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उत्तर कोरिया का पांचवां परमाणु परीक्षण, एक तानाशाह की जिद से बर्बाद हो रहा देश!

नयी दिल्ली : एक तानाशाह की तरह जीवन बिताने वाला उत्तर कोरिया का शासक किम जोंग उन अपनी नादानियों के वजह से अपने देश को आर्थिक रूप से कमजोर करता जा रहा है. किम जोंग उन तानाशाहों में से है जो अपनी फरमान ना मानने वालों को सीधा मौत देते हैं. हाल ही में इस […]

नयी दिल्ली : एक तानाशाह की तरह जीवन बिताने वाला उत्तर कोरिया का शासक किम जोंग उन अपनी नादानियों के वजह से अपने देश को आर्थिक रूप से कमजोर करता जा रहा है. किम जोंग उन तानाशाहों में से है जो अपनी फरमान ना मानने वालों को सीधा मौत देते हैं. हाल ही में इस तानाशाह ने अपने ही एक प्रधानमंत्री को केवल इसलिए सजा ए मौत दे दी कि किम जोंग की बैठक में उसकी आंख झपक गई थी. उत्तर कोरिया में विदेशी नागरिकों को कैमरा ले जाना प्रतिबंधित है. ऐसा केवल इसलिए कि वहां की जनता की बदहाली दुनिया के दूसरे देश ना देख पाएं. उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के विभाजन के करीब 7 दशक बाद दोनों देशों के अर्थव्यवस्था में काफी असमानता है.

दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र है और वह दुनिया के तमाम बड़े देशों के साथ मैत्री संबंध स्थापित कर चुका है. वहीं दूसरी ओर पूरी दुनिया से कटा हुआ उत्तर कोरिया केवल सैन्य शक्ति को बढ़ाने में लगा हुआ है. लगातार मिसाइलों और बमों के परीक्षण के कारण उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. दूसरी ओर इस देश को संयुक्त राष्‍ट्र समेत कई देशों के प्रतिबंधों से गुजरना पड़ रहा है. आज फिर उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया है. दक्षिण कोरिया ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि यह परीक्षण उत्तर कोरिया को अंतरराष्‍ट्रीय बिरादरी से बाहर कर देगा और उसके लिए ही घातक साबित होगा. अमेरिका ने कहा कि वह इसको कदापि स्वीकार नहीं करेगा और हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है. वहीं चीन और जापान की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रियाएं आई हैं.

प्रतिबंधों के बावजूद किया परमाणु प‍रीक्षण

परमाणु परीक्षण स्थल पर भुकंप की घटना के बाद दक्षिण कोरिया ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया ने अपना पांचवां और अब तक का सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण किया है. प्युंग्यी री परमाणु परीक्षण स्थल पर 5.3 तीव्रता के भूकंप का पता चला. यह वहीं जगह है जहां उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण किया करता है. उत्तर कोरिया आज अपना स्थापना दिवस भी मना रहा है. देश की स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी. अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया भर में भूकंप की जांच करने वालों ने जिस भूकंप का पता लगाया है वह ‘संभवत: उत्तर कोरिया का पांचवां परमाणु परीक्षण’ था.

उत्तर कोरिया ने अपना पहला परमाणु परीक्षण वर्ष 2006 में किया था, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र उस पर पांच बार प्रतिबंध लगा चुका है. विश्व निकाय के प्रतिबंधों की अवज्ञा करते हुए उत्तर कोरिया ने इस साल कई बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण भी किए हैं. आए दिन उत्तर कोरिया मिसाइलों का परीक्षण करता रहता है और दक्षिण कोरिया सहित अमेरिका को भी धमकाते रहता है. उत्तर कोरिया ने सोमवार को उस समय तीन बैलिस्टिक मिसाइलों का भी परीक्षण किया जब विश्व शक्ति माने जाने वाले देशों के नेता जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए चीन में एकत्र हुए थे.

