14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आज मध्याह्न में शुभ मुहूर्त होगी विघ्नहर्ता की पूजा

आज मध्याह्न में शुभ मुहूर्त होगी विघ्नहर्ता की पूजा ऊं गणानांत्वा गणपति हवा महे. प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे. निधीनां त्वा निधि पति हवा महे वसो मम आहम नजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम. सोमवार को विघ्नहर्ता गणेश जी का यह मंत्र गूंजेगा और उनकी पूजा पूरी श्रद्धा से होगी. शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को अग्रपूज्य […]

आज मध्याह्न में शुभ मुहूर्त होगी विघ्नहर्ता की पूजा

ऊं गणानांत्वा गणपति हवा महे. प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे. निधीनां त्वा निधि पति हवा महे वसो मम आहम नजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम. सोमवार को विघ्नहर्ता गणेश जी का यह मंत्र गूंजेगा और उनकी पूजा पूरी श्रद्धा से होगी. शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को अग्रपूज्य देवता भगवान गणेश का मध्याह्न में अवतरण हुआ था. इसी उपलक्ष्य में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.

भगवान श्री गणेश की उपासना से जहां कार्यो में सफलता मिलती है, अवरोध हटते हैं, वही ज्ञान एवं बुद्धि में वृद्धि होती है तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिन्दूर चढाना चाहिए और उन्हें लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए. पं अमित माधव महाराज कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन नक्तव्रत का विधान है.

पूजा यथासंभव मध्याह्न में ही करनी चाहिए. सोमवार को भद्रा का निवास पाताल में होने के कारण भद्रा दोष पर विचार नहीं करना चाहिए. वे कहते हैं कि भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता एवं विघ्नकर्ता दोनों हैं. जहां साधकों के लिए वे विघ्न विनाशक हैं, वहीं दुष्टों के लिए विघ्नकर्ता भी हैं. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता हैं, रिद्धि और सिद्धि इनकी पत्नियां हैं.

गणेश जी को नैवेद्य के रूप में मोदक है प्रिय

गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः काल साधक को उपवास करना चाहिए. दोपहर में गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ा कर विधि-विधान से उनकी पूजा करनी चाहिए तथा नैवेद्य में लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए. इसके बाद शंख, घंटे, घड़ियालों के साथ गणेश जी की आरती करनी चाहिए. शाम में पुनः स्नान करने के उपरांत साधक को गणेश जी की पूजा फिर से करनी चाहिए.

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन होता है निषेध

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी सिद्धविनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है. इसमें किया गया दान, स्नान, उपवास और अर्चना गणेश जी की कृपा से सौ गुना हो जाता है, लेकिन इस चतुर्थी को चंद्र दर्शन का निषेध किया गया है. इस दिन चंद्र दर्शन से मिथ्या कलंक लगता है.

अत: इस तिथि को चंद्र दर्शन न हो, ऐसी सावधानी रखनी चाहिए. यदि किसी प्रकार चंद्र दर्शन हो जाये तो इस दोष शमन के लिए विष्णु पुराण में लिखित इस मंत्र का पाठ करना चाहिए – सिंह: प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हत:! सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक:!! इसके साथ स्यमन्तक मणि का आख्यान सुनना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें