बर्लिन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में एक बार फिर बलूचिस्तान से लेकर जर्मनी तक नारे लगे हैं. बलूचिस्तान के अवारन में बलूच रिपब्लिकन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान और बलूचिस्तान में चीनी हस्तक्षेप का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया है. प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान विरोधी नारे भी लगाए और मोदी के समर्थन में नारे बुलंद किए. ऐसा ही नजारा जर्मनी के डसेलडोर्फ, बर्लिन और म्यूनिख में देखने को मिला. बलूच कार्यकर्ताओं ने डसेलडोर्फ में बलूचिस्तान में पाकिस्तानी अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की वहीं म्यूनिख में समर्थकों ने "पीएम मोदी बलूचिस्तान लव यू" जैसे पोस्टर हाथ में लेकर प्रदर्शन किया.
बलूच नेता बी बुगती ने कहा है कि हमने कभी नहीं कहा कि हम बात नहीं करना चाहते. बातचीत के लिए हम आज भी तैयार हैं, लेकिन जैसे 1970 में बांग्लादेश से फौज निकली थी, वैसे ही बलूचिस्तान से भी निकले. पाकिस्तान की फौज के पास अभी भी वक्त है कि वो निकल जाए। नहीं तो, बांग्लादेश से भी बुरा हाल होगा. उन्होंने कहा कि हमारा मुल्क पाकिस्तान न कभी था और न है। हमें जबरदस्ती इसके साथ मिलाया गया.
इधर, चीन को यह बात नापसंद है कि भारत पीओके और बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार मसले को उठाये. यह चीन का पाकिस्तान प्रेम है या फिर भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती निकटता से पनपी चिढ़ या फिर पीएम मोदी के प्रस्तावित वियतनाम दौरे के प्रति नाराजगी, लेकिन वह है भारत से खफा. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर के तनावपूर्ण माहौल से लोगों का ध्यान हटाने के लिए भारत, बलूचिस्तान व पीओके का मुद्दा उठा रहा है. यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना सब्र खो चुक हैं.
Berlin (Germany): Baloch activists hold protest against Pakistan atrocities in Balochistan pic.twitter.com/4Yo32onQ6b
— ANI (@ANI) August 31, 2016
मालूम हो कि 15 अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने बलूचिस्तान और पीओके का मुद्दा उठाया था. मोदी के उकसावे वाली कार्रवाई से ‘भारत पर बढ़ता खतरा’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में पीओके के आतंक से पीड़ित लोगों को पांच लाख रुपये की सहायता राशि देने के मोदी सरकार के संभावित कदम को रिपोर्ट में उकसावे वाली कार्रवाई बताया गया है. साथ ही कहा है कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को फिर से जीवंत बनाने की अनिच्छुक कोशिशों के बाद मोदी ने सब्र खो दिया है. उन्होंने बैर के पूर्वानुमानित कट्टर लहजे को अपना लिया है.
WATCH: Baloch Republican Party activists protest against military ops in Awaran (Balochistan),raise anti-Pak slogans pic.twitter.com/jGtEHKfCu5
— ANI (@ANI) August 31, 2016
रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि जब भारत, बलूचिस्तान में अपनी किसी भी तरह की भूमिका के बारे में खंडन करता रहा है, तब मोदी क्यों सार्वजनिक तौर पर इसका जिक्र करते हैं? कश्मीर पर भी, वह इतना उकसावे वाला कदम क्यों उठाते हैं, जब उन्हें पता है कि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया निश्चित तौर पर दुनिया का ध्यान उधर खींचेगी. क्या वह चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह मुद्दा नहीं उठे? इससे पहले चीनी थिंकटैंक्स ने भारत के खिलाफ कदम उठाने की बात कही थी.