पर्सनल लाइफ का असर काम-काज पर न होने दें
दक्षा वैदकर कई बार जिंदगी में ऐसे क्षण आते हैं, जब हमारी पर्सनल लाइफ में भूकंप-सा आ जाता है. हम अंदर से टूट जाते हैं, समझ नहीं आता कि जिंदगी के साथ क्या हो रहा है. इन सब के बीच हमें ऑफिस में काम भी करना पड़ता है. जब ऐसी स्थिति आती है, तो हमारी […]
दक्षा वैदकर
कई बार जिंदगी में ऐसे क्षण आते हैं, जब हमारी पर्सनल लाइफ में भूकंप-सा आ जाता है. हम अंदर से टूट जाते हैं, समझ नहीं आता कि जिंदगी के साथ क्या हो रहा है. इन सब के बीच हमें ऑफिस में काम भी करना पड़ता है. जब ऐसी स्थिति आती है, तो हमारी परफॉर्मेंस में गिरावट आ जाती है.
इसके पीछे की वजह यह होती है कि हम फोकस नहीं कर पा रहे होते हैं. हम भीतर से बेचैन रहते हैं. वैसे अगर यह स्थिति चंद दिनों की होती है, तो इसे मैनेज भी किया जा सकता है, लेकिन जब यह महीने भर या उससे ज्यादा रहती है, तो हमारी प्रोफेशनल लाइफ भी डैमेज होने लगती है. ऐसे वक्त में जरूरी है कि हम ऑफिस में अकेले न रहें. हंसी-खुशी के माहौल में रहें. सकारात्मक रहें. व्यस्त रहें. दिमाग में दूसरे ख्याल न आने दें. ऐसे वक्त में आप जितना ज्यादा वक्त खुशमिजाज व पॉजीटिव लोगों के साथ रहेंगे, खुद को बेहतर महसूस कर पायेंगे.
इन सब के बावजूद अगर आपकी परेशानी का हल नहीं निकल रहा हो और बॉस से बार-बार डांट पड़ रही हो कि ‘आपका परफॉर्मेंस गिर गया है. गलतियां हो रही हैं’ तो बेहतर है कि बॉस से समय लेकर बात करें. उन्हें अपने परेशानी बतायें.
बस ध्यान रहे कि परेशानी बताते वक्त शब्दों को चयन सही रखें और केवल उतनी ही परेशानी बतायें, जितनी बताना सही है. हो सकता है कि आपकी परेशानी समझ कर बॉस आपको कुछ दिन के लिए काम में थोड़ी रियायत दे दें या आपको रिलैक्स होने के लिए छुट्टी ही दे दें. इसके अलावा घर में अगर कोई बीमार है और आप इस वजह से परेशान हैं, तो हो सकता है कि बॉस आपके ऑफिस टाइम को एडजस्ट कर दें. पैसों की दिक्कत हो, तो कंपनी से लोन दिला दें.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in