उरी हमले से दबाव में पाक, पूर्व अधिकारियों ने कहा-बेहद खतरनाक दौर से गुजर रहा है पाकिस्तान

उरी हमले को लेकर पाकिस्तान भयानक दबाव के दौर से गुजर रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इन दिनों अमेरिका दौरे में हैं. कल यूएन में वो कश्मीर घाटी में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद भड़की हिंसा से पैदा तनाव का मुद्दा उठाने वाले हैं लेकिन उरी में आर्मी कैंप में हमले के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2016 6:41 PM

उरी हमले को लेकर पाकिस्तान भयानक दबाव के दौर से गुजर रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इन दिनों अमेरिका दौरे में हैं. कल यूएन में वो कश्मीर घाटी में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद भड़की हिंसा से पैदा तनाव का मुद्दा उठाने वाले हैं लेकिन उरी में आर्मी कैंप में हमले के बाद पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है. पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया है. वहां के प्रमुख अखबार डॉन की वेबसाइट में आज तीन पूर्व विदेश सचिव समेत पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का लेख प्रकाशित हुआ है.

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि पाकिस्तान कैसे बेहद खतरनाक दौर से गुजर रहा है. लेख में लिखा गया है कि पाकिस्तान भारत और अफगानिस्तान की साझा धमकी का सामना कर रहा है. वाशिंगटन में पाकिस्तान के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है.डॉन में प्रकाशित लेख में यह भी कहा गया है कि मोदी सरकार खास किस्म का कैंपेन चला रही है. इस कैंपेन में पूरी दुनिया को यह बताया जा रहा है कि कश्मीर घाटी में प्रदर्शन पाकिस्तान के आतंकवाद की नीति से प्रेरित है. पाकिस्तान को बुरे वक्त के लिए तैयार रहना चाहिए.
पाकिस्तान को इस बुरे वक्त में चीन और इस्लामिक वर्ल्ड से मदद लेनी चाहिए, लेकिन ज्यादा निर्भरता खुद के सुरक्षा तैयारियों पर करना चाहिए. पाकिस्तान को अच्छे और बुरे आतंकियों के बीच भेद खत्म करने की नीति अपनानी चाहिए. लेख में यह आशंका जतायी गयी है कि भारत एलओसी पार कर पाकिस्तान पर हमला बोल सकता है.
अफगानिस्तान का जिक्र खासतौर पर किया गया है. पाकिस्तान की मौजूदा अफगान नीति की आलोचना की गयी है. पूर्व अधिकारियों ने इस बात को खासतौर से जाहिर किया है कि आज अफगान के पढ़े -लिखे युवा हमसे अलग-थलग महसूस करते हैं , ऐसा क्यूं है हमें सोचना चाहिए. तालिबान और अफगान के बीच की लड़ाई में हमें नहीं पड़ना चाहिए.भारत के साथ हमारी वार्ता बंद होनी चाहिए. दोनों न्यूक्लियर स्टेट हैं. जरूरत पड़े तो उरी हमले में जांच को लेकर हमारे विकल्प खुले रहने चाहिए.

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