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अपने घर को गिरवी रख पुलेला गोपीचंद ने की थी बैडमिंटन एकेडमी की स्थापना

रियो ओलंपिक में बैडमिंटन (महिला एकल) का फाइनल. एक ओर स्पेन की कैरोलिना मरीन और दूसरी ओर भारत की पीवी सिंधु. मरीन विश्व की नंबर वन खिलाड़ी हैं और बैडमिंटन कोर्ट पर उनकी बादशाहत है, जबकि पीवी सिंधु विश्व की 11वें नंबर की खिलाड़ी. लेकिन सिंधु ने कैरोलिना को शानदार तरीके से टक्कर दी. उस […]

रियो ओलंपिक में बैडमिंटन (महिला एकल) का फाइनल. एक ओर स्पेन की कैरोलिना मरीन और दूसरी ओर भारत की पीवी सिंधु. मरीन विश्व की नंबर वन खिलाड़ी हैं और बैडमिंटन कोर्ट पर उनकी बादशाहत है, जबकि पीवी सिंधु विश्व की 11वें नंबर की खिलाड़ी. लेकिन सिंधु ने कैरोलिना को शानदार तरीके से टक्कर दी. उस वक्त एक और खास बात जो ध्यान देने योग्य है वह है सिंधु के कोच पुलेला गोपीचंद. जो लगातार सिंधु को प्रोत्साहित कर रहे थे और ऐसा लग रहा था कि वे हर पल उसकी जीत की कामना कर रहे थे. जी हां पुलेला गोपीचंद, जिन्होंने बचपन से आजतक पीवी सिंधु को बैडमिंटन की ट्रेनिंग दी. हैदराबाद स्थित इनका बैडमिंटन कोचिंग सेंटर एक तरह से खिलाड़ियों की जन्मस्थली है, जहां से एक से एक बैडमिंटन खिलाड़ी निकलते हैं. सिंधु के अलावा, साइना नेहवाल, किदांबी श्रीकांत और पारूपल्ली कश्यप सब गोपीचंद के ही शिष्य रहे हैं.

गोपीचंद एकेडमी में शानदार तरीके से मिलती है ट्रेनिंग

बिरयानी के लिए प्रसिद्ध हैदराबाद शहर पिछले एक दशक से गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी के कारण भी जाना जाता है. इस एकेडमी की विशेषता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साइना नेहवाल जो हरियाणा से हैं उनके माता-पिता उसे ट्रेनिंग दिलवाने के लिए हैदराबाद शिफ्ट हो गये. यहां से सिंधु, श्रीकांत, कश्यप और साइना जैसे खिलाड़ी तो निकले ही कई ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो आंखों में सुंदर सपना लेकर ट्रेनिंग ले रहे हैं. कहा जाता है कि गोपीचंद ने अपने घर को गिरवी पर रखकर इस एकेडमी के लिए 30 लाख रुपया जुटाया था.

इस एकेडमी में बैडमिंटन के आठ कोर्ट हैं. जहां हर वक्त खिलाड़ी ट्रेनिंग पाते हैं. सुबह 4.30 बजे से सिंधु और श्रीकांत जैसे खिलाड़ी ट्रेनिंग के लिए आ जाते हैं. साइना नेहवाल सुबह छह बजे आती थीं. हालांकि बाद में नेहवाल ने यहां जाना छोड़ दिया. लेकिन गोपीचंद अपने हर शिष्य को एक मेंटर की तरह सिखाते हैं.

एक शानदार खिलाड़ी भी रहे हैं गोपीचंद

पुलेला गोपीचंद , प्रकाश पादुकोण के बाद भारत के दूसरे ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने वर्ष 2001 में इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता. गोपीचंद को अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और पद्‌मभूषण से भी नवाजा गया है. शुरुआती दिनों में वे बैडमिंटन खेलते थे, लेकिन भाई की प्रेरणा से उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया और इतिहास पुरुष बन गये.

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