नयी दिल्ली : राज्य सभा में जीएसटी पर चर्चा के दौरान पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस जीएसटी का समर्थन करती है, लेकिन, कांग्रेस कानून में कर की मानक दर 18 प्रतिशत से अधिक न रखने की अपनी मांग पर कायम है. उन्होंने कहा कि जीएसटी संबंधित कानून में विवाद निस्तारण तंत्र का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए. चिदंबरम ने मांग की कि मौजूदा संविधान संशोधन विधेयक के बाद संसद में जो दो अन्य विधेयक आयेंगे, सरकार को उसमें जीएसटी की मानक दर का प्रावधान रखना चाहिए. साथ दोनों को धन विधेयक न बनाया जाये.
भाजपा के भूपेंद्र यादव ने कहा कि मौजूदा विधेयक में राज्यों के कर लगाने के अधिकार को केंद्र के साथ जोड़ा जा रहा है. इसके अलावा जीएसटी परिषद के निर्माण का भी प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद का निर्माण सहकारी संघवाद की भावना के अनुरूप किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विधेयक को लाने का उद्देश्य अप्रत्यक्ष कर, कर के ऊपर कर इत्यादि जैसी जटिलताओं से निजात दिलाना और कर प्रणाली को सरल बनाना है देश में कर आधार बढ़ेगा और राज्यों की अधिप्राप्तियां भी बढ़ेंगी.सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि राज्यों को अपने हिस्से के लिए कहना न पडे, बल्कि अपने आप राज्य का हिस्सा राज्य को और केंद्र का हिस्सा उसे स्वत: प्राप्त हो जाये. अग्रवाल ने पूछा कि जीएसटी कानून आने के बाद अगर तंबाकू पर अतिरिक्त कर लगाते हैं तो क्या केंद्र उसे रोकेगा?
विधेयक के विरोध में अन्नाद्रमुक
अन्नाद्रमुक ने जीएसटी का विरोध करते हुए इस पर आये संविधान संशोधन विधेयक को असंवैधानिक करार दिया. पार्टी के नवनीत कृष्णन ने कहा, ‘यह संविधान संशोधन विधेयक खुद असंवैधानिक है, क्योंकि यह राज्यों की राजकोषीय स्वायत्ता का उल्लंघन करता है. इससे तमिलनाडु को स्थायी रूप से राजस्व की हानि होगी.’ अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने सदन से वाकआउट भी किया. अन्नाद्रमुक नेता ने कहा कि तमिलनाडु को इस विधेयक के कारण 9,270 करोड़ रुपये की हानि होगी.
जदयू ने किया समर्थन
जदयू ने जीएसटी का समर्थन करते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार में कमी आयेगी. पार्टी के शरद यादव ने राज्यसभा में विधेयक का समर्थन किया और कहा कि कई तरह के कर कानून होने के कारण भ्रष्टाचार बढ़ता है और जीएसटी के आने से यह कम होगा. उन्होंने कहा, सरकार बताये कि जीएसटी आने के बाद स्थनीय इकाइयों का क्या होगा. सरकार विपक्ष से बातचीत का सिलसिला न तोड़े, हम सदन चलने में साथ देंगे. आरजेडी सांसद प्रेम चंद्र गुप्ता ने कहा, वित्तमंत्री सदन को आश्वासन दें कि जीएसटी आने के बाद महंगाई बढ़ेगी नहीं, बल्कि घटेगी.
उधर, शिव सेना के संजय राउत ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस ‘ऐतिहासिक’ जीएसटी से विधेयक से मुंबई महानगर पालिका को भारी नुकसान होगा, सरकार का रेवेन्यू बढ़ाने के लिए आपने मुंबई का रेवेन्यू खा लिया है. सरकार मुंबई को कंगाल न करे. मुंबई कंगाल हुई तो देश कंगाल हो जायेगा. चर्चा के दौरान माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि देश का संघीय ढांचा खत्म नहीं होना चाहिए. राज्यों को कर वसूलने का अधिकार मिलना चाहिए.
यदि 17-18 % तक जीएसटी लगा तो… टीवी-फ्रीज सस्ती, पर सेवा महंगी होगी
विपक्ष के दबाव को देखते हुए ऐसी संभावना है कि जीएसटी 17 से 18 फीसदी तक रहेगा. यानी अब तक जिन चीजों के लिए हम-आप 30 से 35 फीसदी टैक्स देते हैं, उसकी जगह 17-18 फीसदी अदा करना होगा. ऐसे में जिन सामानों पर अभी इससे कम टैक्स लगता है, वे महंगे हो जायेंगे.
महंगा होगा
चाय-कॉफी पर अभी ड्यूटी नहीं लगती. ये कुछ महंगे होंगे. गारमेंट पर स्थानीय स्तर पर 10 से 12 फीसदी टैक्स लगता है. ज्वेलरी पर अभी 3 फीसदी ड्यूटी लगती है. यानी ये महंगे होंगे. सेवाएं (रेस्टूरेंट में खाना, मोबाइल बिल आदि) महंगी होंगी, क्योंकि टैक्स 15 फीसदी है. कपड़ों पर डिस्काउंट खत्म हो सकता है, क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद एमआरपी पर टैक्स लगेगा.
