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‘सच्चाई से परे है मोदी का बयान’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलितों पर हुए हमलों के मुद्दे पर हैदराबाद में कहा है कि यदि कोई हमला करना चाहता है तो उन पर करें, दलितों पर नहीं. प्रधानमंत्री ने लगातार दूसरे दिन दलितों पर होने वाले हमलों के ख़िलाफ़ बोला है और गौरक्षक दल को आड़े हाथों लिया है. इससे पहले शनिवार को […]

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलितों पर हुए हमलों के मुद्दे पर हैदराबाद में कहा है कि यदि कोई हमला करना चाहता है तो उन पर करें, दलितों पर नहीं.

प्रधानमंत्री ने लगातार दूसरे दिन दलितों पर होने वाले हमलों के ख़िलाफ़ बोला है और गौरक्षक दल को आड़े हाथों लिया है.

इससे पहले शनिवार को दिल्ली में उन्होंने कहा था कि 80 फीसदी गौरक्षक गोरखधंधों में लिप्त हैं.

मोदी ने अब तक दलितों पर होने वाले हमलों पर चुप्पी साध रखी थी.

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश नरेंद्र मोदी की इस चुप्पी तोड़ने पर अपनी राय बता रहे हैं:-

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता में सच्चाई के भाव की कमी है. मैं यह सिर्फ यूं ही नहीं कह रहा हूं. इसके पीछे तथ्य हैं जिसकी रोशनी में मैं यह बात कह रहा हूं.

अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव होने हैं और इन दोनों राज्यों में दलित अच्छी-खासी संख्या में हैं.

दलितों के ऊपर होने वाले हमलों की वजह से उनमें एकजुटता भी दिखाई दे रही है. वे गुजरात या दूसरे जगहों पर दलितों पर हमला करने वाले के तौर पर संघ से जुड़े गौरक्षक दल या बजरंग दल को पहचान चुके हैं.

इसलिए हैदराबाद में प्रधानमंत्री ने जो चिंता जताई है उसे सही नहीं माना जा सकता क्योंकि उन्हें लगता है कि उत्तर प्रदेश में जो दलित एकजुटता है वो और बड़ी हो जाएगी.

पता चला है कि उत्तर प्रदेश में दलितों को अपनी ओर आकर्षित करने का अभियान व्यापक दलित आक्रोश के सामने फीका पड़ गया है. कई जगहों पर बीजेपी को अपना यह अभियान रद्द भी करना पड़ गया.

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बीजेपी को इस बात की चिंता है कि कहीं दलित और मुसलमान हाथ ना मिला लें. इस चिंता के पीछे ठोस कारण है क्योंकि जिसतरह से दादरी में एक निर्दोष मुसलमान अख़लाक़ को मारा गया फिर गुजरात के ऊना और झारखंड में दमित समाज को निशाना बनाया गया है, उससे एक संदेश गया है पूरे देश में कि संघ परिवार से जुड़े संगठन इस तरह के हमले कर रहे हैं और जबरन लोगों पर अपनी बात लाद रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात का अगर गौरक्षक दल और बजरंग दल के ऊपर प्रभाव पड़ता है तो अच्छा है लेकिन अगर वो ख़ुद इन संगठनों को प्रभावित नहीं कर पाते हैं तो मुझे नहीं लगता है कि उनके बयान से दलित प्रभावित होंगे.

वाकई में उन्हें दलितों से हमदर्दी है तो उन्हें संघ परिवार से जुड़े संगठनों को नियंत्रित करना पड़ेगा.

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश से बीबीसी संवाददाता संदीप सोनी की बातचीत पर आधारित)

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