ज्यादा सोच कर मन अशांत न करें
दक्षा वैदकर हर व्यक्ति के जीवन में ऐसी घटना जरूर होती है, जो उसे अशांत कर देती है. कुछ लोग थोड़े समय अशांत रह कर नॉर्मल हो जाते हैं, लेकिन कुछ उस घटना की वजह से कई दिनों तक अपनी शांति खो देते हैं. ये घटनाएं बड़ी भी हो सकती हैं और छोटी भी. उदाहरण […]
दक्षा वैदकर
हर व्यक्ति के जीवन में ऐसी घटना जरूर होती है, जो उसे अशांत कर देती है. कुछ लोग थोड़े समय अशांत रह कर नॉर्मल हो जाते हैं, लेकिन कुछ उस घटना की वजह से कई दिनों तक अपनी शांति खो देते हैं.
ये घटनाएं बड़ी भी हो सकती हैं और छोटी भी. उदाहरण के तौर पर पति गुस्से में खाना खाये बिना चले गये, तो पूरा दिन तनाव में रहना और आगे भी कई दिनों तक यह सोचना कि पति अब मुझसे प्यार नहीं करते. यह अशांति धीरे-धीरे हमें डिप्रेशन में डाल देती है. इस तरह हम न ठीक से कुछ खा पाते हैं और न काम कर पाते हैं. हमें समझना होगा कि इन छोटी-छोटी बातों पर चिंता करने से कोई फायदा नहीं है. इससे तो बस हम अवसाद की ओर जा रहे हैं. बेहतर है कि हम शांत रहने के कुछ तरीके सीख लें.
याद रखें, किसी भी बात को ज्यादा दिल से नहीं लगाना है, क्योंकि इसका सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है, जिससे हम तनावग्रस्त हो जाते हैं. दोस्त ने बात करना बंद कर दिया, कोई इग्नोर कर रहा है, किसी ने पार्टी में आपको नहीं बुलाया या किसी ने कुछ बोल दिया है, यह सब तो चलता रहेगा. इन पर ज्यादा विचार कर आप केवल और केवल अपनी तबीयत ही खराब करेंगे.
इसलिए जो बीत गया, उस पर मिट्टी डालें. उस पर ज्यादा न सोचें, क्योंकि सामनेवाला तो कब का यह सब कर के भूल चुका है और खुशियां मना रहा है. एक और जरूरी बात याद रखें, जो लोग मानसिक रूप से मजबूत होते हैं, वे अपनी गलतियों से सीखते हैं. माना कि आपने गलती की, लेकिन अब जरूरी नहीं है कि बार-बार आप उस गलती के बारे में सोच-सोच कर परेशान हों. खुद को मूर्ख कहें. उस गलती से सबक लें और आगे बढ़ जायें. इससे आपका दिमाग शांत रहेगा..
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in