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पुण्यतिथि : फिल्मी गायकी के अनमोल रत्न मोहम्मद रफी

डॉ हुमायूं अहमद विभिन्न शैली मेें विविधता पिरोने वाले अनुपम गायक मोहम्मद रफी को गुजरे आज 36 साल हो गये, मगर उनके मीठे सुरीले गीतों में आज भी वही कशिश और वैसी ही ताजगी बरकरार है.गायकी की दुनिया में मोहम्मद रफी एक इतने विशाल और इतनी गहराई वाले समुद्र हैं कि मात्र कुछ पैराग्राफ में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2016 5:40 AM

डॉ हुमायूं अहमद

विभिन्न शैली मेें विविधता पिरोने वाले अनुपम गायक मोहम्मद रफी को गुजरे आज 36 साल हो गये, मगर उनके मीठे सुरीले गीतों में आज भी वही कशिश और वैसी ही ताजगी बरकरार है.गायकी की दुनिया में मोहम्मद रफी एक इतने विशाल और इतनी गहराई वाले समुद्र हैं कि मात्र कुछ पैराग्राफ में उन पर टिप्पणी करना किसी चुनौती से कम नहीं. 50 के दशक के बाद हर जगह हर अवसर पर उनके मधुर नगमों की इतनी गूंज थी कि वे नित्यचर्या के एक अभिन्न अंग बन गये थे. न जाने कितनी पीढ़ियां उनके गीतों को सुनते हुए बचपन से जवान हो गयीं. ख्याति की परम पराकाष्ठा पर होते हुए भी मोहम्मद रफी अहंकार से कोसों दूर थे. सरल स्वभाव वाले इस नेक इनसान के चेहरे पर सदा एक मासूम मुस्कान बनी रहती थी. मोहम्मद रफी के ज्यादातर गानों में उनके चेहरे की तरह उनकी आवाज भी मुस्कराती है.

विभिन्न शैली वाले गानों में सुरों की विविधता से उन्होंने हर रंग का मिठास भरा है. रफी की आवाज और गायन में एेसी तरलता थी कि जब चाहो जहां चाहो जैसे चाहो जिधर चाहो मोड़ दो. जिस सांचे में चाहो ढाल दो, जिस रूप में चाहो उतार लो. वहीं, उनकी आवाज ऊपर भी जाती थी और इतनी जाती थी कि कभी आसमान छूती थी, तो कभी सितारों से टकराती थी. दूसरी ओर प्रेम की चरम सीमा पर पहुंचे कुछ गानों में उनका लय इतना मद्धिम है कि मानो कोई कानों के बिल्कुल करीब आ कर चुपके–चुपके सिर्फ होंठ हिला रहा हो. विविधता की ऐसी अपूर्व क्षमता का कहीं और कल्पना करना भी मुश्किल है.

मोहम्मद रफी ने छोटे–बड़े सभी अभिनेता को अपनी आवाज दी है. उन्होंने जिसके लिए भी गाया पूरी लगन और निष्ठा से गाया. किसी अभिनेता के व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए सीन के अनुकूल गीतों को सुरों में ढालना एक कठिन कार्य होता है. रफी साहब की इस अतुलनीय महारत का एक बड़ा कारण उनकी शास्त्रीय संगीत की बारीकियों पर मजबूत पकड़ थी.

किसी भी रिकार्डिंग से पहले रफी साहब को इस बात का पता होता था कि शहद में मिठास भरने के लिए कब किस फूल से रस निचोड़ना है. रफी ने कितने गाने गाये हैं, यह बताना मुश्किल है, मगर यह खोज करना अधिक महत्वपूर्ण है कि उन्होंने कितने प्रकार के गाने गाये. उनके सभी गानों का ठीक से यदि वर्गीकरण कर दिया जाये, तो संगीत जगत के लिए यह एक अनूठा योगदान होगा.

रफी के गायन की चमत्कारी विशेषताओं पर नजर डालें, तो उनमें सौंदर्य की प्रशंसा का स्थान सर्वोपरि होगा. उनके गानों को सुन कर लगता है कि सुंदरता की रचना करने के बाद उसकी प्रशंसा और वर्णन के लिए मालिक ने मोहम्मद रफी को बनाया. इस श्रेणी में हर रंग और हर खुशबू से सजे मास्टरपीस गीतों की संख्या भी अनगिनत है. रफी साहब के दौर के एक से बढ़ कर एक नामवर शायरों ने उनकी आवाज की चाह में बेहतरीन नगमों का दरिया बहा दिया था.

चुने-चुने हुए अल्फाज को रफी साहब की आवाज मिल जाने से एेसा लगता है कि शब्दों के शरीर में उनके भावार्थ की रूह समाहित हो गयी है. बच्चोें के लिए गाये गीतों के विशेष क्षेत्र में भी रफी साहब के बेमिसाल गीतों की एक बड़ी तादाद मौजूद है, जो बच्चों और बड़ों सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. मोहम्मद रफी देशभक्ति और राष्ट्रीय श्रद्धा वाले गीतों के सम्राट थे. धरती बलिदान के लिए पुकारती है, तो उष्मा और ऊर्जा का सृजन अनिवार्य हो जाता है.

जब-जब भी वक्त ने पुकारा, रफी की आवाज ने रगों में हरारत और तवानाई की लहर दौड़ा दी. राष्ट्रभक्ति वाले उनके एक-एक गीत अनमोल रत्न हैं, जिनका महत्व राष्ट्रीय धरोहर के समान है. राष्ट्रीयता जागृत करने में यह गाने प्रेरणा के स्रोत सिद्ध हो सकते हैं.

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं और रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में पढ़ा चुके हैं.)

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