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कमरा साफ रखोगे, तो सकारात्मकता आयेगी

निखिल घर से दूर पटना में रह कर जॉब करता है. वह एक रूम लेकर अकेला ही रहता है. वह अपने दोस्तों से अक्सर कहा करता है कि मैं इस जॉब से परेशान हो गया हूं, फिर भी छुट्टी के दिन भी काम करने आ जाता हूं. क्या करूं, घर पर मन ही लगता. मैं […]

निखिल घर से दूर पटना में रह कर जॉब करता है. वह एक रूम लेकर अकेला ही रहता है. वह अपने दोस्तों से अक्सर कहा करता है कि मैं इस जॉब से परेशान हो गया हूं, फिर भी छुट्टी के दिन भी काम करने आ जाता हूं. क्या करूं, घर पर मन ही लगता. मैं दिनभर ऑफिस में बस काम करता हूं और रात को भी अपना खाना खुद बना कर, खा कर सो जाता हूं. कई बार तो भूखे ही सो जाता हूं. मेरी लाइफ में कोई मजा नहीं है.
एक दिन उसके ऑफिस के तीन दोस्तों ने उसे सरप्राइज दे कर खुशी देनी चाही. वे उसके घर पहुंच गये. दोस्तों को अपने घर आया देख वह खुशी से फूला नहीं समाया, लेकिन दूसरी तरफ रूम की हालत देख दोस्तों का मन उदास हो गया. हर तरफ कपड़े बिखरे पड़े थे. किचेन में सामान इधर-उधर गिर रहा था. प्याज के छिलकों, गंदे बरतनों पर मक्खियां घूम रही थी. फर्श पर धूल-मिट्टी थी. कम प्रकाश देनेवाला एक बल्ब भी जल रहा था.
अब दोस्तों को समझ आ गया कि निखिल की उदासी की वजह क्या है? क्यों उसमें ऊर्जा, उत्साह नहीं है. उन्होंने कमर कस ली और घर साफ करने में लग गये. उन्हें काम करता देख निखिल भी जुट गया. उन्होंने झाड़ू-पोंछा किया. बर्तन मांजे. उन्हें करीने से जमाया. पुरानी चादर धोने के लिए डाली. बाजार जा कर नयी चादर, परदा लेकर आये. ज्यादा प्रकाश देनेवाला बल्ब लगाया. टेबल पर कपड़ा बिछाया. फूल दान रखा. एक तरफ भगवान की फोटो लगायी.
अगरबत्ती लगायी. पूरा कमरा खूशबू से महक उठा. हर तरफ साफ-सफाई देख निखिल खुश हो गया. दोस्तों ने कहा, तुम्हारे भीतर नेगेटेविटी की वजह थी तुम्हारा रहन-सहन. ऐसी गंदगी में रहोगे, तो बुरे ख्याल ही आयेंगे. इसलिए अब कमरे को ऐसे ही साफ रखो. देखो, तुम्हें भीतर से कितना अच्छा महसूस होगा.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

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