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मोटापा है मस्तिष्क के लिए भी घातक

लंदन : मोटापा अपने आपमें एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिससे विश्व का हर तीसरा व्यक्ति परेशान है. ब्रिटिश स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक अगर एक बार वजन नियंत्रण से बाहर हो गया तो उसे दोबारा सही मानक पर लाना बहुत मुश्किल है. ब्रिटेन में हर साल लगभग […]

लंदन : मोटापा अपने आपमें एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिससे विश्व का हर तीसरा व्यक्ति परेशान है. ब्रिटिश स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक अगर एक बार वजन नियंत्रण से बाहर हो गया तो उसे दोबारा सही मानक पर लाना बहुत मुश्किल है. ब्रिटेन में हर साल लगभग 12 लाख लोग डाइटिंग करते हैं. इसकी मदद से वे काफी हद तक वजन कम करने में कामयाब भी होते हैं, लेकिन साल भर के भीतर उनका वजन दोबारा बढ़ जाता है. इस संबंध में शोध कर रही वैज्ञानिक डॉ रेबेका हार्डी के अनुसार, कुछ लोग डाइटिंग, व्यायाम और दवाओं की मदद से मोटापे पर नियंत्रण जरूर कर लेते हैं, लेकिन उनकी खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाती.

घटने लगती है मेमोरी

वजन बढ़ने की समस्या केवल शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित नहीं है, बल्कि इसका असर हमारे मस्तिष्क पर भी पड़ता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के अध्ययनकर्ताओं ने दावा किया है कि बढ़ते वजन की वजह से अकसर लोग डिमेंशिया जैसी बीमारी के शिकार हो जाते हैं. डिमेंशिया में मनुष्य का दिमाग सिकुड़ने लगता है, जिससे उसकी याद्दाश्त घटने लगती है.

विकल्प भी मौजूद

अंत में, मोटापे से त्रस्त लोगों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने पहली बार ब्राउन फैट तैयार किया है. यह एक अद्भुत टिश्यू है, जो ऊर्जा से गर्मी पैदा करता है. इस तकनीक से मोटापा कम करने में मदद मिलेगी. सिडनी की एक टीम ने पाया कि वयस्कों की टिश्यूज से ब्राउन फैट का निर्माण किया जा सकता है. इससे उम्मीद जगी है कि किसी व्यक्ति के लिए शरीर से बाहर ब्राउन फैट तैयार कर बाद में उसका प्रत्यारोपण किया जा सकता है.

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