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WFI का दावा, रजत पदक जीत सकता था नरसिंह

मुंबई : डोपिंग प्रकरण में फंसे पहलवान नरसिंह यादव का समर्थन जारी रखते हुए भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के एक शीर्ष अधिकारी ने आज दावा किया कि अगर वह रियो ओलंपिक में 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में हिस्सा लेता तो रजत पदक जीत सकता था. रियो खेलों में नरसिंह से स्पर्धा से पहले खेल पंचाट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2016 9:05 PM

मुंबई : डोपिंग प्रकरण में फंसे पहलवान नरसिंह यादव का समर्थन जारी रखते हुए भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के एक शीर्ष अधिकारी ने आज दावा किया कि अगर वह रियो ओलंपिक में 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में हिस्सा लेता तो रजत पदक जीत सकता था. रियो खेलों में नरसिंह से स्पर्धा से पहले खेल पंचाट ने उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया था.

यहां विश्व स्तरीय इनामी राशि प्रतियोगिता की घोषणा के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के इतर डब्ल्यूएफआई सचिव वीएन प्रसूद ने कहा, ‘‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि नरसिंह कम से कम रजत पदक जीतता.” नाडा ने नरसिंह को डोपिंग के आरोपों से मुक्त करते हुए इस पहलवान के इस दावे को स्वीकार कर लिया था कि हरियाणा के सोनीपत में ट्रेनिंग के दौरान उनके खाने या पेय पदार्थ में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाया गया जिसका उन्होंने सेवन कर लिया.
विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी ने नरसिंह को मिली क्लीन चिट को रियो में उनकी स्पर्धा से एक दिन पहले खेल पंचाट में चुनौती दी. खेल पंचाट से इसके बाद नरसिंह पर चार साल का प्रतिबंध लगाते हुए उन्हें ओलंपिक से बाहर कर दिया.
प्रतिबंध से पहले के घटनाक्रम के बारे में पूछने पर प्रसूद ने कहा, ‘‘18 अगस्त की दोपहर को नरसिंह का मेडिकल हुआ और डेढ़ बजे उनका वजन हुआ. स्पर्धा के कार्यक्रम में उसका नाम भी था. रात को साढ़े आठ बजे खेल पंचाट ने अपना आदेश दिया.”
प्रसूद ने कहा, ‘‘खेल पंचाट ने दोपहर में उन्हें कहा कि किसी चीज की चिंता मत करो और अपना वजन कराओ, हम रात को फैसला देंगे. इसलिए हम इसके (प्रतिबंध के) बारे में क्यों सोचते. तब हमें असल में लगा कि वे 21 तारीख के बाद कोई कार्रवाई करेंगे. अगर वे सजा देना चाहेंगे तो नरसिंह पदक जीतता तो उसे वापस ले लेते.” उन्होंने कहा, ‘‘इस फैसले की उम्मीद नहीं थी. अगर वे पहले ऐसा फैसला दे देते तो हम प्रवीण राणा को भेज सकते थे.”
डब्ल्यूएफआई का बचाव करते हुए प्रसूद ने कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति और कुश्ती की वैश्विक संस्था, यूनाईटेड विश्व कुश्ती ने नरसिंह के नाम को स्वीकृति दी थी और इसलिए उन्हें रियो भेजा गया था. उन्होंने कहा, ‘‘महासंघ की कोई गलती नहीं है. भारत में डोपिंग पर फैसले का अंतिम अधिकार नाडा को है और उन्होंने नरसिंह को स्वीकृति दी. वाडा ने प्रत्यक्ष तौर पर हमारे पहलवान के खिलाफ कुछ नहीं किया और खेल पंचाट में अपील की.”
प्रसूद ने कहा, ‘‘हमने नरसिंह को अपने अन्य पहलवानों के साथ नहीं भेजा क्योंकि हम वाडा के कदम उठाने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. अगर वाडा अपील करना चाहता था तो 10 तारीख से पहले क्यों नहीं की.” उन्होंने कहा, ‘‘नाडा ने दो अगस्त को फैसला दिया था, 24 घंटे के भीतर वाडा के पास नतीजा था. नरसिंह रियो के लिए 10 तारीख को रवाना हुए वाडा ने 13 तारीख तक नरसिंह के खिलाफ कुछ नहीं किया. उन्होंने 13 तारीख को अपील की जिसके बारे में महासंघ को 16 तारीख तक कोई सूचना नहीं मिली.”
प्रसूद ने कहा, ‘‘नरसिंह के जाने में कोई समस्या होने की स्थिति में हमने प्रवीण राणा का नाम विकल्प के तौर पर रखा था. भारत से किसी ने वाडा को सूचित किया कि नाडा ने राजनीतिक दबाव के कारण नरसिंह को स्वीकृति दी है. यही कारण है कि वाडा ने अपील की.” उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम उसकी जगह प्रवीण राणा को भेज देते और वह जल्दी बाहर हो जाता तो मीडिया मुझसे पूछती कि स्वीकृति मिलने के बावजूद नरसिंह को क्यों नहीं भेजा गया.”
प्रसूद ने साथ ही कहा कि नरसिंह के परीक्षण में जो प्रतिबंधित दवा मिली है उसे आम तौर पर 50 साल से अधिक के लोग वजन बढाने के लिए लेते हैं. उन्होंने कहा कि नरसिंह का वजन पहले से ही 76 किग्रा था और वह 74 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेता है तो फिर वह दवा क्यों लेता.
प्रसूद ने कहा, ‘‘नाडा ने हमें बताया कि उन्हें चार जुलाई को सूचना मिली थी कि नरसिंह प्रतिबंधित पदार्थों का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन उन्होंने अब तक महासंघ को पत्र की प्रति नहीं भेजी है.” दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को नरसिंह का स्टैंड बाई नहीं बनाने के बारे में पूछने पर प्रसूद ने कहा, ‘‘सुशील कुमार महान पहलवान है. वह सभी प्रक्रिया जानता है. प्रवीण राणा ट्रायल में नरसिंह के बाद दूसरे स्थान पर था. अगर हम नरसिंह का स्टैंडबाई सुशील को बनाते तो वह अदालत की शरण में जा सकता था.”

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