अब गधे नहीं भेजे जा सकेंगे बाहर

अफ़्रीकी देश निजेर ने गधों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है. उसका कहना है कि गधों के व्यापार, ख़ासकर एशियाई देशों को हो रहे निर्यात में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हुई है. यह गधों की संख्या के लिए चेतावनी है. निजेर के कृषि, वित्त और गृह मंत्रालय ने मिलकर गधों के व्यापार पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2016 10:10 AM
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अफ़्रीकी देश निजेर ने गधों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है.

उसका कहना है कि गधों के व्यापार, ख़ासकर एशियाई देशों को हो रहे निर्यात में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हुई है. यह गधों की संख्या के लिए चेतावनी है.

निजेर के कृषि, वित्त और गृह मंत्रालय ने मिलकर गधों के व्यापार पर पाबंदी का फ़ैसला किया है.

एक सरकारी अधिकारी ने बीबीसी से कहा, ”अगर निर्यात जारी रहा तो जानवर ख़त्म हो जाएंगे.”

चीन गधों की खाल का आयात करने वाला प्रमुख देश है. इस खाल को गलाकर बनाई गई जिलेटिन का इस्तेमाल स्वास्थ्यवर्धक और कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवाओं और एंटी एजिंग क्रीम बनाने में किया जाता है.

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अगस्त में निजेर के पड़ोसी देश बुर्किना फ़ासो ने इसी आधार पर गधों की खाल का निर्यात बंद कर दिया था.

निजेर के पशु मंत्रालय के मुताबिक़ इस साल अबतक 80 हज़ार गधों का निर्यात हुआ है, जबकि पिछले साल 27 हज़ार गधों का निर्यात हुआ था.

निजेर की सरकार ने देश में गधों के काटे जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.

राजधानी नियामे में मौजूद बीबीसी संवाददाता बारो अर्ज़िका के मुताबिक़ गधों का व्यापार फ़ायदे का सौदा बन गया है. पशु व्यापारी इसके लिए अन्य पशुओं का व्यापार छोड़ रहे हैं.

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निजेर में एक गधे की क़ीमत सौ से 145 डॉलर के बीच है, जो कि कुछ समय पहले तक 34 डॉलर तक होती थी. गधे की खाल की क़ीमत में कुछ इसी तरह का उछाल बुर्किना फ़ासो में देखने को मिला था, जहां कुछ साल पहले तक चार डॉलर में बिकने वाली गधे की खाल अब 50 डॉलर में बिक रही है.

इन दोनों देशों में गधे का इस्तेमाल सामान ढोने के लिए किया जाता है. कुछ समुदायों में इसका मांस भी खाया जाता है.

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