दुनियाभर के नेता करते हैं आलोचना

परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेताया था कि इन परीक्षणों से दबाव बढेगा. वहीं जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने कहा था, ‘अगर उत्तर कोरिया ने कोई परमाणु परीक्षण किया है तो इसे कभी बरदाश्त नहीं किया जाएगा. हमें एक दृढ विरोध दर्ज करना चाहिए.’व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया ‘हमें कोरियाई प्राय:द्वीप में उत्तर कोरियाई परमाणु स्थल के तौर पर चर्चित क्षेत्र में भूगर्भीय गतिविधि की जानकारी है.’ प्राइस ने बताया ‘हम हमारे क्षेत्रीय भागीदारों के साथ समन्वय करते हुए स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं.’ व्हाइट हाउस के इस बयान से पहले दक्षिण कोरिया और अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसियों ने उत्तर कोरिया के उत्तर पूर्व में स्थित परमाणु परीक्षण स्थल पर भूकंप की खबर दी.

दक्षिण कोरिया ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘उत्तर कोरिया का परमाणु परीक्षण खुद को तबाह करने की दिशा में उठाया गया कदम है.’ दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गेयुन-ह्ये ने इसे ‘खुद की तबाही’ की ओर उठाया गया कदम बताया जो अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में इसे और भी ज्यादा अलग-थलग कर देगा. चीन ने भी परमाणु परीक्षण का ‘कड़ा विरोध’ किया है.

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्‍था में अंतर

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्‍था में अंतर को हम ऐसे जान सकते हें कि जहां एक ओर दक्षिण कोरिया इलेक्ट्रानिक सामानों के एक बड़े उत्पादक देश के रुप में सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर विश्व की पन्द्रहवी और क्रय शक्ति के आधार पर बारहवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह जी-20 जैसे विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. वहीं उत्तर कोरिया अपने जीडीपी को सार्वजनिक नहीं करता है और दुनिया की नजरों में यह एक गरीब देश की श्रेणी में आता है. यह अंतरराष्‍ट्रीय बिरादरी से भी पूरी तरह कटा हुआ है.

अमेरिका ने हाल ही में इसपर प्रतिबंध लगाया है और अपने देश के कानून 311 के तहत इसके साथ किसी भी देश के कारोबार पर भी रोक लगा दिया है. इस देश के सभी बैंकों को ओबामा ने अमेरिकी संसद से मिले अधिकार का इस्तेमाल कर उत्तर कोरियाई बैंकों को इंटरनेशनल बैंकिंग सिस्टम से बिल्कुल अलग-थलग करने का आदेश दिया है. अमेरिकी वित्त विभाग ने एक जून को ऐलान किया कि दुनिया का कोई भी देश जो उत्तर कोरिया के साथ पेमेंट का लेन-देन करेगा, उसे अमेरिका में बिजनेस नहीं करने दिया जाएगा.

यूएस पेट्रीअट एक्ट की धारा 311 के तहत अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर प्राइमरी मनी लॉन्डरिंग कंसर्न यानी कालेधन का सबसे बड़ा धनवान का लेबल चस्पा कर दिया. उत्तर कोरिया पर 311 का टैग लगने का मतलब ये है कि विदेशी बैंक अब ऐसे खातों का इस्तेमाल नहीं कर सकते जो उत्तर कोरियाई बैंकों के लेन-देन से जुड़े हों. अगर ऐसे लेन-देन होते हैं तो इनके लिए सजा भी काफी कठोर हैं. आरोपी बैंक डॉलर ट्रेडिंग के दायरे तक से बाहर हो सकता है, जो कि किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक के लिए सजा-ए-मौत से कम नहीं.

दूसरी ओर दक्षिण कोरिया एक उच्च-आय वाली विकसित अर्थव्यवस्था है और ओईसीडी का सदस्य है. दक्षिण कोरिया मूल एशियाई चीतों वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यह एकमात्र विकसित देश है जिसे नॅक्ट इलैवन समूह में सम्मिलित किया गया है. दक्षिण कोरिया 1960 के आरम्भ से 1990 के अन्त तक विश्व के सबसे तेजी से विकास करते देशों में से था और 2000 के दशक में भी यह देश विकसित देशों में सर्वाधिक तेजी से विकास करने वाले देशों में था. वर्ष 1980 में दक्षिण कोरिया की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2300 डॉलर थी, जो निकट के विकसित देशों जैसे सिंगापुर, हांगकांग और जापान का केवल एक-तिहाई थी. 2010 में इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी 30,000 डॉलर हो चुकी है. इसी समय के दौरान पूरे देश का सकल घरेलू उत्पाद भी 88 अरब डॉलर से बढ़कर 1460 अरब डॉलर हो गया है.

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