सस्ता होगा
लेन-देन पर वैट और सर्विस टैक्स नहीं लगने से घर खरीदना सस्ता हो सकता है. मनोरंजन कर में कमी से सिनेमा देखना. इलेक्ट्रॉनिक आइटम जैसे पंखे, वॉटर हीटर, एयर कूलर आदि सस्ते होंगे. एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज, वॉशिंग मशीन सस्ती हो जायेगी.
कुछ सेक्टर को होगा खूब फायदा
ऑटोमोबाइल्स : लाभकारी
अभी 30 से 47 फीसदी कर लगता है. जीएसटी लागू होने से कर की दर 20 से 22 फीसदी तक आने की उम्मीद है.
असर : मांग बढ़ेगी. उत्पादन लागत करीब 10 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद. माल ढुलाई में समय की बचत.
उपभोक्ता वस्तुएं : नकारात्मक
फिलहाल सात से 30 प्रतिशत का कर लगता है. जीएसटी लागू होने से उन कंपनियों को फायदा होगा, जिन्हें पहले टैक्स छूट नहीं मिली है.
असर: या तो असर नहीं होगा या फिर नकारात्मक असर होगा. उन कंपनियों को नुकसान, जिन्हें अब तक टैक्स छूट का लाभ मिलता आया है.
सीमेंट : फायदे में
27 से 32 प्रतिशत तक की दर से टैक्स चुकाने वाले इस सेक्टर को जीएसटी लागू होने पर 18 से 20 प्रतिशत तक टैक्स देना होगा.
असर: फायदेमंद साबित होगा. सीमेंट कंपनियों को रखरखाव और ढुलाई पर कम खर्च करना होगा.
मनोरंजन : मुनाफा बढ़ेगा
मल्टीप्लेक्स पर सर्विस, एंटरटेनमेंट टैक्स और वैट आदि मिला कर 22 से 24 प्रतिशत टैक्स लगता है. जीएसटी आने पर टैक्स का दायरा घट कर 18 से 20 प्रतिशत तक आने की उम्मीद है.
असर : टैक्स कम होने से टिकटों की औसत कीमतें बढ़ेंगी. मुनाफा बढ़ेगा.
फार्मा : कुछ खास नहीं
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कर लगता है. अमूमन छह फीसदी उत्पाद कर लगता है. इसे छूट मिलती रहने की उम्मीद है.
असर: फार्मा सेक्टर पर जीएसटी का कोई बड़ा असर नहीं होगा.
टेलिकॉम : ग्राहकों पर बोझ
दूरसंचार सेवाओं पर 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स लगता है. जीएसटी से टैक्स रेट बढ़ कर 18 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. टेलिकॉम कंपनियां इसका भार अपने पोस्टपेड ग्राहकों पर लाद सकती हैं.
असर: कंपनियों की बजाये उपभोक्ताओं को इसका भार उठाना होगा.
लंबा सफर
2000 : वाजपेयी सरकार ने कमेटी बनायी
2003: केलकर टास्क फोर्स ने जीएसटी का सुझाव दिया
2006 : चिदंबरम ने अप्रैल,2010 से लागू करने का प्रस्ताव रखा
2010 : प्रणब मुखर्जी ने अप्रैल, 2011 से लागू करने का एलान किया
2011 : 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश, विधेयक स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया
2013 : संसद में स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पेश, यूपीए सरकार पास कराने में नाकाम रही, गुजरात समेत भाजपा शासित
राज्यों का विरोध
2014 : भाजपा के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की सरकार बनी. 122वां संविधान संशोधन बिल पेश हुआ
कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग
2015 : जेटली का अप्रैल, 2016 से लागू करने का एलान
2016 : जीएसटी बिल में कई संशोधन, जेटली ने सभी दलों से बात की.
अर्थव्यवस्था पर असर
जीएसटी लागू होने के बाद इससे अर्थव्यवस्था पर बहुत असर पड़ेगा. अनुमान है कि इससे जीडीपी में दो फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है.
पूरे देश में एक बाजार : अलग-अलग राज्यों में एक ही वस्तु या सेवा के लिए अलग-अलग कर होने से बाजार सीमाओं में बंटा हुआ है. जीएसटी आने के बाद कॉमन मार्केट बन सकेगा.अभी हर राज्य की सीमा पर वैट के लिए एक चेक प्वाइंट है. इससे गाड़ियों को चेकिंग के लिए रोका जाता है. उनकी गति कमजोर होती है.
राज्यों पर असर: उन राज्यों को फायदा जो उत्पादक राज्य हैं. उपभोक्ता राज्यों को घाटा होगा.