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चलिए, आज हम भी अलख जगाते हैं

अकसर ही कोई शिक्षा की अलख जगाने की बात करता है, तो कोई देशप्रेम की. इसके लिए कोई प्रचार अभियान चलाता है, तो कोई कलम से ही अलख जगाता है. अलख शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है? कुछ हफ्तों पहले इस स्तंभ में हमने ‘गोरखधंधा’ शब्द की बात की थी. गोरखधंधा की तरह ही अलख […]

अकसर ही कोई शिक्षा की अलख जगाने की बात करता है, तो कोई देशप्रेम की. इसके लिए कोई प्रचार अभियान चलाता है, तो कोई कलम से ही अलख जगाता है. अलख शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है? कुछ हफ्तों पहले इस स्तंभ में हमने ‘गोरखधंधा’ शब्द की बात की थी.

गोरखधंधा की तरह ही अलख शब्द का ताल्लुक भी ‘नाथ’ संत संप्रदाय से है. अगर आपके द्वार पर कभी कोई नाथ जोगी भिक्षा मांगने आया हो, तो उसके मुंह से आपने ‘अलख निरंजन’ की आवाज जरूर सुनी होगी. नाथ परंपरा में अलख और निरंजन दोनों ही ईश्वर के विशेषण हैं. निरंजन शब्द ‘नि:’ और ‘अंजन’ के योग से बना है. अंजन का सामान्य प्रचलित अर्थ है काजल. इसके अन्य अर्थ हैं, कालिमा, कलुष, दोष. अर्थात् जो किसी भी कलुष या दोष से रहित हो, वह निरंजन है, और ऐसा तो ईश्वर ही हो सकता है.

अलख शब्द संस्कृत के ‘अलक्ष्य’ का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है- अदृश्य, जिसके लक्षणों को बताया न जा सके, अचिह्न्ति. अर्थात् जो आंखों की पकड़ में न आये, कानों के सुनने में न आये, हाथों के छूने में न आये, जो इंद्रियातीत हो, जो शब्दों और शास्त्रों में न बांधा जा सके, वह अलख है. निराकार उपासक नाथ परंपरा में ईश्वर की परिकल्पना इसी ‘अलख’ रूप में है. अलख से ही ‘अलह’ शब्द बना है, जिसका भक्त कवियों ने काफी प्रयोग किया है. हजारी प्रसाद द्विवेदी लिखते हैं कि अलह शब्द ‘अलभ्य’ (जिसे पाया न जा सके) से भी बनता है. ‘अलह’ शब्द में अरबी में ईश्वर के लिए प्रयुक्त होनेवाले ‘अल्लाह’ शब्द के अर्थ भी निहित हैं. यानी जो एक है, अद्वितीय है और श्रेष्ठ से भी श्रेष्ठ है.

जब नाथ जोगियों के संदर्भ में ‘अलख जगाने’ की बात होती है, तो आशय होता है- पुकार कर परमात्मा का स्मरण करना या कराना, परमात्मा के नाम पर भिक्षा मांगना. लेकिन, लोक जगत ने ‘अलख जगाने’ को लिया, अपने मत या वाद का प्रचार करने के अर्थ में. जिस तरह जोगी ‘अलख’ की रट बांधे रहते हैं, उसी प्रतिबद्धता के साथ अपनी बात बार-बार रखने के अर्थ में. इस तरह अलख जगाने का अर्थ विस्तार हुआ, किसी चीज के लिए लोगों को जागरूक या बेदार करने के अर्थ में. एक बात और, कुछ लोग ‘अलग जगाने’ को ‘अलख जलाना’ भी लिखते हैं. इसे एक मिसाल से समङों. सवाल किया जाता है, सवाल उठाया भी जाता है और सवाल दागा भी जाता है. सबमें अलग-अलग प्रभाव आता है. अलख को ज्ञान के प्रकाश के अर्थ में भी लिया जाता है, इसलिए कुछ लोग अलख जलाने का प्रयोग भी करते हैं, जैसे दीपक जलाया जाता है.

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