अल क़ायदा से अलग हुआ सीरिया का नुसरा फ्रंट

सीरिया के जिहादी ग्रुप जबहात अल नुसरा ने अल क़ायदा से अलग होने का एलान किया है. ये संगठन नुसरा फ्रंट के नाम से भी जाना जाता है. संगठन के नेता अबु मोहम्मद अल जुलानी ने अपने रिकॉर्डेड संदेश में कहा कि संगठन का नाम जबहात फतेह अल शाम होगा. इसका मतलब है सीरिया फतह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 30, 2016 9:57 AM
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सीरिया के जिहादी ग्रुप जबहात अल नुसरा ने अल क़ायदा से अलग होने का एलान किया है. ये संगठन नुसरा फ्रंट के नाम से भी जाना जाता है.

संगठन के नेता अबु मोहम्मद अल जुलानी ने अपने रिकॉर्डेड संदेश में कहा कि संगठन का नाम जबहात फतेह अल शाम होगा. इसका मतलब है सीरिया फतह करने के लिए बना फ्रंट.

माना जा रहा है कि ये संगठन सीरिया में संघर्ष कर रहे दूसरे इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों के साथ क़रीबी गठजोड़ बनाने की उम्मीद में हैं.

अल क़ायदा में दूसरे नंबर के नेता अहमद हसन अबु अल खैर ने नुसरा फ्रंट के इस क़दम का समर्थन किया था.

बीते गुरुवार को अल खैर ने कहा था कि उनके संगठन ने "नुसरा फ्रंट के नेतृत्व को निर्देश दिया है कि वो सीरिया में इस्लाम और मुसलमानों के हितों के संरक्षण और जिहाद को बचाए रखने के लिए आगे बढ़े."

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अल जज़ीरा के अरबी न्यूज़ चैनल पर प्रसारित संदेश में अल जुलानी ने "अल क़ायदा के कमांडरों को धन्यवाद, कि उन्होंने गठजोड़ तोड़ने की ज़रूरत को समझा."

उन्होंने कहा, "ये फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय समुदाय ख़ासकर अमरीका और रूस की ओर से लगातार की जा रही बमबारी और अल नुसरा फ्रंट पर बमबारी के बहाने सीरिया के मुस्लिम समुदाय के विस्थापन के छल को सामने लाने के लिए किया गया है."

उन्होंने कहा, "नए संगठन का विदेशी संगठनों से कोई संबंध नहीं होगा."

विश्लेषकों का कहना है कि अमरीका और रूस की सैन्य कार्रवाई तेज़ होने के बाद नुसरा फ्रंट ने खुद को नई पहचान देने का फ़ैसला किया है.

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बीते हफ्ते अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि वो नुसरा फ्रंट और कथित इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों से मुक़ाबले के लिए ‘ठोस कदम’ उठने पर सहमत हैं.

सीरिया में जब गृहयुद्ध शुरू हुआ तो उसके कुछ ही महीने बाद, 2012 की शुरुआत में नुसरा फ्रंट ने इंटरनेट पर एक वीडियो जारी कर अपनी उपस्थिति का एलान किया था.

अप्रैल 2013 में अल नुसरा ने इस्लामिक स्टेट में शामिल होने से इनकार किया था और अल क़ायदा के प्रति निष्ठा जाहिर की थी.

विश्लेषकों का कहना है कि इस संगठन के पास पांच हज़ार से दस हज़ार के बीच लड़ाके हैं जिनमें से ज़्यादातर सीरिया में हैं.

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