‘ज़ाकिर नाइक पर धर्मांतरण का आरोप’
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक मुंबई पुलिस की विशेष शाखा ने दावा किया है कि विवादास्पद इस्लामी उपदेशक ज़ाकिर नाइक और उनके ग़ैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने लगभग 800 लोगों का ग़ैर-क़ानूनी तरीके से धर्मांतरण करवाया. ख़बर में कहा गया है कि ज़ाकिर नाइक ने धर्मांतरण के बदले लोगों को धन दिया […]
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक मुंबई पुलिस की विशेष शाखा ने दावा किया है कि विवादास्पद इस्लामी उपदेशक ज़ाकिर नाइक और उनके ग़ैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने लगभग 800 लोगों का ग़ैर-क़ानूनी तरीके से धर्मांतरण करवाया.
ख़बर में कहा गया है कि ज़ाकिर नाइक ने धर्मांतरण के बदले लोगों को धन दिया और ये धन उन्हें विदेशों से मिला था. आरोप यदि सही पाए गए तो ज़ाकिर नाइक की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के महानिदेशक के. दुर्गाप्रसाद के बयान को अपनी पहली ख़बर बनाया है जिसमें वो कह रहे हैं कि कश्मीर में युवाओं के साथ जो हुआ, उस पर दुख है लेकिन पैलेट गन सबसे कम घातक विकल्प है.
इंडियन एक्सप्रेस की ही एक अन्य ख़बर के मुताबिक, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व अधिकारी डॉक्टर बीआर मणि को राष्ट्रीय संग्रहालय का नया महानिदेशक नियुक्त किया गया है.
ख़ास बात ये है कि डॉक्टर मणि और उनकी टीम ने ही 13 वर्ष पहले अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अयोध्या में जहां सोलहवीं शताब्दी में बाबरी मस्जिद थी, उसके नीचे दसवीं शताब्दी के एक मंदिर के अवशेष मिले हैं. तब इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर डॉक्टर मणि को हटाया गया था जिन्हें अब मोदी सरकार ने राष्ट्रीय संग्रहालय का प्रमुख बना दिया है.
इसके अलावा जोधपुर हाईकोर्ट ने शिकार के दो मामलों में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सलमान ख़ान को बरी कर दिया है, ये ख़बर हिंदी अंग्रेज़ी के तमाम अख़बारों के पहले पन्ने पर है.
दैनिक जागरण ने लिखा है- सलमान ख़ान की बंदूक़ से नहीं मरे थे हिरण औरदैनिक भास्कर ने इस बात पर हैरानी जताई है कि निचली अदालत में जिन सबूतों ने सज़ा दिलाई थी, सलमान उन्हीं सबूतों पर बरी हो गए हैं.
इसके अलावा ये ख़बर भी लगभग हर अख़बार के पहले पन्ने पर है जिसमें कहा गया है कि मां की जान ख़तरे में देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाज़त दी. सुप्रीम कोर्ट ने ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971’ के प्रावधान के आधार पर ये आदेश दिया है. इस प्रावधान के मुताबिक 20 हफ्ते के बाद गर्भपात की अनुमति उसी स्थिति में दी जा सकती है जबकि गर्भवती महिला की जान को गंभीर ख़तरा हो.
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