फ्रांसिसी जिहादी ने नजरबंदी के दौरान किया चर्च पर हमला

सेंट-एतिएन-दू-रुवरी (फ्रांस) : आतंकवाद के आरोप में नजरबंद एक फ्रांसिसी जिहादी ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर एक चर्च पर हमला कर दिया. इस हमले में एक पादरी की मौत हो गई और पहले से ही हिंसा का सामना कर रहे देश में सुरक्षा की खामियों को लेकर चिंताएं बढ गई है. पेरिस के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2016 11:36 AM

सेंट-एतिएन-दू-रुवरी (फ्रांस) : आतंकवाद के आरोप में नजरबंद एक फ्रांसिसी जिहादी ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर एक चर्च पर हमला कर दिया. इस हमले में एक पादरी की मौत हो गई और पहले से ही हिंसा का सामना कर रहे देश में सुरक्षा की खामियों को लेकर चिंताएं बढ गई है. पेरिस के अभियोजक फ्रांस्वा मोलिन्स ने कहा कि एदेल केरमीचे (19) उन दो हमलावरों में से एक था, जिन्होंने कल सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान सेंट-एतिएन-दू-रुवरी के कैथोलिक चर्च पर हमला किया था. उन्होंने यहां मौजूद 86 वर्षीय एक पादरी का गला रेत दिया था और प्रार्थना करने आए एक व्यक्ति को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. इस हमले की जिम्मदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली है.

हाल में एक ट्यूनीशियाई व्यक्ति मोहम्मद लाहोउएज बूहलेल ने नीस शहर में जुटी भीड के बीच ट्रक घुसा दिया था. इस ट्रक हमले में 84 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. यह जनसंहार 18 माह के भीतर फ्रांस में हुआ तीसरा बडा हमला था. इसके बाद सुरक्षा से जुडी कथित खामियों को लेकर गहरे राजनीतिक मतभेद उभर आए थे. वहीं गिरजाघर हमले से जुडे खुलासे होने पर अब और ज्यादा सवाल उठ खडे हो सकते हैं.

मोलिंस ने कहा कि करमीचे आतंकवाद रोधी अधिकारियों की नजरों में सबसे पहले उस समय आया जब मार्च 2015 में उसके परिवार वालों ने उसके लापता होने की जानकारी दी. उसे जर्मन अधिकारियों ने गिरफ्तार किया. यह पाया गया कि उसने सीरिया पहुंचने के लिए अपने भाई की पहचान का इस्तेमाल किया था. उस पर आरोप तय किए गए और उसे न्यायिक निरीक्षण के तहत रिहा कर दिया गया लेकिन मई में वह तुर्की चला गया और उसे एक बार फिर गिरफ्तार करके फ्रांस वापस लाया गया. फ्रांस में उसे मार्च 2016 तक हिरासत में रखा गया.

करमीचे को एक इलेक्ट्रॉनिक ब्रेसलेट पहनाकर रिहा कर दिया गया था. उसे सप्ताह के कामकाजी दिवसों (वीकडेज) पर सुबह आठ बजे से रात साढे बारह बजे तक घर से निकलने की अनुमति थी. इसी दौरान वह और एक अन्य हमलावर सदियों पुराने सेंट एतिएन चर्च में घुस गए और वहां इन्होंने 86 वर्षीय एक पादरी, तीन नन और प्रार्थना करने आए दो लोगों को बंधक बना लिया. इनमें से एक नन किसी तरह भाग निकली और उसने पुलिस को फोन कर दिया. पुलिस ने मौके पर पहुंचने के बाद इन हमलावरों से बातचीत की कोशिश की.

नन सिस्टर डेनियल ने स्थानीय रेडियो आरएमसी को बताया कि उन्होंने (हमलावरों ने) मारे गए पादरी जैक्स हैमेल को ‘उनके घुटनों पर बैठने और न हिलने के लिए मजबूर किया. उन्होंने संघर्ष की कोशिश की.’ नन ने बताया कि दोनों व्यक्ति अरबी बोल रहे थे, चिल्ला रहे थे और उन्होंने हमले को ‘रिकॉर्ड’ किया था. मोलिंस ने कहा कि पुलिस चर्च पर धावा बोलने में असमर्थ थी क्योंकि दरवाजे के ठीक सामने तीन बंधकों को खडा किया गया था. इसके बाद दो नन और प्रार्थना के लिए आया एक व्यक्ति चर्च से बाहर निकले और इनके पीछे दोनों हमलावर भी थे.

एक हमलावर के हाथ में हैंडगन थी और वह पुलिस की ओर देखकर चिल्ला रहा था ‘अल्लाहू अकबर’. एक हमलावर के हाथ में ‘एल्युमीनियम के कागज में लिपटा एक नकली विस्फोटक उपकरण’ और तीन चाकू थे. दूसरे ने अपने हाथ में ऐसे ही एक कागज (फॉएल) में लिपटा किचन टाइमर पकडा हुआ था. उसने एक बैग भी लिया हुआ था, जिसमें ऐसा ही नकली बम था. मोलिंस ने कहा कि पुलिस ने ‘दोनों पर काबू पा लिया’ और उन्हें मार गिराया. अभियोजक ने कहा कि अल्जीरिया में जन्मे 17 वर्षीय व्यक्ति को हिरासत में ले लिया गया.

वह ‘इराक-सीरिया क्षेत्र जाने वाले उस संदिग्ध का छोटा भाई है, जो एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट के तहत वांछित है.’ इस हमले के बाद से शहर में खामोशी पसरी है और स्टोर बंद हैं. राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने देश में ‘एकता’ की अपील करते हुए आतंकवाद-रोधी कानून को और मजबूत करने की विपक्ष की मांगों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘हमारी आजादी पर प्रतिबंध लगाने से आतंकवाद के खिलाफ लडाई ज्यादा प्रभावी नहीं होने वाली है.’

उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में कानून में किए गए बदलावों और आपातकाल की अवधि में विस्तार ने पहले से ही अधिकारियों को ‘कार्रवाई की पर्याप्त क्षमता’ दे दी है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमें बांटना, अलग करना और एक दूसरे से दूर कर देना चाहते हैं. हमें बेकार की दलीलों, सबको एक ही चश्मे से देखने और संदेहों से बचना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह लडाई लंबी होगी. हमारा लोकतंत्र निशाने पर है और यही हमारा कवच होगा. आइए एकसाथ खडे हों. हम इस लडाई को जीतेंगे.’

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