महिलाओं को कामकाजी दुनिया में ऊंचे पद तक पहुंचने के लिए न केवल ज़्यादा मेहनत करनी होती है, बल्कि अपने पुरुष साथियों की तुलना में ज़्यादा काम करना पड़ता है.
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की चेयरपर्सन अरूंधति भट्टाचार्या इस राय से पूरी तरह इत्तेफाक़ रखती हैं. उन्होंने बीबीसी के साथ बातचीत में इस विषय और कुछ अन्य मुद्दों पर विचार रखे हैं.
भारत के सबसे बड़े बैंक की पहली महिला बॉस अरूंधति भट्टाचार्या कहती हैं, “कई जगहों पर लोग सोचते हैं कि महिलाओं की पहली प्राथमिकता यानी प्राइमरी लॉयल्टी घर परिवार की ओर होती है. ऐसे में यदि महिलाओं को रिस्पांसिबल पॉजिशन दी जाए और वो उस ड्यूटी को कर नहीं पाएं, तो क्या होगा? इस राय को ग़लत साबित करने के लिए महिलाओं को बहुत बार अपने साथियों से बेहतर काम करना होता है, यह दिखाना होता है कि वे मोर दैन कैपेबल हैं.”
अरूंधति मानती हैं कि महिलाओं के करियर में ऊपर पहुंचने के लिए निचले स्तर पर बड़ी संख्या में महिलाओं को करियर से जुड़ना होगा.
अरूंधति बताती हैं, “हमारे देश में अब भी घर को संभालने का दायित्व महिलाओं का होता है. कई महिलाएं नौकरी में आती हैं, लेकिन बीच में ही नौकरी छोड़ देती हैं. हम ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें काम छोड़ने वाली महिलाएं फिर से काम पर आ सकें. पुरुषों को भी घर का काम करना चाहिए.”
इन दिनों एसबीआई की आलोचना भी हो रही है कि बैंक विजय माल्या जैसे कारोबारियों से लोन की वसूली नहीं कर पा रहा है. विजय माल्या की कंपनियों पर एसबीआई समेत कई बेंकों का करीब नौ हज़ार करोड़ रुपए का लोन नहीं चुकाने का आरोप है.
एसबीआई पर आरोप है कि उसने ऐसे कारोबारियों के प्रति नरम रवैया अपनाया है.
अरूंधति भट्टाचार्या कहती हैं, “हमें पूरी उम्मीद है कि हम अपने लोन की वसूली कर लेंगे. पैसा छोड़ने का सवाल ही नहीं, लेकिन एक लीगल प्रोसेस पूरा होना चाहिए और इसमें वक्त लगता है.”
इस मुश्किल के बारे में विस्तार से बताते हैं भारतीय स्टेट बैंक की मुखिया कहती हैं, “दरअसल बड़े कारोबारियों के पास पैसा होता है, जब हम उन पर केस करते हैं तो वो भी हम पर केस करते हैं. विजय माल्या के साथ हमारे 23 मामले चल रहे हैं. हम लोग उन पर कार्रवाई कर रहे हैं, पूरी तरह से कार्रवाई कर रहे हैं. नियमों के मुताबिक समय लग रहा है, लेकिन हम सख्त क़दम उठा चुके हैं.”
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