14 साल की उम्र में बना मलेरिया मोबाइल ऐप डेवलपर
जिस उम्र में बच्चे मैट्रिक परीक्षा की तैयारी करते हैं, उस उम्र में नमन तिवारी ने ऐसा काम कर दिया कि आज दुनिया उसे नमन कर रही है. संसाधनों के अभाव से जूझते हुए नमन ने वह मुकाम हासिल किया है, जो विरले लोग कर पाते हैं. वह 14 साल का है मोबाइल एेप डेवलपर […]
जिस उम्र में बच्चे मैट्रिक परीक्षा की तैयारी करते हैं, उस उम्र में नमन तिवारी ने ऐसा काम कर दिया कि आज दुनिया उसे नमन कर रही है. संसाधनों के अभाव से जूझते हुए नमन ने वह मुकाम हासिल किया है, जो विरले लोग कर पाते हैं. वह 14 साल का है मोबाइल एेप डेवलपर है.
अब वह इसकी मार्केटिंग पर विचार कर रहा है. वह ऐप की दुनिया में अपनी नयी खोज से बड़ा बिजनेस लीडर बनने का ध्येय रख है. इसके लिए उम्र ओर संसाधन को वह बाधक नहीं मानता. उसने एेप डेवलपिंग की कोई ट्रेनिंग भी नहीं ली है. शौक से शुरू हुआ उसका सफर आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया है. उसके नाम आज कुल 22 एेप बनाने का क्रेडिट है. वह भारत के शाहजहांपुर जैसे छोटे शहर की हे, जहां लोग एंड्रायड डेवलपमेंट जैसे शब्दों से भी वाकिफ नहीं हैं. खुद उसके पास मोबाइल फोन तक नहीं था. उसने सबकुछ इंटरनेट और लैपटॉप की मदद से किया है.
जब वह 7वीं कक्षा का छात्र था, तब उसने इस काम को शौकिया तौर पर शुरू किया था. उसने पहले कई इंटरटेनमेंट एेप बनाये. इसके लिए उसे खूब प्रसिद्धि भी मिली. फिर उसने सामाजिक सुरक्षा आैर मेडिकल एेप की ओर रुख किया. अब उसने मलेरिया से लड़ने व उसकी पहचान करने वाले एप का निर्माण किया है. इसके अलावा सिक्योर गर्ल्स नाम से भी उसने ऐप बनाया है. अब वह खुद को ज्यादा संतुष्ट व जिम्मेदार महसूस करता है.
उसका यह ऐप उन तमाम लोगों के लिए लाभदायक हो सकता है, जिनके पास मलेरिया की जांच और इलाज के पैसे नहीं हैं. नमन इस एप के माध्यम से एक्सपर्ट सलाह भी मुहैया कराता है. सिक्योर गर्ल्स ऐप को भी खूब सराहना मिली है. उसके सारे एेप गूगल के प्ले स्टोर में मौजूद हैं. अब वह खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी खोलने की तैयारी में है.