Rio Olympic 2016 : ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों को कठिन ड्रा

रियो दि जिनेरियो : भारत के तीन सदस्यीय मुक्केबाजी दल को कल से यहां शुरू हो रही ओलंपिक की इस स्पर्धा में कडी चुनौती मिलेगी लेकिन उनका इरादा भारत में लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक अस्थिरता से त्रस्त हो चुके खेल का पुनरोत्थान करना है. शिवा थापा (56 किलो), मनोज कुमार (64 किलो) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2016 5:40 PM

रियो दि जिनेरियो : भारत के तीन सदस्यीय मुक्केबाजी दल को कल से यहां शुरू हो रही ओलंपिक की इस स्पर्धा में कडी चुनौती मिलेगी लेकिन उनका इरादा भारत में लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक अस्थिरता से त्रस्त हो चुके खेल का पुनरोत्थान करना है. शिवा थापा (56 किलो), मनोज कुमार (64 किलो) और विकास कृष्णन (75 किलो) ओलंपिक की मुक्केबाजी स्पर्धा में भारतीय चुनौती पेश करेंगे. लंदन ओलंपिक में भारत के आठ मुक्केबाज उतरे थे. इन तीनों में सिर्फ विकास को सातवीं वरीयता मिली है जबकि किसी को भी पहले दौर में बाय नहीं मिला है.

एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता और विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता विकास का सामना 10 अगस्त को 18 बरस के अमेरिकी चार्ल्स कोनवेल से होगा. शिवा नौ अगस्त को क्यूबा के छठी वरीयता प्राप्त रोबेइसी रामिरेज से खेलेंगे. दोनों का सामना 2010 युवा ओलंपिक फाइनल में हो चुका है जिसमें शिवा को पराजय झेलनी पड़ी थी. राष्ट्रमंडल खेल स्वर्ण पदक विजेता रहे मनोज 10 अगस्त को लिथुआनिया के पूर्व युवा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता एवाल्डास पेत्राउस्कास से खेलेंगे. मुक्केबाजी में भारत ने अभी तक दो ओलंपिक पदक जीते थे.
बीजिंग ओलंपिक 2008 में विजेंदर सिंह ने 75 किलो में कांस्य पदक जीता था जबकि 2012 में एम सी मेरीकाम ने महिलाओं के 51 किलो में कांसे का तमगा हासिल किया. इस बार कोई भारतीय महिला मुक्केबाज क्वालीफाई नहीं कर सकी है.
राष्ट्रीय महासंघ के अभाव में भारतीय मुक्केबाजी का पतन हुआ है. अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने भारतीय महासंघ को बर्खास्त कर दिया था जिसके बाद पिछले चार साल से सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप नहीं हुई और मुक्केबाजों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में खेलने का मौका नहीं मिल सका. रियो टीम में कोई नया चेहरा जगह नहीं बना सका लेकिन शिवा, विकास और मनोज के अनुभव को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. चार साल पहले शिवा भारतीय मुक्केबाजी दल के सबसे कम उम्र के सदस्य थे जो पहले दौर में हार गए थे.
अब वह पदक की सबसे बड़ी उम्मीद हैं. विकास विश्व रैकिंग में छठे स्थान पर हैं जो लंदन ओलंपिक से विवादित तरीके से बाहर हो गए थे. अमेरिका के एरोल स्पेंस के खिलाफ प्री क्वार्टर फाइनल में मिली जीत को वीडियो रिव्यू के बाद खारिज कर दिया गया था. इसके बाद उसने खेल से ब्रेक लिया और वापसी करके एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता. उसने बाकू में विश्व ओलंपिक क्वालीफाइंग के जरिये रियो का टिकट कटाया. मनोज तीनों में सबसे अनुभवी है जो लंदन में स्थानीय मुक्केबाज थामस स्टाकर से हार गए थे.

Next Article

Exit mobile version