वियतनामी एयरपोर्टों की स्क्रीन हैक

वियतनाम के दो सबसे बड़े हवाई अड्डों की स्क्रीन शुक्रवार को हैक कर ली गईं. इन पर साउथ चाइना सी में वियतनाम के दावों की आलोचना करने वाले संदेश दिखाई देने लगे. वियतनाम के परिवहन मंत्रालय ने इसके लिए चीन के हैकर को ज़िम्मेदार बताया है. हाल में एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने साउथ चाइना सी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 30, 2016 9:56 AM
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वियतनामी एयरपोर्टों की स्क्रीन हैक 3

वियतनाम के दो सबसे बड़े हवाई अड्डों की स्क्रीन शुक्रवार को हैक कर ली गईं. इन पर साउथ चाइना सी में वियतनाम के दावों की आलोचना करने वाले संदेश दिखाई देने लगे.

वियतनाम के परिवहन मंत्रालय ने इसके लिए चीन के हैकर को ज़िम्मेदार बताया है.

हाल में एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने साउथ चाइना सी में चीन के दावों को ख़ारिज किया है. वियतनाम जिस क्षेत्र पर दावा जताता है, चीन भी उस क्षेत्र पर दावेदारी करता है.

हनोई और हो ची मिन शहर के हवाईअड्डों पर लगी स्क्रीन और साउंड सिस्टम पर शुक्रवार को वियतनाम और फिलीपीन्स विरोधी स्लोगन आने लगे.

वियतनाम एयरलाइन्स की वेबसाइट भी कुछ वक्त के लिए हैक कर ली गई. वियतनाम की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हवाई अड्डों पर स्टाफ ने कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम नहीं किया.

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इस घटना के कुछ दिन पहले हो चीन मिन के हवाई अड्डे पर एक चीनी पर्यटक से विवाद की ख़बरें आई थीं जिनके मुताबिक पर्यटक के पासपोर्ट के दो पन्नों पर आपत्तिजनक बातें लिखी हुई थीं. चीन ने वियतनाम से इसकी जांच कराने को कहा था.

तस्वीरों से जाहिर हुआ कि इन पन्नों पर चीन की ‘नाइन डेश लाइन’ को शामिल करने वाला नक्शा छपा था, जिन पर चार अक्षरों वाला शब्द लिखा हुआ था. इस नक्शे के जरिए चीन साउथ चाइना सी के क्षेत्र पर दावा जताता है.

चीनी पर्यटक ने स्थानीय मीडिया से कहा था कि वो वियतनाम के अधिकारियों के बर्ताव से बेहद निराश है.

हो ची मिन शहर स्थित चीन के कॉन्सुलेट ने एक बयान जारी करते हुए इस कार्रवाई को ‘शर्मनाक और कायरतापूर्ण’ बताया था.

चीन में साल 2012 में नए पासपोर्ट जारी किए गए थे जिनमें "नाइन डेश लाइन" को शामिल करते हुए संशोधित नक्शे छापे गए थे.

चीन पूरे साउथ चाइन सी पर दावा जताता है. इनमें वो क्षेत्र भी शामिल हैं जिन पर दूसरे देश भी दावा करते हैं. चीन इन क्षेत्रों में विवादित तरीके से टापू और नेवल पोर्ट बना रहा है.

चीन ने इंटरनेशन ट्रिब्यूनल के जुलाई में दिए गए फ़ैसले को भी मानने से इनकार कर दिया है जिसमें कहा गया था कि चीन के दावों का कोई क़ानूनी आधार नहीं है.

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