इसरो ने रचा इतिहास: वायुमंडल से ऑक्सीजन लेनेवाले इंजन का सफल परीक्षण

बेंगलुरु : इसरो ने रविवार को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण कर अपनी कामयाबी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया. यह इंजन वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन का प्रयोग किया. इससे अब प्रक्षेपण की लागत और वजन में कमी आयेगी. साथ ही हवा से ऑक्सीजन लेनेवाले इंजन डिजाइन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2016 9:12 AM

बेंगलुरु : इसरो ने रविवार को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण कर अपनी कामयाबी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया. यह इंजन वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन का प्रयोग किया. इससे अब प्रक्षेपण की लागत और वजन में कमी आयेगी. साथ ही हवा से ऑक्सीजन लेनेवाले इंजन डिजाइन करने के इसरो के प्रयास में मदद मिलेगी.

इसरो ने कहा कि 12 घंटे की निर्बाध उल्टी गिनती के बाद स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन ने अंतरिक्ष केंद्र से रविवार सुबह करीब छह बजे दो स्टेज इंजन (आरएच-560) यानी एटीवी ने उड़ान भरी, जो सफल रही. इसरो के मुताबिक, स्क्रैमजेट इंजन ने पांच सेकेंड की अवधि तक काम किया और पांच सेकेंड की अवधि की शुरुआत में ईंधन डाला गया तथा उसके बाद इंजन स्वत: चालू हो गया. सात सेकेंड तक ईंधन डाला गया और प्रज्वलन हुआ. इसके बाद 300 सेकेंड की उड़ान श्रीहरिकोटा से करीब 320 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में समाप्त हुई.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के शिवन ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए दो साउंडिंग रॉकेटों का इस्तेमाल किया गया और दोनों को एक-दूसरे के साथ जोड़ा गया. पहला रॉकेट सात किमी तक ऊपर गया और उतर गया. वहीं, दूसरा 20 किमी तक ऊपर गया. दूसरे रॉकेट में दो स्क्रैमजेट इंजन थे.

हाइड्रोजन का इस्तेमाल

इसरो ने कहा कि उसके डिजाइन किये गये स्क्रैमजेट इंजनों में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है और ये ऑक्सीकारक के रूप में वायुमंडल की वायु से ऑक्सीजन लेते हैं. सामान्य तौर पर रॉकेट के इंजनों में दहन के लिए ईंधन और ऑक्सीकारक दोनों होते हैं. स्क्रैमजेट इंजनों का इस्तेमाल इसरो के रियूजेबल लांच व्हीकल (आरएलवी) को हाइपरसोनिक रफ्तार में संचालित करने के लिए भी किया जायेगा.

जापान और चीन हमसे पीछे

अमेरिका, रूस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद स्क्रैमजेट इंजन के परीक्षण का प्रदर्शन करनेवाला भारत चौथा देश है. वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन का इस्तेमाल करनेवाला भविष्य के स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण करके भारत चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है. वहीं, जापान और चीन भारत से पीछे है. नासा ने वर्ष 2004 में इसका परीक्षण किया था. इससे पहले भारत ने वर्ष 2006 में स्क्रैमजेट इंजन का धरती पर परीक्षण किया था.

भविष्य के स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन के परीक्षण के लिए इसरो को हार्दिक बधाई. भारत को आप पर गर्व है.
प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति


स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता का प्रमाण है. इसरो को बधाई. हमने बार बार देखा है कि हमारे वैज्ञानिकों एवं अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कैसे भारत को गौरवान्वित किया है.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

Next Article

Exit mobile version