Loading election data...

UN में भारत : अमन की राह में बड़ा खतरा है आतंकवाद : एम जे अकबर

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से कहा है कि अमन की राह में आतंकवाद प्रमुख खतरा है और गरीब लोग इससे सबसे ज्यादा असुरक्षित तथा पीडि़त हैं. भारत ने जोर देकर कहा कि अमन और शांति के बगैर दुनिया में समृद्धि नहीं लायी जा सकती. विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2016 2:43 PM

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से कहा है कि अमन की राह में आतंकवाद प्रमुख खतरा है और गरीब लोग इससे सबसे ज्यादा असुरक्षित तथा पीडि़त हैं. भारत ने जोर देकर कहा कि अमन और शांति के बगैर दुनिया में समृद्धि नहीं लायी जा सकती. विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर ने कल यहां कहा, ‘शांति के बगैर समृद्धि नहीं आ सकती और शांति की राह में आज सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद है. गरीब लोग आंतकवाद से सबसे ज्यादा असुरक्षित और पीडि़त हैं. संघर्ष तबाही की ओर ले जाता है.’ विकास के अधिकार पर उच्च स्तरीय समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में सभी क्षेत्रों में शांति कायम करना बड़ी चुनौती है और कोई भी शांति मानसिक शांति से बढकर नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘भोजन, आश्रय और आर्थिक भविष्य मूलभूत मानवाधिकार हैं. इन्हें दुनिया के हर हिस्से में सामान्य बात बन जाना चाहिए.’ अकबर ने जोर देकर कहा कि विकसित दुनिया को वैश्विक प्रशासन को और ज्यादा लोकतांत्रिक और निष्पक्ष ब नाने में सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी देश अपने लोगों खासकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, साफ-सफाई, आवास और रोजगार उपलब्ध करवाने की हर संभव कोशिश करते हैं.’

उन्होंने कहा कि नयी प्रक्रियाएं मसलन विकास के अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक वक्त की जरुरत हैं. 2030 के एजेंडे के संदर्भ में विकास के अधिकार पर मानवाधिकार परिषद के काम को मजबूती देने के लिए और इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए यह जरुरी है. विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर ने कहा कि बेहद गरीबी की हालात में जी रहे लोगों की संख्या में कमी आई है हालांकि 21वीं सदी में महत्वकांक्षाएं बढी हैं इसलिए अभी भी भीषण गरीबी के हालात में जो लाखों लोग फंसे हुए हैं वे केवल प्रगति ही नहीं बल्कि विकास भी चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘आंकडे उनका पेट नहीं भर सकते. कागज पर लिखी प्रार्थना उस बच्चे की मदद नहीं कर सकती जिसे चिकित्सीय सहायता की बेहद जरुरत है और उसका गांव चिकित्सा संबंधी सुविधाओं से हजारों मील दूर है. गरीब व्यक्ति इंतजार नहीं कर सकता, वह ऐसा करे भी क्यों? वे सवाल पूछ रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि जहां बीते कुछ सालों में गरीबी में तीन फीसदी की कमी आई है वहीं दुनिया की अमीरी इससे कई गुना ज्यादा बढी है. दुनिया की कुल धन-दौलत का पचास फीसदी तो दुनिया के सबसे अमीर एक फीसदी लोगों के पास है.

उन्होंने कहा, ‘जहां गरीबों को थोड़ी रोटी और मिलने लगी है वहीं अमीरों ने और ज्यादा महल खरीद लिए हैं.’ विकास के अधिकार को प्रशंसनीय अैर आवश्यक लक्ष्य बताते हुए अकबर ने कहा कि जनता को अधिकार दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है. यह सुनिश्चित करना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है कि विकास का पहला और सबसे बड़ा हिस्सा उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरुरत है.

अकबर ने कहा, ‘ऐसी दुनिया जहां गरीबी के सागर में समृद्धि के कुछ टापू हैं वह न केवल नैतिक रूप से न्यायसंगत है बल्कि यह राजनीतिक रूप से भी अस्थिर है. विकास ही स्थिरता की इकलौती गारंटी है. शिक्षा विकास की आधारशिला है. हमें बच्चों में निवेश को अधिकतम करना होगा, अंधविश्वास, पक्षपात और भेदभाव से लडाई के लिए ज्ञान का विस्तार करना होगा.’

उन्होंने आगे कहा कि बीते दो दशकों में तेजी से हुए वैश्वीकरण के कारण समान वैश्विक चुनौतियां हमारे सामने पेश आ रही हैं. तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन, महामारी, बडी संख्या में शरणार्थियों का आवागमन, वित्तीय संकट, अंत: संबंधी बाजार और जिंस की कीमतें इन्हीं में शामिल हैं.

Next Article

Exit mobile version