत: यह लड़ाई देश और अलगाववादियों के बीच है. यह तय करना पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह भीड़ की हिंसा को नियंत्रित करने के लिए किस तरह का बल प्रयोग करे.